भारत में श्रमिक दिवस

Labour day kab manaya jata hai

ये भी कोई पूछनेवाली बात है ? 1 मई 1886 से शुरुआत हुई है श्रमिक दिवस को मनाये जाने की। आधिकारिक तौर पर इसे मनाते हुए 132 साल हो गए, पर क्या बदला है ? कुछ टेक्निकल जानकारों को छोड़ दिया जाये, तो कल इनकी जो हालत थी, आज भी वही है। क्या इसके लिए जवाबदेह सिर्फ पूंजीवादी व्यवस्था है ? नहीं, मुझे तो लगता है कोई भी उनके शुभचिंतक नहीं। पता नहीं, ईश्वर ने उन्हें कौन सा जज्बा दिया है कि हर वक्त समाज की मदद के लिए एक मजबूत स्तम्भ बन जाते हैं वे।

Labour day kab manaya jata hai



लॉक डाउन में भी सबसे अधिक प्रभावित होनेवाला हमारा श्रमिक वर्ग ही है। इस समय पूरे भारतवर्ष से दो तरह की खबरें रही है -- जहाँ किसी प्रदेश, किसी शहर, किसी गाँव, किसी कंपनी,  किसी व्यक्ति द्वारा अच्छी व्यवस्था की, मतलब प्रशासन, समाज सेवियों,  कंपनियों,  पूंजीपतियों,  मंदिरों,  गुरुद्वारों के द्वारा  खाने-पीने की व्यवस्था की गयी है. जरूरतभर अनाज बांटे गए हैं, पुलिस चुस्त बनी हुई है, लोगों को जमा होने नहीं दिया जा रहा है, सेनिटाइज़ेशन किया जा रहा है तो वहीं किसी प्रदेश, किसी शहर और किसी गाँव से बुरी व्यवस्था की खबर भी, लोग खाने-खाने को मुंहताज हैं, अनाज किसी को मिला किसी को नहीं, पुलिस आराम कर रही है, लोग जमा हो रहे हैं, सैनिटीजसन की तो कुछ चर्चा नहीं है। इससे एक निष्कर्ष तो निकलता है, अच्छी व्यवस्था करने वाला पूरा प्रदेश, शहर या गाँव केंद्र द्वारा दी गयी जिम्मेदारियाँ ले रहा है, जनता को भेजी गयी सुविधाओं को देने में पैसे खर्च कर रहा है। 

 बुरी व्यवस्था करनेवाला प्रदेश, शहर या गाँव केंद्र द्वारा दी गयी जिम्मेदारियाँ नहीं ले रहा है, जनता को भेजी गयी सुविधाओं को न बाँटकर पैसे बचा रहा है। बेईमानी के फल को भोगते हुए हमारे पूर्वजों ने देखा था, इसलिए हमेशा बच्चों को ईमानदारी की शिक्षा दिया करते थे। यह बात अलग है कि बाद में हमारे पाठ्यक्रम से नैतिक शिक्षा का विषय ही गायब कर दिया गया। कोरोना के इस भयंकर दौर में यदि कोई पैसे बचाकर ऊपर से नीचे तक इसे बाँटने जैसा भ्रष्टाचार करके यह सोच रहे हैं कि जनता की आह उन्हें नहीं लगेगी तो गलत सोच रहे, जनता की आह सबसे भारी होती है। इतना तो कहा ही जा सकता है कि देश मे स्वार्थियों की कमी नहीं है। नैतिक शिक्षा की बात भूल गए हो, बड़े बुजुर्गों द्वारा दीं गयी शिक्षा भूल गए हो पर आज प्रकृति की ताकत को तो पहचानो। आपत्तिकाल मे  दूसरे के हिस्से के पैसे मत रखो  नादानो !

समाजवादी व्यवस्था में विकास नहीं होता, विकास के लिए पूंजीवाद आवश्यक है। आज के युग में पूंजीवादी व्यवस्थाकी आवश्यकता है, पर इसमें जो गड़बड़ी है वह यह कि लाभ को अधिकतम करने के लिए श्रमिकों का शोषण हो जाता है। यदि किसी उत्पादन या सेवा में लगे सभी कारकों, पूंजी, भूमि, श्रम,साहस और व्यवस्थापक के मध्य बराबरी का भुगतान हो तो आज के युग के लिए सबसे बड़ी सामाजिक व्यवस्था होगी।
एक काम की बात और, शारीरिक मजदूरों की और तो सबका ध्यान जाता है, इसके विकास के लिए लोग प्रयत्नशील भी है, न्यूनतम मजदूरी भी तय कर दी गयी है। पर बौद्धिक मजदूरों की हालत भी आज अच्छी नहीं, कहीं कहीं तो शारीरिक श्रम की तुलना में मानसिक श्रम का मूल्य कम है। लाचारी काम पैसों में ही पढ़े लिखे लोगों को श्रम करने को मजबूर करती है। सरकार का ध्यान उनकी और भी जाये, क्योंकि बुद्धिजीवियों की आर्थिक स्थिति ख़राब हो तो समाज पर बहुत ख़राब प्रभाव पड़ता है।

श्रमिक दिवस की अनंत शुभकामनाये !!

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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