Astrology in Hindi horoscope
जो होना है वह होगा ,फिर ग्राफ देखने से क्या फायदा ?
जो होना है वह होगा ,फिर ग्राफ देखने से क्या फायदा ? इस प्रकार की सोंच यथास्थितिवाद का परिचायक है .अगर आदिकाल का मानव ऐसा ही सोंचता तो वहां से टस से मस नही होता हर काल के मानव ने हर समय प्राकृतिक नियमों को समझने की कोशिश की और हर जानकारी का उसने फायदा उठाया ,अपने जीवन को बेहतर बनाता चला गया .अगर इस तरह की बात नही होती तो आज हम इस वैज्ञानिक युग मे नही होते ,आदिकाल के मानव की तरह ही असभ्य होते .
मनुष्य जड श्रृष्टि की उपज है तो श्रृष्टि इसके जीवन के पालन पोषण और विकास के लिये ,संरक्षण के लिये प्राकृत अवस्था मे सब कुछ उपलब्ध कराती है,हवा पानी कन्द मूल फल फूल आदि .लेकिन मनुष्य जड पदार्थों से निर्मित केवल जड पदार्थ का संयोग ही नही अपितु इसके अन्दर मन बुद्धि ,विवेक ,आत्मा का निवास भी है इसमे जीवंतता है .प्रकृति से प्राप्त तत्वों ,इसके गुण दोष को समझते हुये उसका बेहतर उपयोग सुख सुविधा के लिये करते हैं .जो होना है उसके हवाले अपने आपको नही छोड देते .
रेलयान ,सैटेलाइट ,कम्प्यूटर ,दूरदर्शन ,मोबाइल ,जीवन रक्षक दवाईयां आदि प्रकृति ने नही मनुष्य की सोंच अपनी आवश्यकतानुसार अपने सुख दुख के लिये बनाया है . जबतक हम किसी के गुन स्वभाव की जानकारी प्राप्त नही कर लेते ,उससे हम डरते हैं .किसी के रौद्र रूप या भयानक स्वरूप को देखते हैं ,उससे हम भयभीत होते हैं ,जबतक कोई शक्ति हमारे लिये अतुलनीय समझ से परे होता है ,वह हमारे लिये देवता बन जाता है .पहले जल देवता थे ,अग्नि देवता ,पवन देवता थे .जब इसके स्वभाव से परीचित हो गये ,इनका उपयोग करना सीख गये ,ये हमारे मित्र बन गये .जंगल मे लगी भयंकर आग को देख मनुष्य भयभीत हुआ ,पवन देवता के 300-400 किलोमीटर की रफ्तार और उसकी वजह से उत्पन्न तबाही से पवन को देवता कहा गया होगा .केदारनाथ मे अकस्मात मन्दाकिनी मे बाढ आई .कुछ ही मिनटों मे 15-20 हज़ार लोग लापता हो गये – इस घटना को लोग जिस तरह से देखें –तीर्थस्थल था सभी तीर्थयात्री थे ,भगवान के दर्शन के लिये गये थे ,फिर ऐसा क्यों हुआ ?
कोई देवता का प्रकोप ,जल देवता का प्रकोप या नदी के स्वाभाविक बहाव के रास्ते को संकीर्ण कर देना .मनुष्य रोज एक भूल करता है और उससे सीखता है . जबतक हम सही कारणों की तलाश नही कर पाते हैं ,वह भय का कारण बना रहता है .महामारी और छुआछूत की बीमारी को भी देवता का प्रकोप समझ लेता है .कल तक चेचक की बीमारी को भी माता का प्रकोप समझा जाता था ,दवादारू और डॉक्टरी सलाह से अधिक माता की पूजा पाठ मे ध्यान दिया जाता था .
जबतक आप किसी प्रकार की समस्याओं से ग्रसित नही होते ,तबतक आप यही कहते हैं कि जो होना होगा वो होगा ही तो भविष्य की जानकारी से क्या फायदा ,ग्राफ देखने से क्या फायदा ,लेकिन जैसे ही आप संकट से घिर जाते हैं ,आपकी छटपटाहट शुरू हो जाती है ,इस प्रकार का समय कबतक चलेगा ,? इसका अंत भी है या नही ? मन्दिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारे हर जगह जाकर अपनी पीडा के निवारण के लिये न जाने कितने तरह की प्रार्थना करते हैं ,भगवान से कितने तरह की रिश्वतखोरी की बात करते हैं .मनौती पूरा होने के ऐवज मे चढावे की प्रतिज्ञा करते हैं .लेकिन कोई कोई तो यहां तक कहते हैं कि काश ,बुरे समय की पूर्व जानकारी मुझे होती ,तो मै इस तरह की घटना घटने ही नही देता ..
इस सम्बन्ध मे मुझे एक घटना याद आती है .एक दिन मेरे पास एक सज्जन आये .मै उनसे बिल्कुल अपरीचित था .वे अपनी कुंडली लेकर आये थे .वे उम्र के उस पडाव से तत्काल गुज़र रहे थे .जिस दिशा मे उनका ग्राफ जा रहा था ,किसी बडी घटना की वजह से उनका सब कुछ बर्बाद होनेवाला था .मैने कहा ,आवेश मे आकर आपने कुछ ऐसा कार्य किया है जिससे सम्भवत: आपका बहुत बडा नुकसान हो चुका है और उससे उबरने की भले ही कोशिश करें ,उबरना मुश्किल होगा .वह व्यक्ति रोने लगा .पूछा ,कोई उपाय है ,मैने कहा ,कोई उपाय नही ,कम से कम 24 वर्षों तक इस कष्ट से उबरना मुश्किल होगा .पुन: वह फूट-फूटकर रोने लगा .जाते वक़्त कहा ,काश तीन चार महीने पहले आपसे भेंट होती तो इस तरह का काम तैश मे आकर नही करता .वह व्यक्ति तीन-चार महीने पहले उसके खेत मे दखलअन्दाज़ी करनेवाले ,फसल काटनेवाले तीन चार व्यक्तियों को अपने बन्दूक से भून डाला था .
कर्म करने का अधिकार सभी को मिला हुआ है ,किसी भी विवाद को सुलझाने के सौ तरीके होते हैं बुरा समय 24 वर्श का था ,समझौता किए गये किसी तरीके मे किसी न किसी प्रकार का कष्ट होता है ,लेकिन जिस तरीके को उस व्यक्ति ने अपनाया था ,उसका प्रतिफल तीव्रतर कष्ट के रूप मे उपस्थित होना ही था . गत्यात्मक ज्योतिष के हिसाब से खुद को समझकर तदनुरूप काम करके जो अच्छा होना है, उसको दुगुना चौगुना तक बढ़ा तथा जो बुरा होना है, उसको दुगुना चौगुना तक घटा सकते हैँ, ठीक उसी तरह जिस तरह किसी बीज के फसल को उचित देखभाल से!
गत्यात्मक ग्राफ अपने आपमे बहुत तरह का सन्देश देता है .अपने जीवन यात्रा की सम्यक जानकारी चाहते हैं ,उनके लिये इस ग्राफ की संवेदनशीलता को समझना अनिवार्य होगा .इससे बहुत सारी गम्भीर घटनाओं को अपनी सूझ बूझ से परिमार्जित कर सकते हैं ,गम्भीरता के स्वरूप का रूपांतरण कर सकते हैं ,घटना की तीव्रता को कम कर सकते हैं .ग्राफ को समझना अन्धेरे से उजाले की ओर जाना है .गत्यात्मक ग्राफ की खोज हो गई है तो इस प्राकृतिक पूर्व सूचना का लाभ भी हमे अवश्य मिलेगा .अच्छे या बुरे समय को देखते हुए अपने सोंच विचार मे परिवर्तन करने की जरूरत है .....
(गत्यात्मक ज्योतिष के जनक श्री विद्या सागर महथा जी के कलम से )
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