आखिर 30-32 घंटे का मानसिक हलचल कल अपनी पोस्ट डालने के दो चार घंटे के बाद ही समाप्त हो गया और मेरी यह जिज्ञासा थमी कि पीपुल्स समाचार वालों ने मेरे किस आलेख को प्रकाशित किया है , जब सुब्रह्मणियम जी की टिप्पणी के द्वारा मालूम हुआ कि 16 नहीं , 15 मार्च के रविवारीय परिशिष्टांक के पृष्ठ सं 8 पर मेरे आलेख ‘फलित ज्योतिष : विज्ञान या अंधविश्वास’ को प्रकाशित किया गया है। यह आलेख जनसामान्य की ज्योतिष के प्रति जिज्ञासा को ध्यान में रखते हुए दो चार वर्ष पूर्व ही मेरे द्वारा लिखा गया था और अभी तक मेरे कुछ चुनींदा आलेखों में से एक है।
इसकी लंबाई की वजह से मैने अपने ब्लाग में इसे अबतक नहीं डाला था । इसलिए किसी अखबार में इसके प्रकाशित किए जाने और जनसामान्य तक मेरे विचार के पहुंचाए जाने से मुझे कितनी खुशी हुई होगी , इसका पाठक अंदाजा लगा सकते हैं। हालांकि मेरे पिछले पोस्ट में आनेवाले दो विरोधाभासी कमेंट को देखते हुए विवादास्पद बन गया है कि इसके लिए अखबार के संपादक का शुक्रिया किया जाना चाहिए या उसकी भर्त्सना की जानी चाहिए।
दरअसल अक्तूबर 2008 में मैने यह आलेख अपने पिताजी के द्वारा चलाए जा रहे ब्लाग ‘फलित ज्योतिष : सच या झूठ’ में प्रकाशित किया था। चूंकि मेरे पिताजी ने अपनी पुस्तक ‘फलित ज्योतिष : कितना सच कितना झूठ’ को ब्लाग के माध्यम से जनसामान्य तक पहुंचाने के लिए ही यह ब्लाग शुरू किया था , क्योंकि बिल्कुल मौलिक चिंतन युक्त उनकी यह पुस्तक कई कई महीनों तक या एक एक वर्ष तक गंभीर विचार विमर्श के बाद अच्छे अच्छे प्रकाशकों के यहां से वापस लौट चुकी थी। इस ब्लाग में प्रकाशित किए जा रहे सारे आलेख लंबे थे , इसलिए मैने भी इस लंबे आलेख को उसी में डाल दिया था। पीपुल्स समाचार को मेरा यह आलेख पसंद आया। वैसे इसके कमेंट्स को देखा जाए तो मेरा यह आलेख भी विवादास्पद ही रहा है।
इसके बावजूद पीपुल्स समाचार ने मेरे इस आलेख को पसंद किया , प्रकाशित किया , यह मुझे अच्छा लगा , मैं उम्मीद करूंगी कि आनेवाले समय में भी पीपुल्स समाचार के साथ ही साथ अन्य अखबार भी इस ब्लाग के अन्य आलेखों को प्रकाशित कर जनसामान्य में फैली ज्योतिषीय और धार्मिक भ्रांतियों को दूर करने में , जो कि हमारा मुख्य लक्ष्य है , हमारी मदद करेगा। अब आलेख के लेखक लेखिका होने के नाते यदि मैं एक ईमेल द्वारा सूचना और अखबार के कतरनों की अपेक्षा कर रही हूं , तो शायद यह गलत नहीं है। सुधी पाठकों को मेरी भावनाओं को भी समझना चाहिए।