पिछले वर्ष मेरे जन्मदिन पर बडे बेटे ने मेरे लिए अंग्रजी में एक पोएट्री लिखी थी , जो मैने अपने ब्लाग पर प्रकाशित कर तो दिया था , पर बेटे से एक वादा भी करवाया था कि वह मुझे अगले वर्ष हिन्दी में कविता लिखकर देगा। मात्र 10 दिनों के भीतर ही जब 30 दिसम्बर 2008 को जब उसके जन्मदिन पर मैं उससे मिली , तो उसने अपना वादा निभाते हुए यह कविता ‘तेरा संग है मां तो’ मुझे भेंट किया , जो मैं आपके लिए पेश कर रही हूं।
तेरा संग है , मां , तो जीवन में रंग है ,
आंखो में ललक है ,दिल में उमंग है ।
आसमान को छूती जिंदगी मेरी पतंग है ,
क्यूंकि बनके डोर हर उंचाई पर , तू मेरे संग है।
तेरा संग है , मां , तो जीवन खुशहाल है,
सब कुछ सुलझा सा ,न अवशिष्ट सवाल है।
जीवन बिल्कुल सरल है , तुम्हारा ही कमाल है,
क्यूंकि तुम्हारी दिखाई राह पे , अविराम मेरी चाल है .
तेरा संग है , मां , तो जीवन सितार है,
खुशियों की लगी , जीवन में कतार है
तू है तो सिर्फ जीत है , ना कभी हार है,
क्यूंकि पास मेरे , उज्जवल रास्ते की भरमार है।
तेरा संग है , मां , तो जीवन में बहार है,
तेरा आशीष मुझपर , बहुत बडा उपकार है।
छोटा पर अनमोल , मेरा यह उपहार है,
क्यूंकि तेरे लिए इसमें, भरपूर प्यार और सत्कार है।
कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढाई कर रहा बडा विज्ञान में अधिक रूचि रखने के बावजूद हर विषय को गंभीरतापूर्वक पढना पसंद करता है। वह जितना ही पढाकू है , अभी स्कूलिंग कर रहा छोटा उतना ही शराराती , इसके बावजूद हर परीक्षा में नंबर लाने में वह बडे को पीछे छोड देता है। सामान्य ज्ञान को बढाने के लिए अपने भैया की संगति ही काफी है , अधिक पढने की क्या जरूरत ? पढाई और लंबाई को छोड दिया जाए , क्यूंकि दोनो छह फीट के आसपास लंबे और अपनी अपनी कक्षा में अच्छा स्थान रखते हैं , तो शक्ल सूरत से लेकर विचारों तक में बचपन से ही दोनो बिल्कुल भिन्न हैं।
यहां तक कि जहां बडे के जन्म के बाद बधाइयों के आदान प्रदान से आनंददायक और खुशनुमा शाम लोगों को याद रहेगा , वहीं छोटे ने अपनी नाइट ड्यूटी के कर्तब्यों को समाप्त कर सोने जा रही डाक्टर और नर्सों के समक्ष अपने आगमन की आहट देकर जो तनावपूर्ण माहौल बनाया , उसे भी कोई भूल नहीं सकता। उसके अर्द्धरात्रि में जन्म होने के बाद भी सब दवा और खून के इंतजाम में रातभर भटकते रहे , सुबह मेरे होश में आने के बाद ही तनाव समाप्त हो सका।;
बडे के सांवले सलोने रूप को देखते हुए लोग उसे 'कृष्ण कन्हैया' कहा करते , तो छोटे के भूरे बाल और गोरा रंग सबको 'रसियन बच्चा' पुकारने को मजबूर करता। पालन पोषण में भी दोनो के व्यवहार की भिन्नता को मैने स्पष्ट देखा है , बिल्कुल बचपन से ही बडा सुबक सुबक कर और छोटा चिल्ला चिल्लाकर रोया करता था। बडा जितना ही सहनशील है , छोटा उतना ही गुस्सैल। बडे को सादा खाना पसंद है , तो छोटे को चटपटा । इसके अतिरिक्त बडा परंपरावादी और छोटा आधुनिक विचारों को पसंद करनेवाला है।
आज की परिस्थिति को देखते हुए बडा राजनीतिक स्थिति में सुधार और लोकतंत्र की स्थापना के साथ देश के क्रमिक विकास की बातें करता है तो छोटे के अनुसार देश को एक देशभक्त तानाशाह की जरूरत है , जो दोचार वर्षों के अंदर देश की स्थिति को सुधार सकता है। एक जैसे वातावरण में पालन पोषण होने के बावजूद दोनो के विचारों की भिन्नता देखकर मैं तो अवाक हूं । अभी दो चार दिन पहले छोटा एक शैतानी करते हुए पकडा गया , जिसे मैं आपके सम्मुख रख रही हूं।