कुछ दिन पूर्व यह समाचार मिलते ही कि हिंदी साहित्य निकेतन अपनी पचासवीं सालगिरह पर एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.जिसमें परिकल्पना डॉट कॉम द्वारा पिछले वर्ष घोषित किए गए 51 ब्लॉगरों और नुक्कड़ डॉट कॉम के द्वारा निर्वाचित हिंदी 13 ब्लॉगरों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित करेगा। ऐसे कार्यक्रमों में सम्मिलित होने और लोगों से मिलने जुलने का कोई मौका मैं हाथ से जाने नहीं देती, इसलिए रविन्द्र प्रभात जी के द्वारा दिए गए आमंत्रण को मैने सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस कार्यक्रम के लिए मैं बोकारो से 28 को ही निकल पडी , 29 को दिल्ली पहुंची और 30 को साढे तीन बजे तक आयोजन स्थल में पहुंच गयी। आसपास कोई परिचित ब्लॉगर के न दिखाई देने से मैं निराश ही बैठी थी कि पहले वंदना जी और फिर तनेजा दंपत्ति भी वहां पहुंचे। संजू तनेजा जी से कई बार मुलाकात हो चुकी थी , हालांकि मुलाकात से पहले भी राजीव जी के द्वारा बिगाडे गए सभी चित्रों में मैं उन्हें पहचान जाती थी । वंदना जी से पहली बार मिलने के बावजूद कोई झिझक नहीं थी , उनकी कविताएं मैं नियमित जो पढती हूं। इसलिए उनके साथ आत्मीयता से बातचीत करने और कुछ लोगों से मिलने जुलने में एकाध घंटे का समय व्यतीत हो गया और कार्यक्रम की शुरूआत भी हो गयी। कार्यक्रम के बारे में तो आप सबों को जानकारी मिल ही चुकी है , इसलिए अधिक लिखना व्यर्थ है , बस इतना ही कहूंगी कि ब्लॉगिंग से जुडे इस प्रकार के कार्यक्रम होते रहने चाहिए।
धीरे धीरे बहुत सारे ब्लोगर पहुंचते गए और हॉल खचाखच भर गया। समय की कमी के कारण सभी ब्लोगरों से जान पहचान का मौका नहीं मिल पाया , पर बहुतों से परिचय हुआ। कुछ ने मेरे लेखन को सराहा , कुछ ने मेरी टिप्पणियों को । पवन चंदन जी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में बारिश नहीं होनवाली भविष्यवाणी के सही होने की चर्चा की , तो कनिष्क कश्यप जी खुद की शादी की सटीक भविष्यवाणी के लिए मुझे गिफ्ट भेजने की चर्चा की , गिफ्ट क्या होगा , इसे सरप्राइज ही रहने दिया। कई ब्लॉगर बंधु मुझसे अगली भविष्यवाणी के बारे में पूछते रहें , पाबला जी ने खासकर भूकम्प की मेरी अगली भविष्यवाणी के बारे में पूछा। गिरीश बिल्लौरे जी पूरी श्रद्घा के साथ मुझसे मिले। भी जिन्हे पहचान पायी , उनसे बातचीत करती रही , हालांकि संजीव तिवारी जी जैसे कुछ ब्लोगरों को मुझसे निराशा ही मिली। संजीव तिवारी जी के ब्लॉग्स पढा जरूर करती हूं , यदा कदा टिप्पणियां भी देती हूं , पर व्यक्तिगत तौर पर संजीव तिवारी जी से मेरा कोई परिचय नहीं रहा। पूर्ण परिचय के बाद मैं सामान्य हो जाती हूं , पर जिससे परिचय नहीं हो , उनके समक्ष मेरा स्वभाव कुछ संकोची होता है , दूसरी बात कि एक विषय में अधिक ध्यान संकेन्प्द्रण और किसी भी घटना को ग्रह नक्षत्रों से जोडने की आदत के कारण मैं कभी कभी ग्रहों की दुनिया में भी खो जाती हूं। इसी में से कोई वजह रही होगी , जो मै संजीव तिवारी जी को प्रत्युत्तर नहीं दे सकी , अगली बार ख्याल रखूंगी।
विचारों में प्रबल विरोध रखनेवाले जाकिर अली रजनीश जी ने अभिवादन करते हुए हाल फिलहाल के दिनों में ब्लॉगिंग में मेरे कम सक्रियता की चर्चा की। मैने जबाब दिया कि जल्द ही उनसे तर्क वितर्क करने मैं उनके ब्लोगों पर हाजिरी लगाने वाली हूं। दिनेश राय द्विवेदी जी ज्योतिष पढ चुके हैं , पर उन्हें यह विषय अवैज्ञानिक लगता है , इसलिए उन्होने कहा कि वे जिस काम को करके छोड चुके हैं , मैं वही काम कर रही हूं। इसलिए वे मेरे विचारों से सहमति नहीं रखते। मैने उन्हें कहा कि आपको रास्ता नहीं मिला , आप भटक गए , ज्योतिष का अध्ययन छोड दिया। मुझे जबतक रास्ता मिल रहा है , मैं ज्योतिष का अध्ययन नहीं छोड सकती।
एक व्यक्ति हर विषय में रूचि नहीं रख सकता , हर कार्य करने के लायक नहीं होता। मेरे पिताजी ने मात्र 27 वर्ष की उम्र में एम्बेसेडर कार ली थी। उस वक्त अधिकांश लोग खुद गाडी नहीं चलाया करते थे, ड्राइवर रखते थे , मेरे पिताजी ने भी रखा। बिजनेस के काम से अपनी गाडी से ही रांची , बोकारो जाया करते। ड्राइवर पर उन्हे पूरा विश्वास था , उसके भरोसे गाडी रहती । ड्राइवर ने इस विश्वास का नाजायज फायदा उठाया और पांच सात वर्ष के अंदर गाडी की हालत इतनी खराब कर दी कि गाडी उनके लिए एक बोझ हो गयी। बाद में घर मकान बनाने और बचचों की जबाबदेही में पैसों की आवश्यकता पडती तो वे सोंचते कि गाडी न लेकर उस वक्त कुछ पैसे बैंक में रख दिए होते तो अधिक काम आता। वे अपने मित्रों , बच्चों और अन्य लोगों को जल्द गाडी लेने की सलाह जल्द नहीं दिया करते हैं। इसी प्रकार हमारे एक रिश्तेदार हैं , जिन्होने अपनी दस बीस वर्ष की कमाई एक संपत्ति खरीदने में लगा दी , बाद में मालूम हुआ कि उस संपत्ति में बडा झंझट है , मानसिक शांति खोते हुए पांच वर्षों तक की कमाई से केस लडने के बाद भी जमीन का कुछ ही हिस्सा उन्हे मिल सका। उनका मानना है कि बैंक में पैसे जमा कर लो , पर अनजान जगह पर जमीन वगैरह मत खरीदो। कोई किसी खास व्यवसाय को गलत बताएगा , तो कोई किसी खास प्रोफेशन को , अपनी उन गल्तियों की चर्चा नहीं करते , जिससे उन्हें असफलता मिली है।
वास्तविकता तो यह है कि कोई भी विषय बिना नींव का नहीं होता , उसमें गहराई तक जाने की आवश्यकता है। तैरना न जानने से छिछले पानी में लोग डूबकर मर जाते हैं , जबकि समुद्र में गहराई तक उतरनेवाले मोती प्राप्त करते हैं। कितने विषय और कितने प्रोफेशन को लोग छोड दिया करते हैं , जबकि उसमें मौजूद लाखो लोग ज्ञानार्जन और अच्छी कमाई कर रहे होते हैं। बहुत सारे लोग शेयर बाजार को जुआ का घर कहते हैं , जबकि दुनियाभर में सम्मान के साथ आज वारेन बफेट का नाम लिया जाता है. वे अकूत धन-संपदा के मालिक है और ये कमाई उन्होंने शुद्ध शेयर बाज़ार से की है. वे अब कई कम्पनियों के मालिक जरूर है किंतु पेशा अब भी निवेशक का ही है। इसलिए कोई भी विषय या प्रोफेशन बुरा नहीं होता , बस उसमें ईमानदारी से चलने की आवश्यकता होती है। इसलिए फिलहाल ज्योतिष का अध्ययन छोडने का मेरा कोई इरादा नहीं।
धीरे धीरे बहुत सारे ब्लोगर पहुंचते गए और हॉल खचाखच भर गया। समय की कमी के कारण सभी ब्लोगरों से जान पहचान का मौका नहीं मिल पाया , पर बहुतों से परिचय हुआ। कुछ ने मेरे लेखन को सराहा , कुछ ने मेरी टिप्पणियों को । पवन चंदन जी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में बारिश नहीं होनवाली भविष्यवाणी के सही होने की चर्चा की , तो कनिष्क कश्यप जी खुद की शादी की सटीक भविष्यवाणी के लिए मुझे गिफ्ट भेजने की चर्चा की , गिफ्ट क्या होगा , इसे सरप्राइज ही रहने दिया। कई ब्लॉगर बंधु मुझसे अगली भविष्यवाणी के बारे में पूछते रहें , पाबला जी ने खासकर भूकम्प की मेरी अगली भविष्यवाणी के बारे में पूछा। गिरीश बिल्लौरे जी पूरी श्रद्घा के साथ मुझसे मिले। भी जिन्हे पहचान पायी , उनसे बातचीत करती रही , हालांकि संजीव तिवारी जी जैसे कुछ ब्लोगरों को मुझसे निराशा ही मिली। संजीव तिवारी जी के ब्लॉग्स पढा जरूर करती हूं , यदा कदा टिप्पणियां भी देती हूं , पर व्यक्तिगत तौर पर संजीव तिवारी जी से मेरा कोई परिचय नहीं रहा। पूर्ण परिचय के बाद मैं सामान्य हो जाती हूं , पर जिससे परिचय नहीं हो , उनके समक्ष मेरा स्वभाव कुछ संकोची होता है , दूसरी बात कि एक विषय में अधिक ध्यान संकेन्प्द्रण और किसी भी घटना को ग्रह नक्षत्रों से जोडने की आदत के कारण मैं कभी कभी ग्रहों की दुनिया में भी खो जाती हूं। इसी में से कोई वजह रही होगी , जो मै संजीव तिवारी जी को प्रत्युत्तर नहीं दे सकी , अगली बार ख्याल रखूंगी।
विचारों में प्रबल विरोध रखनेवाले जाकिर अली रजनीश जी ने अभिवादन करते हुए हाल फिलहाल के दिनों में ब्लॉगिंग में मेरे कम सक्रियता की चर्चा की। मैने जबाब दिया कि जल्द ही उनसे तर्क वितर्क करने मैं उनके ब्लोगों पर हाजिरी लगाने वाली हूं। दिनेश राय द्विवेदी जी ज्योतिष पढ चुके हैं , पर उन्हें यह विषय अवैज्ञानिक लगता है , इसलिए उन्होने कहा कि वे जिस काम को करके छोड चुके हैं , मैं वही काम कर रही हूं। इसलिए वे मेरे विचारों से सहमति नहीं रखते। मैने उन्हें कहा कि आपको रास्ता नहीं मिला , आप भटक गए , ज्योतिष का अध्ययन छोड दिया। मुझे जबतक रास्ता मिल रहा है , मैं ज्योतिष का अध्ययन नहीं छोड सकती।
एक व्यक्ति हर विषय में रूचि नहीं रख सकता , हर कार्य करने के लायक नहीं होता। मेरे पिताजी ने मात्र 27 वर्ष की उम्र में एम्बेसेडर कार ली थी। उस वक्त अधिकांश लोग खुद गाडी नहीं चलाया करते थे, ड्राइवर रखते थे , मेरे पिताजी ने भी रखा। बिजनेस के काम से अपनी गाडी से ही रांची , बोकारो जाया करते। ड्राइवर पर उन्हे पूरा विश्वास था , उसके भरोसे गाडी रहती । ड्राइवर ने इस विश्वास का नाजायज फायदा उठाया और पांच सात वर्ष के अंदर गाडी की हालत इतनी खराब कर दी कि गाडी उनके लिए एक बोझ हो गयी। बाद में घर मकान बनाने और बचचों की जबाबदेही में पैसों की आवश्यकता पडती तो वे सोंचते कि गाडी न लेकर उस वक्त कुछ पैसे बैंक में रख दिए होते तो अधिक काम आता। वे अपने मित्रों , बच्चों और अन्य लोगों को जल्द गाडी लेने की सलाह जल्द नहीं दिया करते हैं। इसी प्रकार हमारे एक रिश्तेदार हैं , जिन्होने अपनी दस बीस वर्ष की कमाई एक संपत्ति खरीदने में लगा दी , बाद में मालूम हुआ कि उस संपत्ति में बडा झंझट है , मानसिक शांति खोते हुए पांच वर्षों तक की कमाई से केस लडने के बाद भी जमीन का कुछ ही हिस्सा उन्हे मिल सका। उनका मानना है कि बैंक में पैसे जमा कर लो , पर अनजान जगह पर जमीन वगैरह मत खरीदो। कोई किसी खास व्यवसाय को गलत बताएगा , तो कोई किसी खास प्रोफेशन को , अपनी उन गल्तियों की चर्चा नहीं करते , जिससे उन्हें असफलता मिली है।
वास्तविकता तो यह है कि कोई भी विषय बिना नींव का नहीं होता , उसमें गहराई तक जाने की आवश्यकता है। तैरना न जानने से छिछले पानी में लोग डूबकर मर जाते हैं , जबकि समुद्र में गहराई तक उतरनेवाले मोती प्राप्त करते हैं। कितने विषय और कितने प्रोफेशन को लोग छोड दिया करते हैं , जबकि उसमें मौजूद लाखो लोग ज्ञानार्जन और अच्छी कमाई कर रहे होते हैं। बहुत सारे लोग शेयर बाजार को जुआ का घर कहते हैं , जबकि दुनियाभर में सम्मान के साथ आज वारेन बफेट का नाम लिया जाता है. वे अकूत धन-संपदा के मालिक है और ये कमाई उन्होंने शुद्ध शेयर बाज़ार से की है. वे अब कई कम्पनियों के मालिक जरूर है किंतु पेशा अब भी निवेशक का ही है। इसलिए कोई भी विषय या प्रोफेशन बुरा नहीं होता , बस उसमें ईमानदारी से चलने की आवश्यकता होती है। इसलिए फिलहाल ज्योतिष का अध्ययन छोडने का मेरा कोई इरादा नहीं।