भोपाल के ब्‍लागर भाईयों से विनम्र अनुरोध

कल भोपाल के ही एक ब्‍लागर भाई अनिल सौमित्रजी के द्वारा मुझे मात्र इतनी ही खबर मिली कि भोपाल से निकलनेवाले 16 मार्च के पीपुल्‍स समाचार में मेरा कोई आलेख प्रकाशित किया गया है। संपादकजी , चाहे जो भी हों , को मेरा आलेख अच्‍छा लगा और उन्‍होने अपने अखबार में प्रकाशित किया , यह तो मेरे लिए बहुत खुशी की बात है , क्‍योंकि ज्‍योतिषीय सिद्धांतों से संबंधित मेरे आलेख या पुस्‍तक भले ही संपादकों और प्रकाशकों द्वारा उनके पहल से छापे गए या मांगे जा रहे हों , पर सामान्‍य लोगों के लिए लिखे जाने वाले मेरे आलेखों के लिए संपादकों की अभी तक अधिक दिलचस्‍पी मैने नहीं देखी है और इसलिए ही मैने अपने विचारों को जनसामान्‍य तक पहुंचाने के लिए ब्‍लाग लिखना आरंभ किया है। 

ब्‍लाग लिखने से पहले मैं अपने सभी आलेख दिल्‍ली के कई फीचर्स को पोस्‍ट कर दिया करती थी और वे ही विभिन्‍न स्‍थानीय पत्रों में भिजवा दिया करते थे। कभी कभी ही देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में रह रहे परिचितों के माध्‍यम से इस बात की सूचना मुझे उस दिन मिल पाती थी , अधिकांश समय मुझे तब ही पता चलता , जब एकाध सप्‍ताह में उन अखबारों की कतरनें मुझे मिल जाती थी । इसलिए भोपाल के पीपुल्‍स समाचार वालों ने मेरे आलेख को छापने से पहले मेरी अनुमति नहीं ली , यह भी मेरे लिए बहुत आपत्तिजनक बात नहीं , पर उन्‍हें कम से कम एक ईमेल कर मुझे खबर अवश्‍य करनी चाहिए थी।

अब कल से ही आधी अधूरी जानकारी मिलने के बाद मेरी जिज्ञासा बढती जा रही है , उन्‍होने किस लेख को प्रकाशित किया , किस शीर्षक से प्रकाशित किया , हूबहू प्रकाशित किया या कोई फेर बदल कर। आज मुझसे रहा नहीं गया तो यह पोस्‍ट करना आवश्‍यक समझ रही हूं। म प्र के के ब्‍लागर बंधुओ से , खासकर भोपाल में रहने वालों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि वे मुझे इस संदर्भ में पूरी जानकारी देने की कृपा करें और यदि संभव हो तो अखबार के उस पृष्‍ठ का स्‍कैनिंग मुझे मेरे ईमेल पते (gatyatmakjyotish@gmail.com) पर भेज दें।


संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

12 टिप्पणियाँ

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  1. बेनामी3/17/2009 09:22:00 pm

    आपको बहुत बहुत बधाई. आपका लेख "फलित ज्योतिष विज्ञानं या विश्वास" शीर्षक लिया हुआ है. रविवार दिनांक १५/३/०९ पृष्ट क्रमांक ८ पर लगभग आधे पन्ने में हैं. शीर्षक बेहद बोल्ड अक्षरों में. हमें तो लगता है कि scanner में नहीं आ पायेगा. हम प्रयास करेंगे भेजने की. आप हमें मेल से अपना पता भेज दीजिये. हम उन पृष्ठों को ही भिजवा देते हैं डाक से. (paliakara@hotmail.com)

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  2. मेरे साथ भी यही हुआ है। 'पीपुल समाचार' में 'चवन्‍नी चेप' से नेकर मेरा एक लेख छापा था। मुझे बधाई देते हुए इसकी सूचना मेरे एक मित्र (जो चिट्ठाकार नहीं हैं) ने दी थी जिन्‍होंने मेरे अनुरोध पर उक्‍त अखबार के तत्‍सम्‍बन्धित अंक की एक प्रति मुझे भिजवाई।
    ब्‍लाग से लेकर लेख प्रकाशित करने में कोई आपत्ति वाली बात नहीं है किन्‍तु सम्‍बन्धित अंक की एक प्रति लेखक को अवश्‍य ही भेजी जानी चाहिए-यह न्‍यूनतम अपेक्षा तनिक भी अनुचित नहीं हे।

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  3. अरे यह सब केसे, आप लोगो को कोई जानकारी भी नही,PN Subramanian जी अगर scanner ना कर सको तो उस की फ़ोटो खिंच कर भी भेज सकते है, फ़ोटो को खुब बडा कर के भी पढा जा सकता है,या फ़िर दो बार कर दो
    संगीता जी धन्यवाद, शायद कोई आप को इस बारे राय भी दे सके

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  4. संगीता जी, बो देने के बाद गेंहू धरती का और गा देने का बाद गीत दुनिया का हो जाता है, वैसे ही हम लोगों को भी ये मान लेना चाहिए कि लिख देने के बाद ज्ञान पाठक का हो जाता है। किसी ने आपका लेख छापा और आपको इसकी किसी भी तरह सूचना मिल गई तो आपको तो अखबार के संपादक को धन्यवाद कहना चाहिए था। बड़प्पन इसी में होता। और फिर शिकायत भी थी तो संपादक का पता खोजकर उनसे गुफ्तगू की जा सकती थी।
    मेरी बात आपको बुरी भी लग सकती है क्योंकि रचनाधर्मिता के मायने अब बदल गए हैं। अब लिखा ही जाता है उसकी अहमियत को ध्यान में रखकर। लेकिन, ऐसा सोचकर ना तो तुलसी बाबा ने रामचरित मानस लिखी होगी और ना ही वाल्मीकि ने रामायण। हां, ये अलग बात है कि रहमान जैसे बड़े संगीतकार अब धुन बनाने से पहले इंटेलेक्चुल प्रॉपर्टी राइट्स की बात करते हैं। बधाई हो आपको आप भी रहमान की श्रेणी में आ गईं। अरे, ज्ञान बांटने से ही बंटता है। सूरज ने कभी शिकायत की कि उसकी रोशनी से आप पानी क्यों गर्म करते हैं और क्यों बैटरी चार्ज करते हैं।

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  5. आप मुझे अपना पता ई मेल दें, मैं डाक से इसे भेज दूंगा।

    मेरा फोन नंबर 9826133217 है। आप मुझसे फोन पर भी संपर्क कर सकते की हैं।


    ashish.maharishi@gmail.com

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  6. पंकज शुक्ल जी,..नमस्कार। बो देने के बाद गेहूँ न तो धरती का हो जाता है, और न तो गा देने के बाद गीत दुनिया का हो जाता है। आपको पाठक और संपादक में अन्तर समझ में नहीं आता क्या? पाठक तो उसका निजी उपभोग करता है। संपादक उसका इतर उपयोग करता है। और काहे का धन्यवाद संपादक को? यह छूटभैये लेखक करते हैं जिनकी रचना बामुश्किल,बामशक्कत कहीं छपती है। पक्के उपदेशक मालूम होते हो भाई! इसलिये हमलोगों को तुलसी और बाल्मिकी बाबा का पाठ पढा़ रहे हो। आप जैसे लोगों की कुंठित धारणा के कारण ही विकसित देश हमारी भूमि की चीजों को अपना कह-कह कर उसे पेटेन्ट कर रहे हैं। संगीता पुरी जी की चिंता बिलकुल जेनुईन है कि “अब कल से ही आधी अधूरी जानकारी मिलने के बाद मेरी जिज्ञासा बढती जा रही है , उन्‍होने किस लेख को प्रकाशित किया , किस शीर्षक से प्रकाशित किया , हूबहू प्रकाशित किया या कोई फेर बदल कर। ”
    आपके साथ भी ऐसा होगा तो आप भी इसी तरह सोंचेंगे। उपदेश देना और बात है! मेरा स्पष्ट विचार है कि संपादक की धृष्टता के लिये उनकी भर्त्सना की जानी चाहिये और उन्हें अपनी गलती के लिये माफ़ी माँगनी चाहिये । मैं अपना ईमेल पता दे रहा हूँ। कोई संशय हो तो बता देना भाई।बुरा लगे तो बुरा मत मानना। अपने विचार रख रहा हूँ आपकी ही तरह। -सुशील कुमार
    (sk.dumka@gmail.com)

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  7. संगीता जी,
    आपको बहुत बहुत बधाई किंतु बिना अनुमति के लेख छापना अनुचित हैं। संपादक की धृष्टता के लिये उनकी भर्त्सना की जानी चाहिये

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  8. संगीता जी बधाई हो । और हाँ उस लेख को अपने ब्लॉग पर भी लगाइयेगा ।

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  9. इस तरह से कापी पेस्ट होता है एक बार मुझे भी पता चला था ,

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  10. ब्लॉग चर्चा में कुछ अखबार पोस्ट भी प्रकाशित करते हैं, मगर निश्चित रूप से लेखक को इसकी सूचना मिलनी चाहिए.

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  11. एक आलेख के प्रकाशन को लेकर इतनी थुक्का फ़जीहत ...। देखकर मन कसैला हो गया ।

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  12. सुशील भाई के लिए..
    बुरा काहे का भाई, मैंने अपनी बात कही, आपने अपनी। और मंथन से ज़हर भी निकलता है और अमृत भी। किसको क्या मिला ये समय तय करता है। रही बात, संपादक और पाठक के अंतर की तो, मुझे पत्रकारिता के कीड़े ने अख़बार पढ़ने की आदत के बाद ही काटा। पहले संपादक के नाम पत्र छपा। उनसे मिला तो उन्होंने कहा कि अच्छा लिखते हो। मेरे लिए इतना ही काफी था। और फिर लिखता रहा। कहां कहां छपा? और इस छपे को किसने किसने अपनी अपनी तरह से फिर से छापा, कभी हिसाब नहीं रखा। अब ज़ी न्यूज़ के चैनल ज़ी 24 घंटे छत्तीसगढ़ का प्रबंध संपादक हूं। हां, ये अब भी हो सकता है कि पाठक और संपादक का अंतर मुझे अब भी समझ में ना आता हो? क्योंकि अगर सब कुछ समझ लिया तो फिर बाक़ी ज़िंदगी में होगा क्या? ना कभी समझने की सीमा ख़त्म होती है और ना ही कुछ नया सीखने की।

    कहा सुना माफ़,
    पंकज शुक्ल

    http://thenewsididnotdo.blogspot.com

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