Survival of the fittest meaning in hindi
विश्व की जनसँख्या को समझने के जितने भी प्रयास हुए, उसमे माल्थस के सिद्धांत को सबसे अधिक मान्यता मिली। बिल्कुल प्राकृतिक ढंग से उन्होंने समझाया कि विकास के क्रम में संसाधनों की बढ़ोत्तरी जनसँख्या की तुलना में काफी कम होती है। संसाधन १-२-३-४-५-६ की गति से बढ़ते हैं, जबकि जनसँख्या १-२-४-८-१६-३२ की गति से बढ़ती है। समय के साथ इनमे तालमेल नहीं आ पाता, बढ़ती हुई जनसँख्या खुद को नियंत्रित न करके अप्राकृतिक ढंग से संसाधनों का दोहन करती है और अस्वास्थ्यकर भोजन लेने को मजबूर होती है। इसलिए संतुलन बनाने के लिए प्रकृति को जनसँख्या कम करने हेतु बाढ़, भूकंप, अकाल, महामारी आदि का सहारा लेना पड़ता है।
theory of Malthus
जबतक प्राकृतिक ढंग से प्रकृति द्वारा दी गयी सुविधाओं का आप उपयोग करेंगे, प्रकृति आपके लिए वरदान बनी रहेगी। पर जब भी, जहाँ भी अप्राकृतिक ढंग से संसाधनों का दुरूपयोग होगा, प्रकृति को दंड देने में तनिक भी देर न लगेगी। यह कोरोना वायरस जहाँ से भी आया हो, चाहे यह किसी के दिमाग की उपज हो या प्राकृतिक ढंग से ही आया हो, पर मानव जाति को कुछ न कुछ सीखने के लिए ही आया है। पूरे विश्व में खासकर विकासशील देशों में पिछले 25 वर्षों विकास की अंधी दौड़ वाली जीवन-शैली ने मनुष्य होने का अहसास ही समाप्त कर दिया था। मेडिकल सुविधाओं ने लोगों को इतनी हिम्मत दे दी थी कि हमारे देश के बडी कहावत 'एहतियात इलाज से बेहतर है' की धज्जियाँ उड़ने लगी।
manau jati aur jeevanshaili
हमने 1970 के दशक में होश सँभाला था। माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी के व्यवहार में साफ़ एहतियात देखा था। क्या-क्या किया जाये, ताकि जीवन में उलझने कम हों, उन्होंने हमें भी यही सिखाया था। अपनी जीवनशैली को उस ढंग से जीने की हमने भी कमोबेश कोशिश की। तन-मन-धन-संपर्क- सबको मजबूत बनाने की कोशिश, इसका पालन जो नहीं करेगा, उसे प्रकृति माफ़ नहीं करेगी। डार्विन ने 'survival of the fittest' यानि 'योग्यतम की उत्तरजीविता' के सिद्धांत को देकर इस बात पर मुहर लगायी कि प्रकृति का काम दुनिया को सुन्दर बनाना है। वायरस दुनिया से समाप्त होनेवाला नहीं , पर उत्तम लोग यहाँ कई वायरस के प्रकोप के बाद भी बने रहेंगे। कोरोना के मामले में प्रकृति के द्वारा योग्यतम होना ऐसे माना जा सकता है :--------
- जो जीवन-शैली से मजबूत हैं - जिन्हे साफ़-सफाई की आदत है, बाहर से आने के बाद चप्पल-जूत्ते घर से बाहर बरामदे में, कपडे बदलकर, पैर-हाथ धोकर खाते-पीते आये हैं, घर का बना खाना खाते-पीते आये हैं, साफ़-सफाई का पूरा ध्यान रखने के कारण कोरोना से सन्क्रमण की संभावना कम बनेगी।
- जो तन से मजबूत हैं - जिन्हे कोरोना का संक्रमण तो हो गया, लेकिन नियम से खाने-पीने की आदत के कारण अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता से इसे जीतकर बाहर आने की संभावना बनेगी।
- जो धन से मजबूत हैं - जिन्हे कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए हर तरह के साधन उपलब्ध हैं। वे घर में बैठकर हर सुविधाएँ लेकर खुद को बचाने की संभावना बनेगी।
- जो समझ से मजबूत हैं - जिन्होंने माहौल को देखा, समझा, उसके हिसाब से घर में बैठ गए। बेवजह बाहर न निकलने की समझदारी दिखाने से कोरोना से बचने की संभावना बनेगी।
- जो मन से मजबूत हैं - ऐसे समय में मन से मजबूत होना बहुत आवश्यक है, मन के मजबूत होने से कोरोना के साथ साथ दूसरी बीमारियों से भी बचने की संभावना बनेगी।
- जिनपर पूर्वजों का पुण्य है - कुछ दिन पहले मैंने लिखा था कि आपका कर्म आपके समक्ष मौजूद दो पीढ़ियों के लिए व्यवस्था कर सकता है, पर आपका धर्म आनेवाली दो पीढ़ियों की व्यवस्था करता है। इस दृष्टि से जिनके पूर्वजों ने धर्म कमाया होगा, उनकी संतान के साथ प्रकृति न्याय कर सकती है।
- नेतृत्व से मजबूत - आपके पास नेता कैसा है ? यह भी आपके, आपके समाज और आपके देश को योग्यतम बना सकता है।
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