गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष शास्त्र के अनुसार ......


Astrology in Hindi kundali

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शारीरिक विकास 

अन्‍य पशुओं की तरह ही गर्भ में भ्रूण के रूप में ही प्रतिदिन हमारा शारीरिक विकास आरंभ हो जाता है और वह जन्‍म के बाद भी पूरे जीवन जारी रहता है, पर जन्‍म के कुछ ही दिनों बाद हमारे मन के विकास की बारी आती है। अपनी शारीरिक आवश्‍यकताओं के पूरी होने मात्र से हमारा मन खुश होता है , जिसके कारण हमलोग खुश होकर हंसते है और आवश्‍यकताओं के पूरी नहीं होने से दुखी होकर रोते है। 

गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्‍य के मन को विकास देने में जन्‍मकालीन चंद्रमा की भूमिका होती है। इसके कारण जन्‍मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत हो , तो बच्‍चे की देख रेख बहुत ही अच्‍छे तरीके से होती है, विपरीत स्थिति में बच्‍चे के देखरेख में कुछ कमी आती है। अपने धनात्‍मक या ऋणात्‍मक माहौल को देखते हुए ही बाल मन का मनोवैज्ञानिक विकास का बढिया क्रम जारी रहता है या फिर अवरूद्ध होता है। kundli kaise dekhen

ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से मानसिक विकास 

jyotish ke ganit sutra ke hisab se बालक के थोडे बडे होते जाने के साथ साथ उसका मन सिर्फ शारिरीक आवश्‍यकताओं की ओर ही न केन्द्रित होकर अपनी रूचि पर भी केन्द्रित होता जाता है। आसपास के माहौल के अनुसार उसे अन्‍य कई चीजों की आवश्‍यकता पडती है। रूचि का खाना , खेलने के लिए नए नए साधन और शैतानी करने के लिए भरपूर वातावरण। जिनको ये सबकुछ आराम से मिल जाता है , वे जीवनभर अपने मन के आवेग को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं। जीवनभर जो इच्‍छा हुई , उसे पूरी करने के लिए उन्‍हें कसमसाहट सी होती रहती है।

पर जिन्‍हें बचपन में ही हर वक्‍त डांट फटकार लगती रहती है , या अपने अन्‍य भाई , बहनों या अडोसी पडोसी को अधिक प्‍यार या साधनसंपन्‍न देखकर आहे भरते हैं और अपने मन की इच्‍छा को जीवनभर के लिए नियंत्रित करना सीख जाते हैं। गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष शास्त्र के अनुसार यह वातावरण थोडा बहुत बढता या घटता रहता है , पर किसी बालक के मन पर चंद्रमा का सर्वाधिक अच्‍छा या बुरा प्रभाव पांचवे और छठे वर्ष पर पडता है , इसलिए इन वर्षों में हुई घटनाओं से किसी व्‍यक्ति का मन जीवनभर के लिए प्रभावित हो जाता है और उसी के अनुरूप कार्य करता है।  चंद्र कुंडली या जन्‍मकुंडली में स्थित अन्‍य ग्रह उसके मन के अनुसार कार्यक्रम बनाने में सहयोग देते हैं। 

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बौद्धिक विकास 

6ठे वर्ष से बालक के बुद्धि का विकास बिल्‍‍कुल हल्‍के फुल्‍के ढंग से होता है , जो 12 वर्ष की उम्र से बढते हुए 18 वर्ष की उम्र तक अपने चरम सीमा पर पहुंच जाता है। 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' की दृष्टि से किसी भी व्‍यक्ति के बुद्धि के विकास में बुध ग्रह की अहम् भूमिका होती है। जिनकी जन्‍मकुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है , उसके बौद्धिक विकास के लिए 12वें वर्ष में मनोनुकूल परिस्थितियां उत्‍पन्‍न हो जाती हैं। आवश्‍यक नहीं कि ये पढाई लिखाई से संबंधित ही हो , किसी प्रकार की कला , कोई रोजगार , यहां तक कि असामाजिक कार्यों में भी उनका प्रवेश हो सकता है , पर उसमें छिपे हर ज्ञान को सीखने में वे महारत हासिल कर सकते हैं , पर उसमें उसकी रूचि होती है। क्‍यूंकि बुध का नैतिक मामलों से कोई संबंध नहीं , इसलिए कोई आवश्‍यक नहीं कि बुध मजबूत हो तो बच्‍चा नैतिक मूल्‍यों पर आधारित ज्ञान ही प्राप्‍त करेगा , वह किसी भी तरह को ज्ञान प्राप्‍त कर सकता है। यह देश , काल और समाज पर पूर्ण तौर पर आधारित होता है , इसलिए विद्यार्थियों को नैतिक ज्ञान देने के लिए हमारे खुद के प्रयास होने चाहिए, ग्रहों की उसमें कोई भूमिका नहीं ।

इसके विपरीत , जिनकी जन्‍मकुंडली में बुध कमजोर होता है , उनके बुद्धि के विकास के लिए रूचि का ज्ञान नहीं मिल पाता। उसे ऐसा माहौल मिलता है , जिसके कारण वे कर तो कुछ और होते हैं , जबकि उनकी रूचि अन्‍य जगहों पे होती है। इस कारण उनके बुद्धि का विकास सही ढंग से नहीं हो पाता है। 18वे वर्ष में उनकी परिस्थितियों की गडबडी चरम सीमा पर होती हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार करियर और परिवार 

गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष शास्त्र के अनुसार 24 वर्ष की उम्र तक अपने अध्‍ययन या प्रशिक्षण को पूरी कर लेने के बाद के बाद हर व्‍यक्ति अपने मन और बुद्धि के हिसाब से अपने कैरियर या बाकी जीवन के लिए कार्यक्रम बनाते हैं। यदि विद्यार्थी जीवन के दौरान उसने नैतिक शिक्षा ली है , तो उसके किसी भी कार्यक्रम में नैतिक मूल्‍यों का समावेश अवश्‍य होगा। पर यदि उस समय वे गुमराह रहे हों , तो उनके कार्यक्रमों में नैतिक मूल्‍य मौजूद नहीं होंगे। 

वह अपने सुख भोग या धन और पद के लालच में कोई भी कदम उठा सकत है। पर कभी कभी नैतिक मूल्‍यों से भरे हुए व्‍यक्ति को भी परिस्थितियां कुछ गलत करने को मजबूर कर देती हैं। अपने मन या बुद्धि का गलत उपयोग करनेवाले व्‍यक्ति को अपनी अंतरात्‍मा की ओर से निरंतर चेतावनी मिलती रहती है , उसके समक्ष हमेशा अपने कर्म की सजा भुगतने का भय बना होता है , पर वे इसे अनसुना करके और कभी किसी प्रकार के दबाब में आकर वे उस पथ पर आगे बढते रहते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आध्यात्मिक विकास 

गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्‍य की आत्‍मा , जो कि परम पिता परमात्‍मा का ही अंश है , बहुत ही न्‍यायी होता है। पर यह आत्‍मा सूर्य से प्रभावित होती है , जन्‍मकुंडली में जिनका सूर्य मजबूत होता है , वे अपनी आत्‍मा के कहने के उलट काम नहीं कर पाते और इस कारण इन्‍हें गलत करने से परहेज होता है। पर जन्‍मकुंडली में जिनका सूर्य कमजोर होता है , वे सुख सुविधा की चकाचौंध में भविष्‍य में होनेवाले परिणामों की चिंता किए वगैर नैतिक मूल्‍यों के पतन के साथ खुद आगे बढते रहते हैं। 

क्षणिक लाभ, क्षणिक मोह ममता में पडकर वे अपने भविष्‍य का बडा नुकसान करते हैं। सूर्य के कारण ही ऐसे लोगों का जीवन 45 वर्ष की उम्र से बहुत ही कष्‍टकर दिखाई पडता है। कम से कम 54 वर्ष की उम्र तक उन्‍हें इसकी कडी सजा मिलती है। ये 9 वर्ष इनके जीवन के लिए काफी कठिन हो जाता है। वैसे 55वें वर्ष में थोडी राहत अवश्‍य मिल जाती है , पर इतने तनाव में 9 वर्ष व्‍यतीत करने को बाध्‍य हों , उससे अच्‍छा है कि हम कोई गलत काम करने से बचे और थोडे में ही सुख और चैन से जीएं।

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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