जन्‍मकुंडली में स्थित स्‍वक्षेत्री ग्रहों का प्रभाव

जन्‍मकुंडली में स्थित स्‍वक्षेत्री ग्रहों का प्रभाव

ज्योतिष में आसमान के 360 डिग्री को 12 भागों में बाँटकर  30-30 डिग्री की एक एक राशि निकाली गयी है। मेष और वृश्चिक राशि का अधिपति मंगल, वृष और तुला राशि का अधिपति शुक्र, मिथुन और कन्या राशि का अधिपति बुध, कर्क राशि का अधिपति चन्द्रमा, सिंह राशि का अधिपति सूर्य, धनु और मीन  राशि का अधिपति बृहस्पति तथा मकर और कुम्भ राशि का अधिपति शनि को माना जाता है।

 जन्मकुंडली में  ग्रह जब अपनी राशि में हों तो उन्हें स्वक्षेत्री माना जाता है, इस कारण मेष और वृश्चिक राशि में मंगल, वृष और तुला राशि में शुक्र, मिथुन और कन्या राशि में बुध, कर्क राशि में चंद्र, सिंह राशि में सूर्य, धनु और मीन राशि में बृहस्पति तथा मकर और कुम्भ राशि में शनि को स्वक्षेत्री माना जाता है। जन्‍मकुंडली में चंद्रमा 4 अंक में , सूर्य 5 अंक में , मंगल 1 या 8 अंक में , शुक्र 2 या 7 अंक में , बुध 3 या 6 अंक में , बृहस्‍पति 9 या 12 अंक में तथा शनि 10 या 11 अंक में हो तो उन्‍हें स्‍वक्षेत्री माना जाता है।

swakshetri grahon ka prabhaw


फलित ज्‍योतिष में स्‍वक्षेत्री ग्रहों को बहुत ही महत्‍वपूर्ण माना जाता है। पुराने शास्‍त्रों के अनुसार यदि किसी जन्‍मकुंडली में एक दो स्‍वक्षेत्री ग्रह हों , तो वह भाग्‍यवान होता है। किंतु 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' के हिसाब से बात ऐसी नहीं है। प्रत्‍येक जन्‍मकुंडली में 12 खाने होते हैं , जो 12 भावों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। किसी ग्रह के किसी एक खाने में आने की संभावना 1/12 होगी , जबकि सूर्य और चंद्र को छोडकर बाकी ग्रहों के आधिपत्‍य में दो दो खाने होते हैं , इसलिए उनके स्‍वक्षेत्री होने की संभावना 1/6 होगी।इस तरह किसी जन्‍मकुंडली में दो ग्रहों के स्‍वक्षेत्री होने की संभावना 72 में से एक हो ही सकती है। इस तरह ग्रहों का स्‍वक्षेत्री होना सामान्‍य बात ही मानी जा सकती है।

सभी स्‍वक्षेत्री ग्रहों का स्‍वभाव एक सा नहीं होता .. स्‍वभाव में भिन्‍नता का कारण उनकी गत्‍यात्‍मक शक्ति है , जो ग्रहों की गति के आधार पर निकाली जाती है। स्‍वक्षेत्री ग्रह यदि अतिशिघ्री अवस्‍था में हो , तो जातक पूर्वजों से या भाग्‍य से कोई ऐसी चीज प्राप्‍त करता है , जिससे उसका मन संतुष्‍ट होता है। शरीर , धन , संपत्ति स्‍थायित्‍व , बुद्धि , विद्या , ज्ञान किसी भी क्षेत्र में आसानी से मिलने वाली सफलता के कारण जातक को अधिक प्रयास करने की जरूरत ही नहीं रह जाती है। स्‍वक्षेत्री ग्रह शीघ्री अवस्‍था में हो , तो जातक को भाग्‍य का थोडा सहयोग भी मिलता है और वह अपने कर्म के द्वारा इसे बढाने का भी प्रयास करता है। उसकी महत्‍वाकांक्षा थोडी छोटी तो जरूर होती है , पर कार्यक्षमता और प्रयास के अनुरूप सफलता भी मिलती है।

स्‍वक्षेत्री ग्रह सामान्‍य या मंद हो तो उन संदर्भों में जातक की महत्‍वाकांक्षा बहुत बडी होती है। उसी के अनुसार उसकी कार्यक्षमता भी बढती जाती है। ग्रह के गत्‍यात्‍मक दशाकाल में तो उन संदर्भों के प्रति उसका ध्‍यान संकेन्‍द्रण बहुत अधिक होता है , उस वक्‍त बाकी सारे मुद्दे गौण हो जाते हैं। अधिकांश समय दशाकाल में सफलता मिलते ही देखी जाती है , ऐसा कभी कभी नहीं भी होता है , पर पूरे जीवन उन खास संदर्भों का स्‍तर तो देखने को मिलता ही है।

यदि स्‍वक्षेत्री ग्रह सामान्‍य तौर पर वक्री हो , तो जातक की कार्यक्षमता और महत्‍वाकांक्षा ऊंची तो होती है , पर उसके अनुरूप उसे सफलता नहीं मिल पाती , खासकर ग्रह के गत्‍यात्‍मक दशाकाल में उन संदर्भों की स्थिति बुरी होने से तनाव बढ जाता है। स्‍वक्षेत्री ग्रह अतिवक्री अवस्‍था में हो , तो स्‍वक्षेत्री होने के बावजूद उन ग्रहों के कारण व्‍यक्ति बहुत ही कठिनाई और पराधीनता भरा वातावरण प्राप्‍त करते हैं। किसी प्रकार की दुर्घटना या असफलता का बुरा प्रभाव इनके व्‍यक्तित्‍व पर पडता है , जिसके कारण इन संदर्भो में किंकर्तब्‍यविमूढ होते हैं।

इस तरह 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' के हिसाब से स्‍वक्षेत्री ग्रह भी गति के हिसाब से ही फल देते हैं।

अमेज़ॉन के किंडल में गुरूवर विद्या सागर महथा जी की  फलित ज्योतिष : कितना सच कितना झूठ को पढ़ने के लिए  इस लिंक पर क्लिक करें !

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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