अमृतफल आंवले से भला कौन परिचित न होगा , फिर भी इसके बारे में वैज्ञानिक जानकारी के लिए विकिपीडीया का यह पृष्ठ पढें। एशिया और यूरोप में बड़े पैमाने पर आंवला की खेती होती है. आंवला के फल औषधीय गुणों से युक्त होते हैं, इसलिए इसकी व्यवसायिक खेती किसानों के लिए भी फायदेमंद होता है। डॉ. इशी खोसला , लीडिंग न्यूट्रीशिनिस्ट, डॉ. रुपाली तलवार , फोर्टिस हॉस्पिटल, डॉ. सोनिया कक्कड़ , सीताराम भरतिया हॉस्पिटल जैसे विशेषज्ञों द्वारा बैलेंस्ड डाइट तैयार करने में भी आंवले को महत्व दिया गया है , जिसे आप इस पृष्ठमें पढ सकते हैं। मीडिया डॉक्टर प्रवीण चोपडा जी ने भी अपने ब्लॉग में आंवले की काफी प्रशंसा की है।
इसके धार्मिक महत्व को जानना हो तो आप इस पृष्ठ पर क्लिक कर सकते हैं , जिसमें कहा गया है कि जो भगवान् विष्णु को आंवले का बना मुरब्बा एवं नैवेध्य अर्पण करता है, उस पर वे बहुत संतुष्ट होते हैं। यह भी कहा जाता है कि नवमी को आंवला पूजन स्त्री जाति के लिए अखं ड सौभाग्य और पेठा पूजन से घर में शांति, आयु एवं संतान वृद्धि होती है। पुराणाचार्य कहते हैं कि आंवला त्यौहारों पर खाये गरिष्ठ भोजन को पचाने और पति-पत्नी के मधुर सबंध बनाने वाली औषधि है।
आंवले में इतना विटामिन सी होता है कि इसे सुखाने , पकाने या अचार बनाने के बावजूद भी पूरा नष्ट नहीं किया जा सकता। स्वास्थ्यवर्द्धक होने के कारण ही प्राचीन काल से ही भारतीय रसोई में आंवले का काफी प्रयोग किया जाता है। सालभर के लिए न सिर्फ आंवले का अचार , चटनी , मुरब्बा वगैरह ही बनाए जाते हैं , सुखाकर इसका चुर्ण भी रखा जाता है। अचार बनाने की विधि आप निम्न लिंको पर प्राप्त कर सकते हैं। मुरब्बा बनाने की विधि के लिए आप यहां पर क्लिक कर सकते हैं।
पर ये सारे व्यंजन बडे लोग तो आराम से खा लेते हैं , पर बच्चे नहीं खा पाते, इस कारण बच्चे आंवले के लाभ से वंचित रह जाते हैं। पर यदि आंवले की जेली बना ली जाए तो आंवले का कडुआपन या खट्टापन समाप्त हो जाता है और यह मीठा हो जाता है , इसलिए बच्चे इसे पसंद करते हैं। इस जेली को ब्रेड में लगाकर या फिर रोटी के साथ ही या यूं ही बच्चों को चम्मच में निकालकर खाने को दे सकते हैं। इस जेली को बनाने की विधि नीचे दे रही हूं।
एक किलो आंवले को अच्छी तरह धोकर थोडे पानी के साथ कुकर में एक सीटी लगा कर छानकर रख लें। फिर बीज निकालकर उसे अच्छी तरह मैश कर लें। अब एक कडाही में कम से कम सौ ग्राम घी, थोडा अधिक भी डाला जा सकता है, डालकर उसे गर्म कर उसमें मैश किए आंवले को डालें। दस पंद्रह मिनट तेज आंच पर भूनने के बाद उसमें 750 ग्राम चीनी डाल दें । चीनी काफी पानी छोड देता है , इसलिए पानी डालने की आवश्यकता नहीं , जो पानी है , उसे ही सुखाना पडेगा और थोडी ही देर में जेली तैयार हो जाएगी। बहुत अधिक सुखाने पर वह कडी हो जाती है , इसलिए थोडी गीली रहने पर ही उसे उतार दें। तब यह ठंडा होने पर सामान्य रहता है।
इसी विधि से घर में ही आंवले का च्यवनप्राश भी बनाया जा सकता है। पर अभी मुझे वह डायरी नहीं मिल रही , जिसमें उन मसालों के नाम और उसकी मात्रा लिखी हुई है , जिसे कूटकर इस जेली में डालना पडता है , जिससे कि यह च्यवनप्राश बन सके। सस्ती और अपेक्षाकृत कम स्वादिष्ट होते होते हुए भी बाजार में मिलनेवाले च्यवनप्राश की तुलना में यह अधिक फायदेमंद होती है। जबतक वह डायरी नहीं मिलती है, तबतक मैं भी इस जेली का ही उपयोग कर रही हूं और पूरे जाडे आप भी इस जेली को ही प्रतिदिन एक चम्मच खाइए।
आपने सच में अमृत तुल्य आंवले का जो उपयोग बताया है वह बहुत ही फायदेमन्द है, और यह बात तो बिल्कुल सत्य है कि इसके कसैलेपन के कारण बच्चे इसका उपयोग न के बराबर ही करते हैं, लेकिन वह जैली जरूर शौक से खायेंगे ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर जानकारी, आंवला वेसे भी है बहुत उपयोगी !
जवाब देंहटाएंमैं तो आंवले का मुरब्बा रोज़ खाता हूँ.... अच्छा बच्चा हूँ न.....?
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी यह जानकारी......
bahut hi sunder aur faidemand jankai abhari.
जवाब देंहटाएंअपनी पारंपरिक वस्तुओं और खान-पान के विषय में जानकारी देने के लिए बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंइतवार को बनवा कर खायेंगें जी
जवाब देंहटाएंच्यवनप्राश वाली विधि भी जरूर बताईयेगा
प्रणाम
waah........aapne to bahut hi kargar jankariyan di hain.
जवाब देंहटाएंआशा करता हूँ,आप को च्यवनप्राश बनाने वाली डायरी मिल जाये,तो आवंले के च्यवनप्राश बनाने की विधि भी मिल जायेगी,वैसे आवंला दिमाग के लिये,और विटामिन सी होने के कारण आखों के लिये भी बहुत लाभप्रद है ।
जवाब देंहटाएंचार दिन पहले ही आंवले खाने शुरू किये है अब तक कच्चे ही खाते थे आज अभी जेली बनवाते है |
जवाब देंहटाएंबाजार के चव्यनप्राश से अच्छा अपने हाथ का ही बना है। अच्छी जानकारी -आभार
जवाब देंहटाएंकृपया गुड के साथ बनाने की विधि भी बताएं ..मैं चीनी प्रयोग नही करती.
जवाब देंहटाएंसंगीता जी
जवाब देंहटाएंसादर वन्दे!
अच्छी व उपयोगी जानकारी,
आवले को चाहे जिस रूप में प्रयोग करिए, उसके तत्त्व नष्ट नहीं होते.
रत्नेश त्रिपाठी
लवली जी ,
जवाब देंहटाएंबस चीनी की जगह गुड का उपयोग करें .. मेरे विचार से सही ही बनेगा !!
बहुत सुंदर, लेकिन हमारे यहां आंबले नही मिलते
जवाब देंहटाएंबहुत लाभकारी फल आवलाँ हैं.. कई प्रकार के रोगों से छुटकारा दिलाता है..
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी..धन्यवाद संगीता जी
स्वास्थयवर्धक जानकारी! आभार!
जवाब देंहटाएंयह तो बढि़या है..बनाने में आसान। मुरब्बा बनाना थोड़ा कठिन लगता है। आभार।
जवाब देंहटाएंअमृतफल आंवला अपने गुणों के कारन ही तो जाना ज्जाता है ...जेली बनाने की आसान विधि बताने का बहुत आभार ... साबित कर ही दिया की नारी सबसे पहले एक गृहिणी है ...!!
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आदरणीय संगीता जी,
अच्छी जानकारी, अभी पढ़वाता हूँ पत्नी श्री को... वही बना पायेंगी यह जेली... आभार!
बहुत उपयोगी लेख लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंसबसे पहले महर्षि च्यवन ने आँवले से ही
"च्यवनप्राश" का निर्माण किया था!
अचार के साथ श्रीमती अमर भारती का
लिंक देने के लिए आभार!
हम तो पहले से ही आंवले के फैन हैं।
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अदभुत है मानव शरीर।
गोमुख नहीं रहेगा, तो गंगा कहाँ बचेगी ?
बहुत अच्छी लगी यह जानकारी..
जवाब देंहटाएंहमें तो खाने पीने की हरेक चीज अच्छी लगती है, आँवले बहुत अच्छे लगते हैं।
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