google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 चंद्र कुंडली कैसे देखें ?

चंद्र कुंडली कैसे देखें ?

Chandra Kundali kaise Dekhen

लग्न कुंडली और चंद्र कुंडली में क्या फर्क है ?

भारत में ज्योतिष का अध्ययन बहुत ही प्राचीन काल से हो रहा है। परंपरागत तौर पर ज्योतिष का सहारा लेकर  पंडितों के द्वारा हमारे यहां बच्‍चों की जो कुंडलियां बनायी जाती थी , उसमें लग्‍नकुंडली के अलावे चंद्रकुंडलियां भी बनी होती थी। आप देखेंगे तो पाएंगे कि किसी बच्‍चे की लग्नकुंडली और चंद्र कुंडली में अंतर होता है वह यह कि - सभी ग्रहों की स्थिति उन्‍हीं राशियों में मौजूद होती हैं , सिर्फ कुंडली के खाने बदल जाते हैं। चूंकि जहां ढाई दिनों तक जन्‍म लेनेवाले सभी बच्‍चों की चंद्रकुंडलियां एक जैसी होती हैं , वहीं लग्‍नकुंडली दो दो घंटे से कम समय में परिवर्तित हो जाती हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चन्द्रमा ढाई दिनों तक एक ही राशि में होता है, जबकि लग्न दो-दो घंटे में बदलते हैं। (chandra rashi kundali) कुंडली देखने का तरीका  समझने के लिए मैंने ब्लॉग में ग्रहों की गत्यात्मक शक्ति जांचने और उसके हिसाब से भविष्यवाणी करने के बारे में दो आलेख मैंने ब्लॉग में लिखे हैं। 

इसलिए लग्‍नकुंडली के हिसाब से चंद्रकुंडली बहुत ही स्‍थूल मानी जाती हैं, पर इसके बावजूद चंद्रकुंडली का महत्‍व प्राचीनकाल से अबतक बना हुआ है।  ज्‍योतिषी इन दोनो कुंडलियों को मिलाकर ही भविष्‍यवाणी करने की कोशिश किया करते हैं, वैसे अभी तक पूर्ण तौर से स्‍पष्‍ट नहीं हुआ है कि किस प्रकार की भविष्‍यवाणी लग्‍नकुंडली के आधार पर की जाए और किस प्रकार की चंद्रकुंडली के आधार पर। गत्यात्मक ज्योतिष भी चंद्रकुंडली के महत्व से इंकार नहीं करता, यह स्वीकार करता है कि किसी के मन पर प्रभाव डालनेवाली परिस्थितियाँ लग्नकुंडली नहीं, वरन चंद्र कुंडली के कारण ही बनती है। 

चंद्र कुंडली कैसे देखें ?

Chandra Kundali kaise Dekhen

Chandra kundli kya hai 

'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' की मान्‍यता है किसी व्‍यक्ति की लग्‍नकुंडली उसकी चारित्रिक विशेषताओं और उसके जीवनभर की परिस्थितियों के उतार चढ़ाव बारे में जानकारी देने में समर्थ है , यहां तक कि जातक के सभी संदर्भों के सुख दुख को भी उसकी लग्‍नकुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति से ही जाना जा सकता है। इसलिए चंद्रकुंडली के भावों के हिसाब से जातक के संदर्भ नहीं देखे जा सकते , संदर्भों को जानने के लिए जातक के लग्‍नकुंडली को ही देखा जाना चाहिए । यानि जातक की कुंडली में जो लग्नभाव है, उसके स्वामी और लग्न में स्थित ग्रहों से ही स्वास्थ्य की स्थिति देखी जानी चाहिए, धनभाव के स्वामी और धनभाव में स्थित ग्रहों से ही धन की स्थिति देखी जानी चाहिए।  इसी प्रकार लग्न के आधार में ही चौथे भाव, पंचम भाव, षष्ठ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, नवम भाव, दशम भाव, एकादश भाव, और द्वादश भाव को उनके भावधपति और उन भावों में स्थित ग्रहों से समझा जाना चाहिए। 

इसी नियम के तहत लग्‍नकुंडली के हिसाब से चंद्रमा जिस भाव का स्‍वामी हो या जिस भाव में चंद्रमा की स्थिति हो , उसका प्रभाव जानने में चन्द्रमा की शक्ति, यानी चन्द्रमा अमावस, पूर्णिमा या अष्टमी के आसपास का है , यह देखा जा सकता है। यदि जातक का जन्‍म पूर्णिमा के आसपास का हो , तो उन संदर्भों के सुख प्राप्‍त करने हेतु तथा यदि जातक का जन्‍म अमावस्‍या के आसपास हुआ हो , तो उन संदर्भों के कष्‍ट की वजह से जातक संबंधित संदर्भों में उलझा होता है। यदि जातक का जन्‍म अष्‍टमी के आसपास हो तो जातक उन संदर्भों के प्रति काफी महत्‍वाकांक्षी होता है। इसके अलावे जातक की अन्‍य प्रकार की मन:स्थिति को जानने में चंद्रकुंडली की महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है । चंद्रमा जिस भाव का स्‍वामी हो या जिस भाव में चंद्रमा की स्थिति होउन भावों पर जातक का ध्‍यानसंकेन्‍द्रण जीवन भर बना होता है। 

Chandra kundali ka mahatva 

हम सभी जानते हैं कि चंद्रमा मन का प्रतीक ग्रह है ,  किसी का कमजोर हो चन्द्रमा और बचपन पर उसका प्रभाव न पड़े, यह नहीं हो सकता। लग्नचन्दा योग का क्या कहना! चंदमा के अलावे भी चंद्रकुंडली में प्रथम भाव में जो ग्रह मौजूद हों, उसके साथ जातक का मन मौजूद होता है। इसलिए वे ग्रह लग्‍नकुंडली में जिन संदर्भों का प्रतिनिधित्‍व करते हों, वहां वहां जातक का ध्‍यान संकेन्‍द्रण बना होता है। इसके अलावे चंद्रकुंडली में चतुर्थ और दशम भाव बहुत महत्‍वपूर्ण होते हैं, इन स्‍थानों में जो ग्रह मौजूद हो, उन संदर्भों के लिए भी जातक बहुत क्रियाशील होता है। 

चंद्रकुंडली में षष्‍ठ भाव में मौजूद ग्रहों को भी हमने मनोनुकूल पाया है , यदि वे कमजोर भी हों , तो मन को तकलीफ पहुंचाने वाला कार्य नहीं किया करते हैं। चंद्रकुंडली में यदि सातवें भाव में ग्रह मौजूद हो , तो वे कमजोर होते हैं , उन ग्रहों से जातक को कोई खास सहयोग नहीं मिल पाता , इसलिए इनके जीवन में उनका अधिक महत्‍व नहीं होता । चंद्रकुंडली में आठवें स्थित ग्रह लग्‍नकुंडली से भी अधिक कष्‍टकर देखे गए हैं , ये मन को बारंबार कष्‍ट पहुंचाते हैं , लग्न कुंडली और चंद्र कुंडली में अंतर यही है कि लग्‍नकुंडली के हिसाब से जिन जिन भावों के ये मालिक होते हैं , उन संदर्भों का तनाव इन्‍हें झेलने को विवश होना पडता है।

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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