ऐसा जीवन लेकर मैं क्या करूँ?

गाँव का जीवन


दो साल पहले की बात है, मेरी मम्मी कुछ दिनों से बीमाऱ चल रही थी और हर प्रकार के टेस्ट के बाद स्पष्ट हो गया था कि उनके फेफड़े कमजोर हो चुके हैं ! इस बीमारी के लिए दिल्ली के पर्यावरण को दोष दिया जा सकता था, जहाँ वे 20 वर्षों से जीवन जी रही थी या फिर उनके कमजोर शरीर को या आस्तिक होने के नाते हम मान सकते हैं कि होनी को यही मंजूर था ! पर डॉक्टर ने अपनी ओर से सभी दवाओं के साथ उनको गाँव में कुछ समय व्यतीत करने का एक विकल्प भी दिया ! मम्मी का जीवन कुछ महीने बढ़ सकता था !



संस्कारी परिवारों में माँ-पापा तो बच्चों के लिए ईश्वर से कम नहीं, इसलिए सभी बच्चों ने उनके लिए हमारे अपने गाँव में सारी व्यवस्था करनी चाही ! गाँव में भी हमारे परिवार में लक्ष्मी और सरस्वती दोनों की विशेष कृपा रही है, जरूरत पड़ने पर गाँव हमें सहारा देने के लिए हर वक्त तैयार है ! पर मम्मी ने वहाँ अकेले या पापाजी के साथ रहने से मना कर दिया, उन्होंने स्पष्ट बोला कि जीवन एन्जॉय करने के लिए होता है ! बच्चे अपनी अपनी जिम्मेदारियों के कारण गाँव जा नहीं सकते, यदि सभी बच्चों से दूर अपना जीवन बढ़ाने के लिए मुझे गाँव में रहना पड़े तो ऐसा जीवन लेकर मैं क्या करूँ?


जीवन जीने के लिए होता है


korona kaal ka jivan,


सच भी यही है, जीवन जीने के लिए होता है, चुनौतियों से लड़ने के लिए भी होता है, एन्जॉय करने के लिए भी होता है ! इस तरह घर में बंद रहकर जीवन जीना पड़े तो ऐसे जीवन से क्या लाभ? हमें पहले जैसा जीवन चाहिए ही ! पर वह हमें कुछ महीने के लॉक डाउन के पालन के बाद ही मिल सकता था, पर पहले दिन से ही जो जहाँ थे वहीँ से घर आने के लिए बेचैन हो गए ! जिनकी व्यवस्था उनके शहरों में हो सकती थी, वहाँ से देश के हर भाग में भेज दिया गया !


प्राकृतिक आपदा और 'महामारी' 


इस तरह की गैर जिम्मेदाराना हरकत की वजह भी साफ है ! हर तरह की प्राकृतिक आपदा और 'महामारी' आदि की चर्चा हमारे पाठ्यपुस्तकों, दैनिक बोलचाल और किस्सों-कहानियों से गायब हैं ! यदि कभी कभी आनेवाली इन समस्याओं को इन माध्यम से समझाया गया होता तो लोगो का इससे लड़ने का व्यवहार ही अलग होता ! बड़े-छोटे, अमीर-गरीब, विभिन्न धर्म, विभिन्न जाति, विभिन्न पार्टियां, सब एकजुट होकर इससे लड़ते !

लोग इस बात की शुक्र माने कि कोरोना से मौत की दर दो-तीन प्रतिशत ही है, हो सकता है यह .3% ही हो, क्योंकि टेस्टिंग कम हो रही हैं ! यदि अधिक होता तो आज संकट कितना बड़ा होता? खैर संकट छोटा है और थोड़ी सावधानी से रहा जाये तो कोरोना की चेन तोड़ी जा सकती है ! लम्बे समय तो ऐसा कर पाना बहुत मुश्किल है ! यदि कोरोना लम्बे समय तक रहा तो दुनिया में कोरोना के विरुद्ध एंटीबाडी बना चुके लोग ही बचेंगे ! कमजोर लोग दुनिया से कूच कर जायेंगे ! अभी के माहौल का देखकर यही सत्य लग रहा है !

मेरी पुस्तक 'मेरी कोरोना डायरी' का एक अंश ! पूरी पुस्तक पढ़ने के लिए नीचे लिंक हैं ! आमेज़न के किंडल पर यह मात्र 100/- रुपये में उपलब्ध हैं :-----





कृपया कमेंट बॉक्स में बताएँ कि यह लेख आपको कैसा लगा? यदि पसंद आया तो अपने मित्रों परिचितों को अवश्य शेयर करे, नीचे के फेसबुक, ट्विटर और अन्य बटन आपको इस लेख को शेयर करने में मदद करेंगे।

    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

    Please Select Embedded Mode For Blogger Comments

    और नया पुराने