google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 विवाह समय निर्धारण में मंद ग्रह

विवाह समय निर्धारण में मंद ग्रह

Jyotish Vivah yoga in Hindi 

विवाह पारिवारिक एवं सामाजिक व्यवस्था के लिए एक महवपूर्ण मांगलिक कार्य है। युवकों और युवतियों के विवाह योग्य उम्र में प्रवेश करते ही माता-पिता और अभिभावक उनके विवाह के लिए चिन्तित हो जाते हैं , ताकि उन्हें अपने दायित्व से छुट्टी मिले। यदि विवाह-निर्धारण में थोड़ा भी विलंब होता है ,तो अधिकांश अभिभावक विवाह के निश्चित समय की जानकारी के लिए ज्योतिषियों से भी परामर्श देखे जाते हैं । मंगला मंगली और गुण मिलान टेबल के चक्कर में भी शादी-विवाह में देर हो जाती है। 

कभी किसी ज्योतिषी की बातें सच निकलती हैं तो कभी झूठ भी , ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अभी तक ज्योतिष की पुस्तकों में कोई ऐसा निश्चित सूत्र उपलब्ध नहीं है ,जिसे आधार पर हम किसी जातक के विवाह समय की निश्चित जानकारी प्राप्त कर सकें। इसे बावजूद प्राय: सभी जन्मपत्रों में शादी की कोई न कोई निश्चित उम्र लिखी हुई पायी जाती है। इस निश्चित उम्र का उल्लेख परंपरावादी पंडित किस आधार पर करते हैं ,यह तो वे ही जानते होंगे, परंतु इसमें सत्यता बिल्कुल नहीं होती ,इसे हमने महसूस किया है। 

Vivah kab Hoga Kaise jane

जहॉ तक हमारा विचार है , ज्योतिष शास्त्र में ऐसा कोई भी सिद्धांत विकसित नहीं किया जा सकता है ,जिससे विवाह उम्र की निश्चित जानकारी प्राप्त हो सके । इसका कारण यह है कि विवाह उम्र के निर्धारण में परिवार ,समाज ,युग ,वातावरण और परिस्थितियों की भूमिका ग्रह-नक्षत्र से अधिक महत्वपूर्ण होती है। प्राचीनकाल में भी वही 12 राशियां होती थीं ,वही नवग्रह हुआ करते थें, दशाकाल का गणित वही था ,उसी के अनुसार जन्मपत्र बनते थे ।

उस समय विवाह की उम्र 5 वर्ष से भी कम होती थी , फिर क्रमश: बढ़ती हुई 10.15.20.25.से 30 वर्ष तक हो गयी है । अभी भी अनेक जन-जातियों में बाल-विवाह की प्रथा है। क्या उस समाज में विशेष राशियों और नक्षत्रों के आधार पर जन्मपत्र बनते हैं ? यदि नही तो यह अंतर क्यों ? इसलिए हमारी धारणा है कि किसी व्यक्ति के जन्म के समय ही उसके विवाह वर्ष को नहीं बतलाया जा सकता । हॉ , परिवार ,समाज और युग का अनुमान लगाते हुए ग्रहों के प्रभाव के सापेक्ष विवाह समय की जानकारी किसी हद तक अवश्य दी जा सकती है।

jyotish vivah yog in hindi

Vivah bhavishya

आज भारतवर्ष में मध्यमवर्गीय और उच्चवर्गीय परिवारों में युवतियों के विवाह की उम्र 20 वर्ष से 25 वर्ष और युवकों के विवाह की उम्र 25 वर्ष से 30 वर्ष बिल्कुल सामान्य हो गयी है। इससे पूर्व इनके विवाह की बात सोंची भी नहीं जाती है। यदि युवकों के विवाह 30 वर्ष के पश्चात् एवं युवतियों के 25 वर्ष के पश्चात् हों तो आज की परिस्थिति में विवाह में विलम्ब कहा जा सकता है । इस लेख को लिखने के पूर्व हमने अनेक जन्मपत्रियों का विस्तृत अध्ययन किया। हमने पाया कि जिन युवतियों के सातवें भाव का स्वामी बुध काफी मजबूत हो या सातवीं राशि में मजबूत बुध की उपस्थिति हो या सातवें राशीश के साथ मजबूत बुध की घनिष्ठता या परस्पर विपर्यय हो तो उन युवतियों का विवाह जल्द हो जाता है।विवाह के पश्चात् उन्हें अच्छा माहौल ,हर प्रकार की सुख सुविधा ,प्रतिष्ठा और प्यार मिल पाता है तथा विवाह के प्रारंभिक वर्षों में वे सुखी होती हैं।

इसके विपरीत , जिन युवतियों के सातवें भाव का स्वामी बुध काफी कमजोर हो या सातवीं राशि में कमजोर बुध की उपस्थिति हो या सातवें राशीश के साथ कमजोर बुध की घनिष्ठता या परस्पर विपर्यय हो तो उन युवतियों का विवाह जल्द हो जाता है। विवाह के पश्चात् घर-गृहस्थी में अनेक प्रकार की समस्याएं और कष्ट दिखाई पड़ते हैं तथा विवाह के प्रारंभिक वर्षों में वे दाम्पत्य सुख में कमी प्राप्त करती हैं।

Vivah sukh in kundali

जिन युवकों एवं युवतियों के सातवें भाव का स्वामी कमजोर मंगल हो या या सातवें भाव में कमजोर मंगल की उपस्थिति हो या सप्तमेश के साथ कमजोर मंगल की घनिष्ठता या परस्पर विपर्यय हो तो उनके विवाह में देर होने की भी संभावना होती है या जल्दी विवाह हो भी जाए तो 30 वर्ष की उम्र तक दाम्पत्य जीवन कमजोर बना रहता है। 30 वर्ष की उम्र के बाद ही इसमें कुछ सुधार देखा जा सकता है ,वैसे पूरे सुधार की उमीद 36 वर्ष की उम्र के बाद ही की जा सकती है।

 इसके विपरित जिन युवकों एवं युवतियों के सातवें भाव का स्वामी मजबूत मंगल हो या सातवें भाव में मजबूत मंगल की उपस्थिति हो या सप्तमेश के साथ मजबूत मंगल की घनिष्ठता या परस्पर विपर्यय हो तो उनका विवाह 24 वर्ष का उम्र से 30 वर्ष की उम्र तक या कभी कभी 32 वें वर्ष में भी होने की संभावना होती है । विवाह के पश्चात् उनका दाम्पत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है । जिन युवकों एवं युवतियों के सातवें भाव का स्वामी शुक्र हो या या सातवें भाव में शुक्र की उपस्थिति हो या सप्तमेश के साथ मंगल या बुध की घनिष्ठता या परस्पर विपर्यय न हो तो उनके विवाह में अधिक देर होने की संभावना होती है । इनका विवाह 31वें वर्ष या कभी-कभी 36वें वर्ष तक भी होता है।

Accurate marriage astrology in hindi

उपरोक्त बातों से किसी भी जन्मकुंडली से मोटे तौर पर जातक के विवाह की उम्र निकाली जा सकती है ,किन्तु सूक्ष्म गणना के लिए ग्रहों की गोचर के चाल को जानना आवश्यक होगा। हमने पाया है कि विवाह-समय के निर्धारण में मंद ग्रहों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।सभी ग्रह वक्री होने से पूर्व और मार्गी होने के बाद बिल्कुल धीमी गति में चलते हैं। ग्रह सामान्य तब होते हैं ,जब ये पृथ्वी से औसत दूरी पर अपनी औसत गति में होते हैं। 

पृथ्वी को स्थिर मानकर जब हम भचक्र की संपूर्ण राशियों और सभी ग्रहों का अध्ययन करते हैं , तो हमें सभी ग्रहों का एक-एक काल्पनिक पथ प्राप्त होता है , जिनमें सभी ग्रह चक्कर लगाते हैं। ज्योतिषीय पंचांगों का आधार ये काल्पनिक पथ हैं , जहॉ ग्रह अतिशीघ्री , समरुप , मंद और वक्री होते हैं। कभी-कभी ये ग्रह बिल्कुल स्थिर हो जाते हैं। ऐसी स्थिति वक्री होने से कुछ दिन पूर्व और मार्गी होने के कुछ दिन पश्चात् बनती है। इस स्थिति में ग्रह अचल होते हैं। ये काफी उर्जावान होते हैं ।

`गत्यात्मक दशा पद्धति´ के अनुसार बुध ग्रह 10 दिन पूर्व से वक्री होने के दिन तक तथा मार्गी होने के दिन से 10 दिन बाद तक मंद गति में होता है । शुक्र ग्रह डेढ़ महीने पूर्व से वक्री होने के दिन तक तथा मार्गी होने के दिन से डेढ़ हीन बाद तक मंद गति में होता है। शनि और बृहस्पति एक महीने पूर्व से वक्री होने के दिन तक तथा मार्गी होने के दिन से एक महीने बाद तक मंद गति में होते है। वैवाहिक कार्यक्रमों में मंद ग्रहों की निश्चित ही बडी भूमिका होती है , किन्तु किस ग्रह के मंद रहने पर किस जातक का विवाह संपन्न या निश्चित होगा , इसकी जानकारी महत्वपूर्ण है।इस संबंध में तीन बातें देखी गयी है--------

Grah for marriage

जिस जातक के सातवें भाव का राशीश ग्रह मजबूत स्थिति में हो , उसका विवाह सामान्यतया उसी ग्रह की मंद स्थिति में संपन्न होता है। जब भी सातवें भाव का स्वामी मंद होगा , कहीं न कहीं वैवाहिक संबंधों की बात चलती रहेगी , विवाह तय या संपन्न भी होगा।

जिन जातकों के सातवें भाव का राशीश ग्रह कमजोर स्थिति में हो , उनका विवाह दूसरे उन ग्रहों के मंद रहने पर होता है , जो उनके जन्मकाल में सातवें भाव में मजबूत होकर स्थित होते हैं।

जिन जातकों के सातवें भाव का राशीश ग्रह कमजोर स्थिति में हों और उनके सातवें भाव में किसी मजबूत ग्रह की उपस्थिति न हो , तो वैसे जातकों का विवाह गोचर में सातवे भाव में किसी ग्रह के मंद होने पर होता है।

अपनी या बच्चों के विवाह के योग के बारे में समझना हो तो गत्यात्मक ज्योतिष की सेवा अवश्य लें। नाम , जन्मतिथि और जन्मसमय के साथ  gatyatmakjyotishapp@gmail.com पर संपर्क करें। 

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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