मेरे द्वारा रची गयी गत्‍यात्‍मक भृगुसंहिता नष्‍ट

 

Bhrigu Samhita online reading

गत्यात्मक ज्योतिष ने आज के आधुनिक युग के अनुरूप गत्यात्मक भृगु संहिता के लेखन की दिशा में बड़ा काम किया है। पिछले दो कडी में मैने भृगुसंहिता के बारे में कुछ जानकारियां दी थी , पर दूसरे सामयिक मुद्दों में व्‍यस्‍तता बन जाने से उसकी आगे की कडी में रूकावट आ गयी थी। जहां पहली कडी में मैने इस कालजयी रचना के आधार को बताया था , वहीं दूसरी कडी में मैने अपने पिताजी के द्वारा लिखी जा रही गत्‍यात्‍मक भृगुसंहिता के अधूरे ही रह जाने की जानकारी दी थी। 

अपनी जबाबदेही के समाप्‍त होने के बावजूद प्रकाशकों के किसी प्रकार की दिलचस्‍पी न लेने से मेरे पिताजी गत्‍यात्‍मक भृगुसंहिता का आधा भाग लिखने के बाद उसे और आगे न बढा सके तथा उनके द्वारा लिखा गया गत्‍यात्‍मक भृगुसंहिता का आधा भाग मेरे पास ज्‍यों का त्‍यों सुरक्षित रहा। उनके अधूरे सपने को पूरा करने की दृढ इच्‍छा होने के कारण इस गत्‍यात्‍मक भृगुसंहिता को भी पूरा करने की लालसा मेरे भीतर उमडती तो अवश्‍य थी , पर मुझमें इतनी योग्‍यता भी नहीं थी कि उनकी भाषा से सामंजस्‍य बनाकर इसका आधा भाग लिख सकूं और पिताजी आगे बढने को तैयार ही नहीं थे, इस कारण मैं मायूस थी।

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पर जीवन में नित्‍य नए नए प्रयोग करते रहने के शौक ने मुझे शांत बैठने नहीं दिया और मैने ’गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के सूत्रों को कंप्‍यूटर में डालकर उसके द्वारा किसी व्‍यक्ति के जीवन के उतार चढाव और अन्‍य प्रकार के सुख दुख से संबंधित ग्राफों को प्राप्‍त करने के लिए 2002 में कंप्‍यूटर इंस्‍टीच्‍यूट में दाखिला ले लिया। 2003 में मैने एम एस आफिस सीखने के क्रम में ही ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के सूत्रों पर आधारित मैने पहला प्रोग्राम एम एस एक्‍सेल की शीट पर बनाया , जिसमें जन्‍मविवरण डालने के बाद कुछ मेहनत भी करनी पडती थी , पर वह हमारे सिद्धांतों के अनुरूप ही हर प्रकार के ग्राफ देने में सफल था। पर मुख्‍य मुद्दा तो उसके लिए भविष्‍यवाणियां दे पाना था , जिसके लिए एक्‍सेल ही पर्याप्‍त नहीं था।

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जब मै एम एस वर्ड के 'मेल मर्ज' प्रोग्राम को समझने में समर्थ हुई , भृगुसंहिता तैयार करने के लिए एक शार्टकट रास्‍ता नजर आ ही गया। पिताजी के द्वारा छह लग्‍न तक के तैयार किए गए वाक्‍यों को चुन चुनकर 'मेल मर्ज' का उपयोग करके बारहों लग्‍न तक की भविष्‍यवाणियां तैयार की जा सकती थी। 

पर भले ही यह शार्टकट था , पर इसमें भी कम मेहनत नहीं लगनी थी , क्‍यूंकि जहां भृगुसंहिता के ओरिजिनल में 1296 प्रकार के फलादेश और पिताजी के लिखे गत्‍यात्‍मक भृगुसंहिता में 2016 अनुच्‍छेद होते , वहीं मेरे द्वारा कंप्‍यूटर में तैयार होनेवाले इस गत्‍यात्‍मक भृगुसंहिता में 40,320 अनुच्‍छेद या इसे पृष्‍ठ ही कहें , क्‍यूंकि तबतक ग्रहों की अन्‍य कई प्रकार की शक्तियों की खोज की जा चुकी थी।

 पिताजी के लिखे भाग से मुख्‍य वाक्‍यों को श्रेणी बनाकर अलग करना , उसे एम एस एक्‍सेल में ग्रहों की शक्ति के आधार पर 40 तरह के शीट बनाकर 12 ग्रहों * 12 राशियों = 144 सेल तक लिखना , फिर सभी ग्रहों की 7 ग्रहों के बारे में अगले पन्‍नों पर भिन्‍न भिन्‍न बातों को लिखकर उससे उन 144 शीटों का मेल मर्ज करना आसान तो नहीं था, मुझे इसमें एक वर्ष से उपर ही लगे। पर इससे 12 * 12 * 7 * 40 = 40,320 पन्‍नों की एक भृगुसंहिता तैयार हो गयी , अपने सपने को पूरा हुआ देखकर मुझे खुशी तो बहुत हुई ,मुझे लगा की इस प्रकार मैं गत्यात्मक भृगु संहिता को ऑनलाइन एक एक तक पहुंचा सकती हूँ।

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पर इसे पढने पर मुझे ऐसा महसूस हुआ कि इसे बनाने में मुझे थोडा समय और देना चाहिए था, लेकिन मैं आत्म विश्वास में थी कि ऐसा करना संभव है। खुद की लिखी भाषा और कंप्‍यूटर के द्वारा तैयार की जानेवाली भाषा में कुछ तो अंतर होता ही है , भविष्‍यवाणियां बहुत स्‍वाभाविक ढंग से लिखी गयी नहीं लग रही थी , पर प्रयोग के समय एक एक अनुच्‍छेद को एडिट करते हुए इसे सामान्‍य बनाना कठिन भी नहीं था। कुछ दिनों तक एडिट कर और प्रिंट निकालकर मैने इसकी भविष्‍यवाणियां लोगों को वितरित भी की , खासकर भविष्‍यवाणियों का उम्र के साथ तालमेल काफी अच्‍छा था , जो इसे लोकप्रिय बनाने के लिए काफी था। लोग ऑनलाइन इसे पढ़ सकते थे।

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‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के अनुसार एक्‍सेल प्रोग्राम में किसी व्‍यक्ति का जीवन ग्राफ जो भी दर्शाता था , उसे यह प्रोग्राम शब्‍दों में बखूबी अभिव्‍यक्‍त कर देता था। यह प्रोग्राम अंदर किसी फोल्‍डर में पडा था , बार बार प्रयोग के क्रम में दिक्‍कत होने से मैने डेस्‍कटाप पर ही इसका शार्टकट बना लिया था। पहली बार कंप्‍यूटर को फारमैट करने की नौबत आयी , सारे फाइलों को सीडी में राइट करके रखा गया , पर अनुभवहीनता के कारण इस प्रोग्राम को कापी करने की जगह इसकेशार्टकट को ही कापी कर लिया गया और कंप्‍यूटर फारमैट हो गया और इसके साथ ही सारी मेहनत फिर से बेकार। 

पर 40 शीटों के एक्‍सेल के उस फाइल का सीडी में बच जाना बहुत राहत देनेवाला था, क्‍यूंकि उसके सहारे कभी भी नई गत्‍यात्‍मक भृगुसंहिता तैयार की जा सकती थी। लेकिन अधिक तैयारी करने में अधिक देर हो जाती है , पर अभी तक उसपर काम करना संभव न हो सका। अगली कडी में इस बात की चर्चा करूंगी कि गत्‍यात्‍मक भृगुसंहिता के निर्माण के लिए मेरा अगला कदम क्‍या होगा ??

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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