jyotish samasya
गणित ज्योतिष जैसे वैदिक कालीन ज्ञान पर आधारित होने के बावजूद भी फलित ज्योतिष इसलिए विवादास्पद है , क्योंकि यह ग्रहों का मानव पर पडने वाले प्रभाव की कहानी कहता है , जबकि वैज्ञानिक इसे मानने को तैयार नहीं हैं। इतने वर्षों से यह लोगों का विश्वास जीतने में सफलता नहीं प्राप्त कर सका है , जाहिर है अपनी खूबियों के साथ ही साथ कई कमजोरियों को भी यह झेल रहा है। अपने आरंभिक अध्ययन काल में गत्यात्मक ज्योतिष ने परंपरागत फलित ज्योतिष में दो कमजोरियां पाई थी ..
Jyotish vigyan ke bare me
1. ग्रहों के शक्ति निर्धारण की , जिसके लिए ज्योतिष में कम से कम बारह या उससे अधिक सूत्र हैं , पर विज्ञान मानता है कि किसी भी शक्ति को मापने का एक सूत्र होना चाहिए , बारह सूत्रों में मालूम कैसे हो कि कुंडली में कोई ग्रह बलवान है या कमजोर, जो ज्योतिष को विवादास्पद बनाने के लिए काफी है ।
2. ग्रहों के दशाकाल निर्धारण की , यानि किसी खास ग्रह का अच्छा या बुरा प्रभाव कब पडेगा , जिसके लिए कोई विंशोत्तरी पर आधारित हैं , कोई कृष्णमूर्ति पर , कोई गोचर पर तो कोई अभी तक उलझे ही हुए हैं कि सत्य किस माना जाए , अब मालूम कैसे हो कि जो ग्रह कमजोर हैं , उसका बुरा या जो ग्रह मजबूत हें , उसका अच्छा प्रभाव कब पडेगा ?
Jyotish vigyan hai
‘गत्यात्मक ज्योतिषीय अनुसंधान संस्थान’ इन दोनो कमजोरियों को दूर करने का एक प्रामाणिक सूत्र तैयार कर चुका है और मेरी एक पुस्तक ‘गत्यात्मक ज्योतिष : ग्रहों का प्रभाव’ के द्वारा वह जनसामान्य के द्वारा उपयोग में भी लायी जा रही है। ‘गत्यात्मक शक्ति’ निकालने के सूत्र और ‘गत्यात्मक दशा पद्धति’ और ‘गत्यात्मक गोचर प्रणाली’ की खोज के बाद अब ज्योतिष टटोलने वाला विज्ञान नहीं रहा।
ज्योतिष को उसकी कमजोरियों से छुटकारा दिलाने के लिए पूरे जीवन किए गए प्रयास के बाद समझ में आ ही गया कि ग्रहों की सारी शक्ति उसकी गति में है। उन्होंने गत्यात्मक ज्योतिष के अद्भुत सूत्र दिए। हमें बंदूक की एक छोटी सी गोली में शक्ति दिखाई पउती है , एक पत्थर का टुकडा लेकर हम अपने को बलवान समझते हैं , क्योंकि इन्हें गति देकर इनसे शक्ति उत्सर्जित करवाया जा सकता है। पर जब ग्रहों की शक्ति ढूंढने की बारी आती है तो ज्योतिषी उनकी गति पर ध्यान न देकर स्थिति पर होता है। इसके बाद इन्होने ग्रहों की शक्ति के लिए सूत्र का प्रतिपादन कर पूरे देश के ज्योतिषियों को ज्योतिष के वास्तविक स्वरूप को समझाया और कुंडली देखने का तरीका बताया ।
शरीर ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें मौजूद ग्रंथियां ग्रहों के हिसाब से चलती हैं। इसलिए व्यक्ति के जीवन को निर्धारित करने में ग्रहों का हाथ है ,और इसे ज्योतिष के माध्यम से ही समझा जा सकता है। ज्योतिष को विकसित बनाने के लिए जहां एक ओर ज्योतिषियों को इसकी समस्त कमजोरियों को समझकर इसे सुलझाने की जरूरत है ,वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिकों को भी इसमें निहित सत्य को समझने की आवश्यकता है। तभी ज्योतिष का विकास हो सकता है , अन्यथा कितने 'ज्योतिष दिवस' आते जाते रहेंगे , न ज्योतिष और न ही ज्योतिषी को सम्मान मिलेगा। समाज उन्हें अंधविश्वासी न समझे , इसलिए भीड में लोग ज्योतिषी से बात करने से भी कतराते रहेंगे।