कीडो मकोडो से मुझे जितना भय है , कीडे मकोडे हमें उतना ही परेशान करते हैं। बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 4 के जिस क्वार्टर में हमें पहली बार ठीक बरसात में रहने की शुरूआत करनी पडी , वहां कीडे मकोडो के नई नई प्रजातियों को देखने का मौका मिला। रसोई घर के सीपेज वाली एक दीवाल में न जाने कितने छेद थे और सबों से अक्सर तरह तरह के कीडे मुझे मुंह चिढाते।
कीटनाशक के छिडकाव से कोई कीडा मर जाता , तो थोडी देर बाद उसका जोडा अवश्य निकलकर कुछ समझने की कोशिश करता था। उबले आलू के चार फांक कर दें , तो जो शेप बनता है , बिल्कुल उसी शेप को वहां एक दिन चलते हुए देखा , तो मैं चौंक ही गयी थी। ऐसे भी कीडे होते हैं ? दो तीन महीने बडी मुश्किल से कीटनाशकों के बल पर मैं उस रसोई में खाना बनाने में समर्थ हो सकी थी। फिर अक्तूबर में उस दीवाल के नए सिरे से प्लास्टर हो जाने के बाद ही हमें समस्या से निजात मिल सकी थी।
बोकारो में पेड पौधो की अधिकता है , इस कारण अलग अलग डिजाइनों वाली तितली या पतंगे या कीडे मकोडे को भी रहने की जगह मिल जाती है। मेरे उसी क्वार्टर में एक कमरे में एक ही खिडकी थी, उसी से अक्सर ऐसे कीडे मकोडे उस कमरे में आ जाते , पर छोटी खिडकी होने से वे उससे बाहर नहीं निकल पाते थे। मुडे हुए अखबार की सहायता से उसे भगाने की कोशिश करती तो कभी कभी एक दो मर भी जाते।
वैसे उसका जोडा कभी आए या नहीं , पर यदि किसी खास तरह का कीडा कमरे में मर जाता , तो दूसरे ही दिन उसी तरह का एक कीडा उसे ढूंढता हुआ पहुंच जाता था। उसे देखकर मैं समझ जाती थी कि उसी का जोडा किसी खास संकेत की सहायता से इसे ढूंढने आया है। ऐसी समझ आने के बाद मैं उन्हें भगाने के क्रम में उनकी सुरक्षा का भी ध्यान रखने लगी थी।
पिछले छह वर्षों से मैं बोकारो में कॉपरेटिव कालोनी में रह रही हूं। वैसे तो यह काफी साफ सुथरी जगह है , पर अगल बगल कहीं पर एक खास तरह के मकडे का बसेरा है , जिसका चित्र मैं आपको दिखा रही हूं। ये अक्सर घर में भी घुस आते हैं , सो तुरंत उनपर कीटनाशक का छिडकाव करने का विचार आ जाता है।
पर इनके भागने की स्पीड इतनी अधिक होती है कि मैं शायद ही कभी छिडकाव कर पाती होउं। ये देखने में ही इतने भयानक लगते हैं कि हमेशा इनको लेकर भय बना रहता है। पर कुछ दिन पूर्व एक मकडा कई दिनों तक मेरे स्टोर के कबर्ड के रैक के छत पर पडा था।
आपलोगों के लिए मैने अपने मोबाइल से कई एंगल से इसके फोटो भी लिए , पर यह इधर से उधर भी नहीं हुआ , चुपचाप पडा रहा। इसे ऐसी हालत में देखकर कीटनाशक का छिडकाव करने की मेरी हिम्मत ही नहीं हुई , नीचे दिए गए चित्र को देखकर आप मकडे के इस हालत का कारण समझ सकते हैं , जिसमें दीपावली की सफाई के क्रम में एक डब्बे से कुचलकर उसका जोडा मृत पडा हुआ है और उसी के बगल में यह तीन दिनों से भूखा प्यासा शोक मना रहा था !!