किशोरावस्था का प्रतीक ग्रह : बुध
Mercury planet astrology hindi
बुध सौरमंडल का एक प्रमुख ग्रह है और मानव जीवन को प्रभावित करने में इसका बहुत बड़ा हाथ होता है। चंद्रमा के पश्चात यह पृथ्वी से निकटतम ग्रह है। सौरमंडल में बुध की स्थिति पृथ्वी और सूर्य के मध्य में है, इसलिए किसी भी जन्म कुंडली में बुध सूर्य के साथ साथ ही होता है। यह सूर्य से अधिकतम 24 डिग्री से 27 डिग्री की दूरी पर ही रह सकता है। बुध का प्रभाव मनुष्य पर 12 वर्ष की उम्र के बाद ही देखा जाता है। 12 वर्ष से 24 वर्ष तक का समय मनुष्य की किशोरावस्था का होता है। इस उम्र में मनुष्य पर बुध के पड़ने वाले प्रभाव को नहीं नकारा जा सकता।
बुध की शक्ति का आकलन हम उसकी गति और पृथ्वी से उसकी दूरी के आधार पर आसानी से कर सकते हैं। पृथ्वी को स्थिर मानते हुए पृथ्वी के सापेक्ष बुध ग्रह की गति में कमी बेसी होती रहती है। यही बुध की शक्ति का निर्धारण करती है। बुध की गति यदि प्रतिदिन 2 डिग्री के आसपास हो और सूर्य से उसकी कोणात्मक दूरी जीरो डिग्री हो तो बुध पृथ्वी से सर्वाधिक दूरी यानी लगभग 21 करोड किलोमीटर पर स्थित होता है। इस समय उसकी गत्यात्मक शक्ति सर्वाधिक होती है। यदि बुध की गति वक्र हो और सूर्य से उसकी कोणात्मक दूरी 0 डिग्री हो तो बुध पृथ्वी से न्यूनतम दूरी यानी लगभग 9 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित होता है। इस समय इसकी गत्यात्मक शक्ति शून्य होती है। यदि बुध की गति प्रतिदिन 1 डिग्री के लगभग हो और सूर्य से उसकी कोणात्मक दूरी 27 डिग्री लगभग हो तो बुद्ध पृथ्वी से औसत दूरी पर यानि लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर होता है। इस समय इसकी गत्यात्मक शक्ति सामान्य होती है।
बुध ग्रह विद्या, विवेक, बुद्धि आदि गुणों का ग्रह माना जाता है। इसलिए जिन जातकों का बुध मजबूत होता है, वह उपर्युक्त गुणों से युक्त माने जाते हैं। विलोमतः जिन जातकों का बुध कमजोर होता है, उसमें उपर्युक्त गुणों का अभाव पाया जाता है। जिन जातकों का बुध मजबूत होता है, वे किशोरावस्था यानी 12 से 24 वर्ष की उम्र तक भरपूर सुख सुविधा और लाभ प्राप्त करते हैं। वे मनमौजी तथा लापरवाह प्रभाव के होते हैं, उच्छृंखल वातावरण में पलते हैं, हाजिर जवाब होते हैं तथा किसी प्रकार की चिंता उनके मन में नहीं होती। वे अनायास सफलता प्राप्त करते हैं तथा १८वा वर्ष उनके लिए विशेष सुख-सफलता देने वाला होता है।
जिन जातकों का बुध सामान्य होता है, वे अपनी किशोरावस्था में बहुत मेहनती होते हैं, मन लगाकर पढ़ाई करते हैं, अध्ययन मन में गंभीरता रखते हैं और मेहनत पर ही विश्वास करते हैं। जिन जातकों का बुध कमजोर होता है अपने वातावरण में सुख और सुविधा की कमी पाते हैं, मन लगाकर पढ़ने के बावजूद वे अपने परीक्षा के परिणाम में कमी पाते हैं, जो उनकी मनः स्थिति को प्रभावित करती है। वे पराधीन व्यवस्था में किसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए दूसरों का मुंह जोहने को विवश रहते हैं, विशेषकर 18वा वर्ष उन्हें विशेष तनाव और कष्ट देने वाला होता है। 18 वर्ष की उम्र के पश्चात ही इनमें संघर्ष करने की क्षमता आती है।
यदि बुध मजबूत हो और मिथुन या कन्या राशि में अधिकांश ग्रह कमजोर हो तो जातक अपनी किशोरावस्था में अत्यधिक रुकावटें प्राप्त करता है। कई ओर उनका ध्यान बंटा हुआ होता है और वह बहुआयामी ज्ञान प्राप्त करता है। यदि बुध कमजोर हो तो मिथुन और कन्या राशि में अधिकांश मजबूत स्थिति में हो तो जातक खराब परिस्थिति में भी अनेक प्रकार का प्रोत्साहन प्राप्त करता है, जिससे उसके आत्मबल में वृद्धि होती है। ऐसे बच्चे अनेक प्रकार के अनुभव रखते हैं तथा कम उम्र के बावजूद अनुभवी होते हैं।
बुध जिस भाव का स्वामी होता है और उसकी जिस जिस भाव में स्थिति होती है, उसकी राशि के दूसरे भाव तथा इस भाव के राशि के साथ स्थित होता है उन सभी भावों से संबंधित सुख या कष्ट का जातक को अनुभव होता है। वह अपनी किशोरावस्था में इस प्रकार के सुख या कष्ट प्राप्त करता है। इसे उदाहरणों की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है -
चार्ट नंबर 1 इंदिरा गांधी का है। इनका बुध सूर्य से 9 डिग्री की दूरी पर प्रतिदिन १ डिग्री से अधिक की गति में है, इस प्रकार यह पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर है। यह एकादश और द्वितीय भाव का स्वामी होकर चतुर्थ भाव में स्थित है। इसका दूसरा भाव नवम है। बुध के साथ लग्न भावाधिपति सूर्य स्थित है। इसलिए श्रीमती इंदिरा गांधी ने शरीर, व्यक्तित्व, बुद्धि, मंजिल, लाभ, धन, कुटुंब से संबंधित सफलता प्राप्त की। इन्हे 12 वर्ष से 24 वर्ष तक इन भावों से संबंधित अनायास सफलता मिली।
चार्ट नंबर 2 श्री सुनील मनोहर गावस्कर का है। इनका बुध सूर्य से लगभग 20 डिग्री की दूरी पर प्रतिदिन 1 डिग्री की गति के लगभग है। इस प्रकार बुध पृथ्वी से औसत दूरी पर है। इसलिए गावस्कर इस उम्र में बहुत मेहनती रहे। यह नवम भावाधिपति षष्ठ भाव में स्वक्षेत्री है। इसके साथ अष्टम भाव अधिपति सूर्य भी स्थित है। साथ ही साथ मात्र 7 डिग्री की दूरी पर मंगल चतुर्थ और एकादश भाव अधिपति भी है। इसलिए उन्होंने स्थायित्व, मातृ पक्ष, प्रतियोगिता, भाग्य और लाभ से संबंधित सफलता कम उम्र में ही प्राप्त की।
चार्ट नंबर 23 के के बिरला का है। इसका बुध सूर्य से लगभग 15 डिग्री की दूरी पर प्रतिदिन डेढ़ डिग्री की गति में है। इस प्रकार से बुध पृथ्वी से सामान्य से अधिक दूरी पर है। यह नवम और द्वादश भावाधिपति द्वितीय भाव में स्थित है, जिसका दुसरा भाव सप्तम है। इसलिए उन्होंने 12 वर्ष से 24 वर्ष की उम्र में भाग्य, खर्च, बाहरी संबंध,धन और परिवार से संबंधित सफलता प्राप्त की।
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चार्ट नंबर 24 एक महिला का है इनका बुध सूर्य से जीरो डिग्री की दूरी पर 2 डिग्री प्रतिदिन की गति में है। यह पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर स्थित है इसलिए यह मजबूत है। यह पंचम और अष्टम भावाधिपति है और पंचम भाव में स्थित होने से स्वक्षेत्री है। साथ ही यह सप्तम भावेश सूर्य तथा चतुर्थ और नवम भावाधिपति शुक्र के साथ स्थित है। इसलिए इस महिला का 12 से 24 वर्ष का समय बहुत ही अच्छा रहा। उसने पढ़ाई लिखाई से संबंधित, भाग्य, मातृ पक्ष तथा स्थायित्व से संबंधित सब प्रकार की सफलता प्राप्त की। यह बहुत कम देर के लिए ही पढ़ती थी, लेकिन इसके बावजूद सभी परीक्षाएं पास करती थी। इनकी प्रतिभा को देखते हुए इसका विवाह बहुत अच्छे परिवार में इसी अवधि में हुआ।
चार्ट नंबर 26 संजय दत्त का है। इसमें बुध सूर्य से लगभग 12 डिग्री की दूरी पर वक्र गति में है। इस प्रकार बुध पृथ्वी से सामान्य से कम दूरी पर है। यह अष्टम और एकादश भावाधिपति नवम भाव में स्थित है। साथ ही इसमें दशम भाव अधिपति सूर्य भी स्थित है। इसलिए संजय दत्त ने 12 वर्ष से 24 वर्ष की उम्र तक लाभ, भाग्य, प्रतिष्ठा आदि की कमी महसूस की तथा इनका जीवन जीने का ढंग बहुत बुरा हो गया। 24 वर्ष की उम्र में उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
चार्ट नंबर 27 श्री लाल बहादुर शास्त्री का है। इनका बुध सूर्य 17 डिग्री की दूरी पर प्रतिदिन 1 डिग्री से कम की गति में है। यह अष्टम और एकादश भाव अधिपति दशम भाव में स्थित है। मंगल बुध के साथ ही स्थित है, इसलिए इन्होंने 12 वर्ष से 24 वर्ष की उम्र तक शरीर, झंझट, प्रतिष्ठा और लाभ की कमी महसूस की। इनके जीवन जीने के ढंग पर लाभ की कमी का बुरा प्रभाव पड़ा। सन 1927 इन के लिए बहुत बुरा रहा।
चार्ट नंबर 28 एक ऐसी महिला का है, जिनका विवाह बहुत ही कम उम्र में कर दिया गया इनका बुध सूर्य से 21 डिग्री की दूरी पर प्रतिदिन 1 डिग्री से कम की गति में है। बुध सप्तम और दशम भाव अधिपति अष्टम भाव में स्थित है। जिसका दूसरा भाव एकादश है। वह पति या उसके परिवार वालों के व्यवहार को ससुराल में बिल्कुल बर्दाश्त ना कर सकी और अपने पिता के घर आने को बाध्य हुई। इस प्रकार झंझट, परिवार, लाभ और प्रतिष्ठा से संबंधित समस्या इस महिला के समक्ष 12 वर्ष से 24 वर्ष की उम्र में ही उपस्थित हुई।
चार्ट नंबर 29 एक अन्य महिला का है। उनका विवाह भी 16 वर्ष की अवस्था में हुआ था। उनका बुध सूर्य से 26 डिग्री की दूरी पर प्रतिदिन 1 डिग्री से कम की गति में है। साथ ही यह अधिक मजबूत शनि की राशि में स्थित है इसलिए यह सापेक्षिक कमजोर हुआ। यह द्वितीय और एकादश भावाधिपति है और षष्ठ भाव में स्थित है। इसका दूसरा भाव सप्तम राशि है। साथ ही बुध के साथ चतुर्थ और नवम भावाधिपति मंगल भी स्थित है। इसलिए यह महिला जातक 12 वर्ष से 24 वर्ष की उम्र में ही आर्थिक, पारिवारिक, दांपत्य से संबंधित लाभ की कमी, झंझट तथा दुर्भाग्य से संबंधित कमजोरी को महसूस किया। 1985 में इनका अपने पति से तलाक हुआ।
चार्ट नंबर 30 एक व्यक्ति का है जिसका बुध सूर्य से मात्र 5 डिग्री के कोणत्मक दूरी का वक्र स्थिति में है। इसलिए इस समय बुध ग्रह पृथ्वी से बहुत निकट था। साथ ही यह मजबूत शुक्र के भाव में स्थित है, इसलिए यह सापेक्षिक कमजोर हुआ। यह सप्तम और दशम भाव अधिपति एकादश भाव में स्थित है, जिसके राशीश का दूसरा भाग षष्ठ है। यह किशोर एक लड़की के प्यार में अपनी किशोरावस्था में ही पड़ गया, जिससे सामाजिक प्रतिष्ठा एवं लाभ में कमी और झंझट दिखाई पड़ा। साथ ही नवम भावाधिपति सूर्य तथा पंचम और द्वादश भावाधिपति मंगल भी थे, इसलिए और पढ़ाई लिखाई से संबंधित हानि और दुर्भाग्य का अनुभव करता रहा।
बुध मजबूत रहने से बालक का पालन पोषण अत्यंत ही सुखद वातावरण में होता है। इसलिए किशोर बहुत जिद्दी और अभिभावक के नियंत्रण में नहीं रहने वाले हो जाते हैं। साथ ही इस उम्र में सही गलत की कोई पहचान नहीं होने के कारण कभी-कभी ऐसे बच्चे गलत संगति में भी देखे जाते हैं और कोई ऐसा काम कर बैठते हैं, जिससे सभी परेशान रहते हैं। लेकिन उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। किंतु इसके विपरीत बुध कमजोर रहने से किशोर अपने अभिभावक के नियंत्रण में रहते हैं। अपने आप को बंधा बंधा सा महसूस करते हैं। किंतु ऐसे बच्चों को बड़े होने पर अधिक उन्नति या तरक्की करते हुए देखा गया है।