समाज में भांति भांति के अंधविश्वास व्याप्त हैं , जो बुद्धिजीवी वर्ग को स्वीकार्य नहीं हो सकते , पर इन अंधविश्वासों के मध्य भी कुछ वैज्ञानिक सत्य हैं , जिनका खुलासा हमारे पिताजी श्री विद्या सागर महथा इस पुस्तक में कर रहे हैं , जिन्होने विज्ञान से स्नातक और हिंदी भाषा में मास्टर डिग्री लेने के बाद अपना सारा जीवन प्रकृति के उन रहस्यों को समझने में लगा दिया , जिससे पूरी दुनिया अनजान है , सालभर से मैं इस पुस्तक को सारगर्भित बनाने में ही जुटी थी , अब यह प्रकाशन के लिए तैयार हो चुकी है , समाज से अंधविश्वास दूर करने के लिए सामान्य लोगों के लिए पठनीय इस पुस्तक का प्रकाशन और जन जन तक वितरण आवश्यक भी है।
समर्पण
मेरी माताजी सदैव भाग्य और भगवान पर भरोसा करती थी। मेरे पिताजी निडर और न्यायप्रिय थे। दोनों के व्यक्तित्व का संयुक्त प्रभाव मुझपर पड़ा। जहां एक ओर माताजी की अतिशय भाग्यवादिता ने मुझे परम शक्ति की यांत्रिकी को समझने को प्रेरित किया , वहीं दूसरी ओर पिताजी की न्यायप्रियता के फलस्वरुप मुझे सच और झूठ की पहचान एवं उसकी अभिव्यक्ति की शक्ति मिली। अतः मै अपनी पहली पुस्तक ‘ अंधविश्वासों के आवरण में प्रच्छकन्न् : क्या है सत्य़ ’ पूज्य माता-पिता के चरण-कमलो में सादर समर्पित करता हूं।
विद्यासागर महथा
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विषय क्रम ...
5. हस्त रेखाएं
6. वास्तुशास्त्र
7. हस्ताक्षर विज्ञान
8. नजर का असर
9. न्यूमरोलोजी
10. प्रश्न कुंडली
11. ज्यो्तिष की सीमाएं
12. ज्यो्तिषी का विवादास्पद सामाजिक महत्व
13. राजयोग
14. कुंडली मेलापक
15. राहू और केतु
16. विंशोत्तरी पद्धति
17. ज्योतिष की त्रुटियां एवं दूर करने के उपाय
18. ज्योतिष का वैज्ञानिक आधार
19. ग्रह शक्ति का रहस्य
20. हम ग्रह की किस शक्ति से प्रभावित हैं ?
21. गत्यात्म्क दशा पद्धति
22. ग्रहों का मानव जीवन पर प्रभाव
23. सहजन्मा के मंजिल की एकरूपता
24. क्या् बुरे ग्रहों का इलाज है ?
25. खतरे की पूर्व जानकारी से लाभ
26. घडी की तरह समय की जानकारी आवश्यलक है
27. ज्योतिष और आध्यात्म
28. ज्योतिषियों से विनम्र निवेदन
1. वार से फलित कथन अवैज्ञानिक
2. यात्राएं और सप्ताह के दिन
3. शकुन
4. मुहूर्त्त
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