Astrology in hindi meaning
प्राचीन काल से अबतक के विकास के लिए बनने वाले हर कार्यक्रम में हमें पूर्वानुमान करने की आवश्यकता पडती है। इस पूर्वानुमान को करते वक्त हमें आधार के रूप में सिर्फ अपने ही जीवनभर का नहीं , पूर्वजों के द्वारा संचित अनुभव का भी सहारा लेना पडता है। इस मामले में भिन्न भिन्न लोगों का नजरिया भिन्न भिन्न प्रकार का होता है , कुछ मानते हैं कि भविष्य बिल्कुल अनिश्चित है और पूर्वानुमान कर पाना असंभव है ,तो कुछ पूर्वानुमान करने के लिए आसपास होनेवाले क्रियाकलापों पर ध्यान रखते आए हैं।
इसी क्रम में मनुष्य से लेकर पशु पक्षी तक के शारिरीक बनावट से लेकर व्यवहार तक के अध्ययन से व्यक्ति और पशु के चारित्रिक बनावट और उसके भविष्य को जानने का प्रयास किया जाता रहा है। खासकर भारतवर्ष में तो किसी प्रकार की भविष्यवाणी करने के लिए अनेक विधियां प्रचलित हैं .......
Mastak Rekha bhavishya(Astrology in Hindi meaning)
1. हमारे समाज में अनेक साधु महात्मा ऐसे मिल जाएंगे , जो किसी के मस्तिष्क की रेखाओं को देखकर भविष्य का अनुमान लगा लेते हैं। मनुष्य के चिंतन का माथे से संबंध है , हो सकता है खास चारित्रिक विशेषता रखनेवाले लोगों के माथे में खास तरह की लकीरें हुआ करती हो , जिससे ज्ञानी पुरूषों को माथे की लकीरें देखकर ही बच्चे के भविष्य का अनुमान लगाने में मदद मिलती हो , पर यह विधा न तो उतनी स्पष्ट है और न ही सटीक , शायद इसी कारण इसका प्रचार प्रसार कम हो पाया और इस तरह का ज्ञान रखनेवाले कम ही लोग हमें दिखाई देते हैं।
Body construction forecast
2. शरीर में स्थित तिल , मस्से और अन्य प्रकार के दागों , चेहरे की बनावट ही नहीं , शरीर के अन्य अंगों की बनावट को देखते हुए भी व्यक्ति के चारित्रिक विशेषताओं को लेकर समाज में कहीं कहीं पर कई धारणाएं बनीं हुई हैं। इस प्रकार के आकलन को अंधविश्वास ही माना जा सकता है , फिर भी बहुत इलाकों में बहू या दामाद के चुनाव में इसका ध्यान रखा जाता है। इतना ही नहीं , इन लक्षणों को देखते हुए माता पिता के द्वारा अपने बच्चों के भविष्य की भी चर्चा की जाती है। पर जबतक बडे स्तर पर शोध न हो , यह कोई वैज्ञानिक विधा तो नहीं मानी जा सकती , इसलिए इनका कोई महत्व नहीं।
Haast rekha bhavishya
3. किसी व्यक्ति के शारिरीक , मानसिक , आर्थिक पहलूओं तथा भविष्य को जानने के लिए उसकी हस्तरेखा को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है , इसे पूर्ण तौर पर एक शास्त्र के रूप में विकसित किया गया है। विशेषज्ञ हस्तरेखाओं को देखकर जातक के बारे में 'सबकुछ' जानने का दावा करते हैं , वैसे मुझे अभी तक ऐसा कोई विशेषज्ञ नहीं मिला , जिससे इसकी पुष्टि हो जाए। किसी भविष्यवाणी की सार्थकता उसको समय के सापेक्ष बनाने में हैं , जबकि हस्तरेखा विज्ञान में 5 या 6 इंच की एक रेखा जीवनभर यानि 100 वर्षों तक की कहानी कहती है। किसी घटना का समय निकालने में बाधा आएगी ही , जो इस विधा की सबसे बडी कमजोरी है।
Ank vidya
janmakundali
5. जन्म के समय के ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर जन्मकुंडली बनाकर किसी व्यक्ति के चारित्रिक विशेषताओं और उसके जीवन भर के बारे में भविष्यवाणी करने की विधा ज्योतिष शास्त्र है। इसके द्वारा जातक की चारित्रिक विशेषताओं , उसकी मन:स्थिति , उसके विभिन्न संदर्भों के सुख दुख और उसकी जीवनयात्रा में आनेवाले उतार चढावों की समय सापेक्ष भविष्यवाणी करना आसान और सटीक होता है। खुले आसमान की तरह ही इसके आयामों की कोई सीमा नहीं , आप रिसर्च में जितना ही आगे बढते जाएंगे , सांकेतिक तौर पर प्रकृति के रहस्यों का उतना ही पर्दाफाश होता जाएगा।
Qulitative discussion
पर इसकी भी एक सीमा है , ज्योतिष के द्वारा ग्रह नक्षत्रों की सहायता से आप किसी जातक के , किसी देश के गुणात्मक पहलुओं की चर्चा कर सकते हैं , परिमाणात्मक पहलुओं की नहीं। क्यूंकि परिमाणात्मक पहलू जातक के जन्म जन्मांतर के कर्मों के फल होते हैं और ग्रह नक्षत्रों से उसका कोई संबंध नहीं होता। हमने पाया है कि जन्म जन्मांतर के कर्मों के फल के अंतर से एक ही आकाशीय स्थिति में एक ही समय में कोई व्यक्ति मंत्री या सेनापति के घर , तो कोई गरीब के झोपडे में जन्म ले लेता है। पुन: इस जन्म का माहौल और उसके कर्म पर उसके विभिन्न संदर्भों के परिमाणात्मक पहलू निर्भर होते हैं , जिसके बारे में किसी की कुंडली देखने से नहीं जाना जा सकता।
Aadhyatmik gyan
6. पर हमारे ग्रंथों में ऋषि महर्षियों द्वारा की जाने वाली कुछ ऐसी भविष्यवाणियों की चर्चा है , जो अकाट्य हुई हैं। वैसे तो इन प्राचीन कथाओं को मैं विज्ञान गल्प कथा भी मानती हूं , जिसमें हमारे पूर्वजों द्वारा कल्पना में भविष्यवाणी को इतनी दूर तक ले जाने की कल्पना की गयी हो । पर इस प्रकार की घटना या भविष्यवाणी को यदि सत्य माना जाए , तो इसका कारण आध्यात्म मान जा सकता है , जिसके सहारे जातक के जन्म जन्मांतर के कर्मों को जानने की क्षमता हमारे प्राचीन ऋषि महर्षियों को थी। नियमित तपस्या के कारण वे प्रकृति के बहुत निकट थे , किसी जातक को देखकर जन्म जन्मांतर में उसके द्वारा अर्जित किए गए प्वाइंट्स को समझना उनके लिए कठिन न था.
जन्मकुंडली के द्वारा इस अर्जित प्वाइंट्स का किस क्षेत्र में उपयोग हो पाएगा , उसको भी वे आध्यात्म के सहारे भली भांति समझ सकते थे , इसलिए बिल्कुल सही और अकाट्य भविष्यवाणी कर पाने की क्षमता हमारे प्राचीन ऋषि महर्षियों को थी । आज ज्योतिष या हस्तरेखा या न्यूमरोलोजी के जानकार ऐसा दावा करें , तो यह विश्वास करने योग्य नहीं। यदि उनमें सचमुच ऐसी शक्ति है , तो ज्योतिष , हस्तरेखा या न्यूमरोलोजी के साथ साथ खुद के सहारे ऐसी भविष्यवाणी करके दुनिया भर के लोगों को चकित कर सकते हैं ।
7. गत्यात्मक ज्योतिष - जिसके जन्मदाता श्री विद्यासागर महथा जी हैं , इन्होने इस पद्धति से सटीक भविष्यवाणी की विधा विक्सित की है। गत्यात्मक ज्योतिष के द्वारा किसी भी व्यक्ति के पुरे जीवन के उतार-चढ़ाव का ग्राफ खिंचा जा सकता है।