फलित ज्योतिष कितना सच कितना झूठ
हर घर में रखी और पढी जाने लायक इस पुस्तक ‘फलित ज्योतिष कितना सच कितना झूठ’ के लेखक श्री विद्या सागर महथा जी हैं। ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ को स्थापित करने का पूरा श्रेय अपने माता पिता को देते हुए ये लिखते हैं कि ‘‘मेरी माताजी सदैव भाग्य और भगवान पर भरोसा करती थी। मेरे पिताजी निडर और न्यायप्रिय थे। दोनों के व्यक्तित्व का संयुक्त प्रभाव मुझपर पड़ा।’’ ज्योतिष के प्रति पूर्ण विश्वास रखते हुए भी इन्होने प्रस्तावना या भूमिका लिखने के क्रम में उन सैकडों कमजोर मुद्दों को एक साथ उठाया है, जो विवादास्पद हैं .
ज्योतिष और अन्य विधाएं
जैसे ‘‘ज्योतिष और अन्य विधाएं परंपरागत ढंग से जिन रहस्यों का उद्घाटन करते हैं, उनके कुछ अंश सत्य तो कुछ भ्रमित करनेवाली पहेली जैसे होते हैं।’’ इस पूरी किताब में कई तरह के प्रश्नों के जबाब देने की कोशिश की है। इस पुस्तक के लिए परम दार्शनिक गोंडलगच्छ शिरोमणी श्री श्री जयंत मुनिजी महाराज के मंगल संदेश ‘‘यह महाग्रंथ व्यापक होकर विश्व को एक सही संदेश दे सके ऐसा ईश्वर के चरणों में प्रार्थना करके हम पुनः आशीर्वाद प्रदान कर रहे है।’’ को प्रकाशित करने के साथ साथ ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ के कुछ प्रेमियों के आर्शीवचन, प्रोत्साहन और प्रशंसा के पत्रों को भी ससम्मान स्थान दिया गया है।
प्रश्नकुंडली योग, शकुन, मुहूर्त्त हो या नजर का असर
चाहे समाज में प्रचलित ‘वार’ से फलित कथन हो या यात्रा करने का योग, शकुन, मुहूर्त्त हो या नजर का असर जैसे अंधविश्वास हो, इस पुस्तक में इन्होने जमकर चोट की है, इन पंक्तियों को देखें ...
‘‘मैने शेविंग के लिए मंगलवार का दिन इसलिए चयन किया क्योंकि इस दिन अंधविश्वास के चक्कर में पड़ने से लोगों की भीड़ तुम्हारे पास नहीं होती और इसलिए तुम फुर्सत में होते हो।’’
‘‘न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत एक प्रतिक्रिया होती है। यदि यह प्रकृति का नियम है, तो समय के छोटे से अंतराल में भी, जिसे हम बुरा या अशुभ फल प्रदान करनेवाला कहते हैं, किसी न किसी का कल्याण हो रहा होता है।’’
चिन्तनशील विचारक पाठकों, आपके मन में ज्योतिष से सम्बंधित कोई भी प्रश्न उपस्थित हो , सकारात्मक तार्किक बहस के लिए हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप में आपका स्वागत है , क्लिक करें !
हस्तरेखा, हस्ताक्षर विज्ञान, न्यूमरोलोजी
राहु, केतु, कुंडली मेलापक, राजयोग और विंशोत्तरी पद्धति
भविष्य को देखने की एक संपूर्ण विधा
‘गत्यात्मक दशा पद्धति’ का परिचय
घडी की तरह समय की जानकारी
वास्तव में, बुरे ग्रहों का प्रभाव क्या है, कैसे पडता है हमपर और इसका इलाज है या घडी की तरह समय की जानकारी पहले से मिल जाए तो खतरे के पूर्व जानकारी का लाभ हमें मिल जाता है, ज्योतिष के महत्व की चर्चा करते हुए ये लिखते हैं ....
‘‘प्रकृति के नियमों के अनुसार ही हमारे शरीर, मन और मस्तिष्क में विद्युत तरंगें बदलती रहती है और इसी के अनुरुप परिवेश में सुख-दुःख, संयोग-वियोग सब होता रहता है।‘’
ज्योतिष का आध्यात्म से संबंध
अंत में ज्योतिष का आध्यात्म से क्या संबंध है , इसकी विवेचना की गयी है ....
‘‘परम शक्ति का बोध ही परमानंद है। जो लोग बुरे समय की महज अग्रिम जानकारी को आत्मविश्वास की हानि के रुप में लेते हैं, वे अप्रत्याशित रुप से प्रतिकूल घटना के उपस्थित हो जाने पर अपना संतुलन कैसे बना पाते होंगे ? यह सोचनेवाली बात है।’’
ज्योतिषियों से माफी
बिल्कुल अंतिम पाठ में उन ज्योतिषियों से माफी मांगी गई है , जिनकी भावनाओं को इस पुस्तक से ठेस पहुंच सकती है ...
‘‘ग्रहों के प्रभाव से संबंधित इस नए रहस्य की खोज के बाद मैं प्रबुद्ध ज्योतिषियों से विनम्र निवेदन करना चाहूँगा कि एक ज्योतिषी होकर भी मैने फलित ज्योतिष की कमजोरियों को केवल स्वीकार ही नहीं किया, वरन् आम जनता के समक्ष फलित ज्योतिष की वास्तविकता को यथावत रखने की चेष्टा की है।’’
ऐसा इसलिए क्योंकि भारतवर्ष में ज्योतिष के क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कम लोग हैं, अधिकांश का आस्थावान चिंतन है , वे हमारे ऋषि महर्षियों को भगवान और ज्योतिष को धर्मशास्त्र समझती है, जबकि श्री विद्या सागर महथा जी ऋषिमुनियों को वैज्ञानिक तथा ज्योतिष शास्त्र को विज्ञान मानते हैं, जिसमें समयानुकूल बदलाव की आवश्यकता है।
आस्था से विज्ञान तक का सफर
इस प्रकार ज्योतिष विशेषज्ञों के साथ ही साथ आम पाठकों के लिए भी पठनीय श्री विद्या सागर महथा जी की यह पुस्तक ‘फलित ज्योतिष सच या झूठ’ आस्थावान लोगों के लिए आस्था से विज्ञान तक का सफर तय करवाती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोणवालों के लिए तो इसके हर पाठ में विज्ञान ही है। समाज में मौजूद हर तरह के भ्रमों और तथ्यों की चर्चा करते हुए इन्हें 31 शीर्षकों के अंतर्गत 208 पन्नों और 72228 शब्दों में बिल्कुल सरल भाषा में लिखा गया है। राहु और केतु को ग्रह न मानते हुए चंद्र से शनि तक के आसमान के 7 ग्रहों के 21 प्रकार की स्थिति और उसके फलाफल को चित्र द्वारा समझाया गया है, ताकि इस पुस्तक को समझने के लिए ज्योतिषीय ज्ञान की आवश्यकता न पडे।