पिछले दिनोंएक आलेखमें मै चंद्रमा के जनसामान्य पर पडनेवाले प्रभाव को समझाते हुए लिख चुकी हूं कि पूर्णिमा और अमावस्या के दिन समुद्र में आनेवाले ज्वारभाटे से चंद्रमा के पृथ्वी पर प्रभाव की पुष्टि तो हो ही जाती है , भले ही वैज्ञानिक इसका कोई अन्य कारण बताएं। पर चंद्रमा के अन्य रूप में पडने वाले प्रभाव को भी महसूस किया जा सकता है। पूरी दुनिया की बात तो नहीं कह सकती , पर हमारे गांव में चतुदर्शी और अमावस्या की यात्रा को बुरा माना जाता है। हमने अपने अध्ययन में पाया है किसिर्फ यात्रा के लिए ही नहीं , छोटा चांद बहुत मामलों में कष्टदायक होता है।उस वक्त जो भी समस्या चल रही होती है , वह बढकर व्यक्ति के मानसिक तनाव को चरम सीमा तक पहुंचा देती है।अमावस्या के ठीक दूसरे या तीसरे दिन हमें काफी राहत मिल जाती है ।
यदि यह सत्य है कि हमारे मन का प्रतीक एक चंद्रमा ही हमारी परेशानी और खुशी को बढाने के लिए काफी होता है , तो इसके साथ यदि अन्य ग्रह भी हो जाए , तो स्थिति और सुखद या विकट तो हो ही सकती है। ऐसी ही सुखद या दुखद ग्रहीय स्थिति कभी सारे संसार , पूरे देश या कोई खास ग्रुप के लिए किसी जीत या मानवीय उपलब्धि की खुशी तथा प्राकृतिक विपत्ति का कारण बनती है तो कभी प्राकृतिक आपदा , मानवकृत कृत्य या किसी हार का गम एक साथ ही सब महसूस करते हैं ।आनेवाले 19 सितम्बर को 5 बजे से 9 बजे सुबहभी आकाश में ग्रहों की ऐसी ही स्थिति बन रही है , जिसका पूरी दुनिया में यत्र तत्र कुछ बुरा प्रभाव महसूस किया जा सकता है। इसका प्रभाव 18 सितम्बर और 20 सितम्बर को भी महसूस किया जा सकता है। सारे नहीं तो 40 से 60 प्रतिशत तक जनसंख्या इस बुरे योग से प्रभावित होती है। आवश्यक नहीं कि सब के साथ कुछ अनहोनी ही हो जाए , पर किसी के साथ कोई बडी घटना तो किसी के साथ कोई छोटी मोटी माथापच्ची उपस्थित हो ही सकती है। इस योग से आप सबों को अवगत कराने में मेरा उद्देश्य भय नहीं , जागरूकता पैदा करना है , ताकि इस दौरान आप पूरी सतर्क रहें और कोई विषम परिस्थिति उपस्थित होती भी है तो उसका मुकाबला कर सकें। मेडिकल साइंस के अनुसार शरीर के किसी भाग में चोट हो , तो टेटनस होने की संभावना 1/10,000 ही होती है , इसके बावजूद सावधानी के लिए टेटनस के टीके सबको लगाए जाते हैं। तबइस योग से 40 से 60 प्रतिशत प्रभावित हो रहे हों, तो लोगों को सावधान करना क्या आवश्यक नहीं ?
खासकर यह समय सप्ताह के अंत का है , सामान्य तौर पर भी इस समय लोगों की आवाजाही बढ जाती है , कभी किसी खास उद्देश्य के लिए तो कभी मनोरंजन के ख्याल से भी। किसी उद्देश्य को लेकर आप घर से निकल रहें हों , तो उसके पूरे होने की संभावना कम रहेगी , इसलिए उसे यदि टाला जा सके , तो टाल ही दें। यदि आप मनोरंजन के ख्याल से निकल रहे हों , तो कई तरह की समस्याएं आपके मन को परेशान करने के लिए उपस्थित होती रहेगी। इसका अर्थ यह है कि यह समय घूमने फिरने की दृष्टि से भी उत्तम नहीं। इसके अलावे यह समय नवरात्र के आरंभ का भी है , इसलिए छुट्टियों में भी लोगों का जाना आना लगा रहेगा , जरूरी हो तोयात्रा अवश्य करें , पर इस दौरान उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। इस समय प्रशासन को भी मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था को भी चुस्त दुरूस्त बनाए रखने की जरूरत है। रेलवे या सेना को भी हर प्रकार से सतर्क रहने की आवश्यकता है ।
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इस सप्ताहांत की ग्रह स्थिति से ... बचके रहना रे बाबा !!
Reviewed by संगीता पुरी
on
9/16/2009
Rating:
26 टिप्पणियां:
आगाह करने के लिए आभार ।
jitna sambhav hoga satarkta bartenge ji. dhanyawaad.
संगीताजी, 19 को अपना ब्रेक का दिन है...बस चादर तान कर सोते रहेंगे...उठेंगे तभी जब पत्नीश्री की आवाज़ आएगी...अपनी पोस्ट पर नई टिप्पणियां नहीं देखनी क्या...
ओह अच्छा हुआ आपने पहले ही चेता दिया, सावधान रहेंगे और ऐसी कोई परिस्थिती अपने ही कारण न उत्पन्न हो ऐसी भी कोशिश करेंगे।
आभार बताने के लिए.
ग्रह-नक्षत्रो और प्रकृति पर किसी की नहीं चलती किन्तु अपने आप पर तो निग्रह कर सकतें है ना. आगाह करने के लिए आभार ।
कुछ तो सतर्क रहेंगे, बहुत बढिया आभार |
अगाह करने के लिए आपका आभार
regards
आगाह करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आपको।
ek behatar jaankari ......paDhakar achchha laga.....badhaayi
इस निर्देश के लिए शुक्रिया....ऐसे तो मेरी माताजी मुझे कहती रहती हैं,,इस पोस्ट में जैसे एक ममता भी हो....
यह जानकारी देने के लिए आभार!
कमोबेश देश काल की परिस्थितयां कुछ ऐसी हो गई है कि हम तो साल की ३६५ दिन ही बच के रहते है, श्रीमान !
अमावस और पूनम के दिन मानसिक विकृत लोगों में तीव्र होते सुना है - शायद यह उस दिन के चंद्र का असर हो। इसी प्रकार अन्य ग्रहों का भी जीवन पर प्रभाव पड़ता है, इस तथ्य से नकारा नहीं जा सकता!
यह जानकारी देने के लिए शुक्रिया
सावधान रहेगे संगीता जी धन्यवाद
आपने लिखा है - "आनेवाले 19 सितम्बर को 5 बजे से 9 बजे सुबह भी आकाश में ग्रहों की ऐसी ही स्थिति बन रही है , जिसका पूरी दुनिया में यत्र तत्र कुछ बुरा प्रभाव महसूस किया जा सकता है। इसका प्रभाव 18 सितम्बर और 20 सितम्बर को भी महसूस किया जा सकता है। सारे नहीं तो 40 से 60 प्रतिशत तक जनसंख्या इस बुरे योग से प्रभावित होती है।"
कैसी स्थिति बन रही है ? कुछ आपने बताया ही नहीं । क्या ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं बनी थी ? यदि बनी थी तो उस भूतकाल की घटनाओं या दुर्घटनाओं का कुछ उल्लेख होना चाहिए था ।
सावधान रहेंगे और ऐसी कोई परिस्थिती अपने ही कारण न उत्पन्न हो ऐसी भी कोशिश करेंगे। यह जानकारी देने के लिए , आगाह करने के लिए आभार ।
अरे हम ने तो उस दिन शुद्धिकरण के लिये घर मै पुजा पाठ ओर हवन करवाना है ओर सब जानपहचान वालो को भी बोल दिया है, सब से पहले सुंदर कांड का पाठ होगा, फ़िर हवन, फ़िर प्रसाद, ओर फ़िर दोपहर का खाना..
चलिये हम ने तो भगवान का नाम लेना है,जो होगा देखा जायेगा.
आप के लेख ने फ़िर से कई लोगो को चुनोती दी है, लेकिन बहुत अच्छा लगा.
धन्यवाद
सावधान रहेंगे
बताने के लिए धन्यवाद !
हम कबीर के वंशज जो कुछ दीवाने ही कहलाते हैं ऐसे ही दिन का इंतज़ार करते हैं और तथाकथित खतरों से खेलते हैं कोई बुलाये तो हम तो चाहे जिस दिन नर्क में भी जाने को तैयार बैठे हैं
लीक छांड तीनों चलें शायर सिंह सपूत
19 ko mere mata pita ghar ke liye chalene waale hain .....asha hai ve anya logon me honge jin par prabhaav nahi padega .
post ki taah ka sheershak bhi achha hai ...hamesa ki taah :)
अपनी भी छुट्टी है ...फिर भी सावधान रहेंगे ...
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संगीता जी,
क्या कहूं?
सभी टिप्पणी कारों से ये जरूर आग्रह करूंगा कि २१ को बतायें कि १९-२० कैसे गुजरे...
इन्टरनेट पर भी अन्धविश्वास ?
सुनील डोगरा जी ,
जब आतंकवादी इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं , तो हम क्यूं न करे , हमारा इरादा तो नेक है ।
प्रवीण शाह जी ,
मैं भी चाहूंगी कि सभी लोग 19 और 20 तारीख के अपने अनुभव के साथ उपस्थित हों , बताएं कि उनके लिए वे दोनो दिन बिल्कुल सामान्य रहे या उनके समक्ष असामान्य परिस्थितियां उपस्थित हुईं।
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