Rahim ke dohe in Hindi
मध्यकालीन कवि अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ानाँ यानि रहीम का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न था। वे कवि के साथ साथ बहुभाषाविद, आश्रयदाता, दानवीर, कलाप्रेमी, एवं विद्वान थे। सभी संप्रदायों के प्रति समादर भाव के सत्यनिष्ठ साधक थे। जन्म से एक मुसलमान होते हुए भी हिंदू जीवन के अंतर्मन में बैठकर रहीम ने जो मार्मिक तथ्य अंकित किये थे, उनकी विशाल हृदयता का परिचय देती हैं। रहीम ने काव्य में रामायण, महाभारत, पुराण तथा गीता जैसे ग्रंथों के कथानकों को उदाहरण के लिए चुना है। उन्होंने मानव जीवन पर ग्रहों के प्रभाव के बारे में तो नहीं लिखा है, पर 'समय' का महत्व, जीवन में आनेवाले सुख-दुःख का वर्णन उनके कई दोहों में मौजूद हैं --------
समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात.
सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात.
जैसे पृथ्वी पर बारिश, गर्मी और सर्दी पड़ती है और पृथ्वी सभी ऋतुओं को सहन करती है। ठीक उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने जीवन में आनेवाले हर परिवर्तन , सुख और दुःख सहन करना सीखना चाहिए।
जब ख़राब समय होता है तो चुप ही बैठना ठीक रहता है। जैसे ही अच्छा समय आता है, काम बनते देर नहीं लगती । इस कारण हमेशा अपने सही समय का इन्तजार करें।
नीज कर क्रिया रहीम कही सीधी भावी के हाथ
पांसे अपने हाथ में देव न अपने हाथ
राम यदि हिरण के साथ नहीं जाते तो राम-रावण युद्ध नहीं होता , पर भवितव्यता तो होनी ही थी।
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