Jyotish shastra hindi
प्राचीन काल के आदि मानव से आज के विकसित मनुष्य बनने तक की इस यात्रा में मनुष्य के पास अनुभवों के रूप में क्रमश: जो ज्ञान का भंडार जमा हुआ , वो इतनी पुस्तकों , इतने पुस्तकालयों और वेबसाइट के इतने पन्नों में भी नहीं सिमट पा रहा है। एकमात्र प्रकृति में इतने सारे रहस्य भरे पडे हैं कि प्रतिदिन हजारों की संख्या में अभी तक करोडों शोध पत्र दाखिल किए जा रहे हैं , फिर भी उसका अंत नहीं दिखाई देता। प्रकृति के एक एक व्यक्ति , एक एक जीव और एक एक कण में खासियत ही खासियत .. जितना अभी तक पता चल पाया है , उसका हजारगुणा या लाखगुणा ढूंढा जाना बाकी है , वो भी नहीं कहा जा सकता।
Vigyan kya hai ?
विज्ञान शब्द विशेष और ज्ञान से बना है , यह विशेष ज्ञान हमें अनुभव के आधार पर प्राप्त होता है। मानव मस्तिष्क बहुत ही जिज्ञासु होता है , जब हम बारबार एक जैसी घटना को होते देखते हैं , तो उसका कारण ढूंढने के लिए प्रयत्नशील होते हैं । उस वक्त हमें कई कारण दिखाई पडते हैं , पर सारा सत्य नहीं होता। निरीक्षण , परीक्षण और प्रयोग के बाद हम कार्य और कारण में संबंध ढूंढने में सफल हो जाते हैं , तो हमें विशेष ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। पर प्रकृति के नियम इतने सरल भी नहीं कि कोई एक नियम अवश्यंभावी तौर पर कार्य करे , दस बीस प्रतिशत जगहों पर अपवाद मिल ही जाते हैं, जिसके कारण पुन: नए नए नियमों की स्थापना होती चली जाती है। इस प्रकार विज्ञान का कभी अंत नहीं होता , विज्ञान कभी विकसित नहीं हो सकता , यह हमेशा विकासशील बना रहता है।
Paramparagat paddhati
जिस तरह प्रकृति में विज्ञान के सारे नियम चलते रहते हैं , पर उसका ज्ञान हमें बाद में होता है , उसी प्रकार मनुष्य ने विज्ञान का उपयोग तो पहले शुरू कर दिया था , पर उसके नियम उसे धीरे से मालूम हुए। पर प्रकृति अपने आप में संपूर्ण है , वह हर प्रकार का संतुलन स्वयमेव करती है। प्रकृति की घटनाओं को देख देखकर परख परखकर मनुष्य नियमों की स्थापना करता रहा है। विश्व के हर युग में और अलग अलग क्षेत्र में प्रकृति के नियमों को देखते और समझते हुए ही विभिन्न प्रकार की परंपरागत पद्धतियां विकसित की जा सकी। पुन: आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है , प्रकृति के ही नियम की सहायता लेते हुए अपनी सुविधा के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरण भी विभिन्न युगों मे मानव ने बनाए हैं।
Gyan ke prakar
कला का अधिक संबंध अभ्यास से होता है , वैसे तो विभिन्न प्रकार की कलाओं में भी विज्ञान छुपा होता है , पर बहुत थोडी मात्रा में। प्राचीन काल से ही प्रकृति में होनेवाली किसी घटना के नियम के जानकार उसे लोगों से छुपाने का अभ्यास करते हुए या कभी कभी उसकी जानकारी देते हुए भी हाथ की सफाई से किसी कला को दिखाया करते थे। पर उसमें मुख्य तत्व मन की तल्लीनता होती है , जिसके कारण किसी कला को अधिक विकसित किया जा सकता है। अपने ज्ञान को सही ढंग से किसी के सामने रख पाना , किसी को सिखला पाना भी एक कला है। इसलिए कला का भी महत्व कम नहीं। विज्ञान की एक खासियत है कि इसका ज्ञान आराम से दूसरों को दिया जा सकता है, जबकि कला में प्रशिक्षण मुख्य होता है। इसके बावजूद विज्ञान की जानकारी ही सबको महान बनाने के लिए आवश्यक नहीं , कला के माध्यम से ही उनका बेहतर उपयोग किया जा सकता है। यही कारण है कि विज्ञान की पढाई को संपूर्ण बनाने के लिए प्रायोगिक शिक्षा भी दी जाती है।
Data analysis
विज्ञान के नियमों को विकसित करने के लिए या उसके क्रम में हमें हमेशा बहुत बडे आंकडे को लेकर काम करना पडता है, उस आंकडे के विश्लेषण के बाद ही हमें सारे रहस्यों का पता चल पाता है। इसी कारण किसी भी क्षेत्र के इतिहास का महत्व भी कम नहीं। किसी घटना के सभी कारकों को निकालने के लिए उन कारकों के प्रतिक्षण की स्थिति और घटना की स्थिति में संबंध को जानने के लिए सांख्यिकी का उपयोग किया जाता है। कोई भी विधा विज्ञान , कला और सांख्यिकी तीनो की मदद से बेहतर बनायी जा सकती है। परंपरागत विधाओं को विकसित करने के लिए भी इन तीनों का सहारा लिया जाता रहा है और आज की विधाएं भी इन तीनों के संयोग से काम करती हैं। पुन: हर विज्ञान एक दूसरे के साथ सह संबंध बनाते हुए ही मानव के लिए अधिक उपयोगी हो सकती है।
Paramparagat paddhati
यदि आधुनिक उपकरणों को छोड भी दें , तो हमारे रसोईघर में कई परंपरागत वस्तुएं मिलेंगी। उनकी बनावट पर तनिक ध्यान दें। बनावट के आधार पर कुछ बरतन देखने में छोटे लगेंगे , पर उनमें सामान रखने की क्षमता बहुत होगी, सामानों को धोए जानेवाली कठौती की बनावट की वजह से उसका सारा पानी आप निथार पाएंगे, चावल दाल बनानेवाले बरतन उन्हें जल्दी गलाने के उपयुक्त , सब्जी बनाने वाली कडाही भूनने के उपयुक्त , यहां तक कि खाना परोसे जानेवाले सभी बरतन और कलछी तक नियम के अनुसार सही है। कभी हमारे यहां तेल निकाला जाने वाले परंपरागत चम्मच या दूसरे बरतन में डाले जाने वाले कीप को आपने देखा होगा। इसी प्रकार गहने , जेवर , खेती में उपयोग में आनेवाले सामान या घर गृहस्थी के अन्य सामानों को विकसित करने में प्रकृति के नियमों का ख्याल रखने के साथ ही साथ , सुविधा असुविधा के आंकडों और नियमों के बेहतर उपयोग करने की कला .. सबकुछ की आवश्यकता पडी होगी। ये भी उस युग का विज्ञान ही था।
Diagnosis is a art
आधुनिक युग में भी हर विधा विज्ञान के नियमों के साथ ही साथ कई प्रकार के आंकडों की जांच करते हुए उसके बेहतर उपयोग की कला के दम पर ही विकसित किया जा सकता है। हरेक डाक्टर शरीर विज्ञान और स्वास्थ्य के नियमों की पढाई करता है , इसके बावजूद जर्नलों में प्रकाशित होनेवाले विभिन्न प्रकार के रोगों के आंकडों पर ध्यान देना उसके सफल होने के लिए आवश्यक है , इसके बावजूद सारे एक जैसी सफलता नहीं प्राप्त कर पाते। बिखरे हुए ज्ञान को ढंग से समायोजित करते हुए बेहतर 'डायग्नोसिस' कर पाना एक कला है और इस हिसाब से ही कोई डॉक्टर विशेष सफलता प्राप्त कर पाता है। जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति को विज्ञान के नियमों के साथ साथ हर प्रकार के आंकडों के विश्लेषण की क्षमता और निष्कर्ष निकालने की कला का ज्ञान आवश्यक है।
Ganit jyotish
इस हिसाब से ज्योतिष को देखा जाए , तो भले ही आजतक इसे उपेक्षित ही छोड दिया गया हो , पर गणित ज्योतिष के रूप में हमारे पास एक बहुत ही मजबूत आधार है , जो पूर्ण तौर पर वैज्ञानिक है। पुन: इसी के आधार पर भविष्य के बारे में आकलन करने के लिए इसमें जो सूत्र हैं , वे पूर्ण तौर पर वैज्ञानिक या प्रामाणिक तो नहीं माने जा सकते , पर बहुत हद तक संकेत देने में तो अवश्य समर्थ हैं। इन दोनो मजबूत आधारों के साथ ही साथ 'गत्यात्मक ज्योतिष' के द्वारा विकसित किए गए ग्रहों की ऊर्जा को निकालनेवाले सूत्र के रूप में हमें एक बडा वैज्ञानिक आधार मिल गया है।
अपने जीवन और पूरे विश्व में घटनेवाली घटनाओं के साथ इनका तालमेल बनाने के लिए सांख्यिकी के आंकडों का उपयोग किया जाना चाहिए। किसी भी विज्ञान के विकास के लिए हर विज्ञान का एक दूसरे के साथ सहसंबंध होना आवश्यक है , उनसे तालमेल बिठाकर प्रतिदिन इस विधा को बेहतर बनाया जाना चाहिए , पुन: इतने नियमों के मध्य तालमेल बिठाते हुए किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की कला को विकसित करते हुए इसे अधिक से अधिक प्रामाणिक और उपयोगी बनाया जा सके, ऐसी कोशिश होनी चाहिए। सचमुच बिना प्रायोगिक ज्ञान के किसी विज्ञान की क्या उपयोगिता ??