Dharm ke prakar
गेट पर ठक-ठक की आवाज से मेरी तन्मयता दूर हुई। जिस लेख को लिख रही थी, उसे छोड़कर यह लेख प्रस्तुत है। नजदीकी लोग तो गेट से अंदर आकर दवाजे पर घंटी बजाते हैं, कूरियर वाले तक भी। जरूर कोई बिना जान पहचानवाला है, कुर्सी से उठकर मैंने गेट की और झाँका। अच्छे कपडे और श्रृंगार में बनी-ठनी एक महिला संतोषी माता की पूजा के लिए पैसे मांग रही थी। संतोषी माता गरीबों की देवी है, ऐसा मैं मानती हूँ, क्योंकि उन्हें सिर्फ चने-गुड़ का चढ़ावा चाहिए। माता लक्ष्मी ठाट-बात की पूजा चाहती हैं, इसलिए धनाढ्य के मध्य अधिक लोकप्रिय हैं। माध्यम वर्ग भी अब उनकी देखा-देखी करके अपने सालभर का बजट बिगाड़ लेते हैं। निम्न वर्ग वाले अभी तक दीपावली को साफ़-सफाई और दिए जलाने का ही त्यौहार मानते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है माता लक्ष्मी को खुश करना हमारे वश में ही नहीं।
Hamara dharm kya hai
तो आती हूँ, मुख्य मुद्दे पर। मैंने उस महिला को बोला, संतोषी माता की पूजा इतनी महंगी तो नहीं होती, तुम या तुम्हारे पति कोई काम करते ही होंगे। पूजा के लिए भीख मांग रही हो ? उसपर उसने जवाब दिया कि क्या आप नहीं जानती कि हिन्दू धर्म में मन्नत भी मानी जाती है, भिक्षा मांगकर पूजा करूंगी। मैंने बोला, मुझे मालूम है कि ऐसा होता है, हमारे घर में खुद छठ में भिक्षा मांगी जाती है। इसका कारन कुछ भी हो सकता है, धर्म में अमीरों का अंधानुकरण गरीब करते हैं तो शायद गरीबों का अंधानुकरण अमीर भी करने लगे हों या फिर अहम् को त्यागकर पूजा करने की भावना ने इस मन्नत को जन्म दिया हो। लेकिन जब पूजा के लिए साधन की कमी न हो, तो पूजा से पहले मात्र ऐसी प्रक्रिया से गुजरना होता है। आप अपने अड़ोस पड़ोस में मांगकर उसमें अपने पैसे मिलाकर भी पूजा कर सकती हैं।
sanatan dharma in hindi
उस महिला ने बोला कि 5 -10 रुपये दे देने से आपका क्या नुक्सान हो जायेगा ? मैंने बोला, यह सच है कि 5-10 रुपये से मेरा भी कुछ नहीं जायेगा और आपका भी कुछ नहीं बनेगा, पर आप दिनभर मांगती रहीं, महीने भर मांगती रहीं तो या ५०००-१०००० भी हो सकता है। उस पैसे का दुरूपयोग तो हो ही सकता है। मैं आपको जानती ही नहीं, इस पैसे का दुरूपयोग हुआ तो आप ही नहीं, मैं भी पाप की भागी बनूंगी। उस महिला के सब्र का बाँध टूट गया, उसने कहा, पैसे देने हो तो दीजिए, इतना भाषण मत दीजिए। मैंने बोला, भाषण कैसे नहीं दूँगी, धर्म की आपकी गलत परिभाषा को मैं नहीं स्वीकार कर सकती। और पैसे तो मैं आपको किसी हालत में दूँगी ही नहीं। महिला जल्दी- जल्दी भागी। वैज्ञानिक दृष्टि वाले लोगों को तो कुछ कहना ही नहीं, धार्मिक दृष्टिकोण वाले लोगों से विनती है, धर्म भयभीत होने के लिए नहीं, हिम्मत बनाये रखने के लिए बनाया गया है। इसलिए धर्म के नाम पर उलूल-जुलूल को न स्वीकारें।
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