google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 बडा ढैया और छोटा ढैया

बडा ढैया और छोटा ढैया


ज्‍योतिष में विश्‍वास रखनेवाले सभी लोगों को एक बडे ढैया की जानकारी अवश्‍य होगी , जो ढाई वर्षों तक अपना प्रभाव न सिर्फ बनाए रहता है , वरन बहुत ही बुरी हालत में लोगों को जीने को विवश भी कर देता है। हालांकि इसकी सही गणना कर पाने में परंपरागत ज्‍योतिषी अभी तक सक्षम नहीं हो सके हैं कि वास्‍तव में किसी जातक पर ढैया का प्रभाव कब से कब तक पडेगा , फिर भी इस ढैया को लेकर जनमानस में बडा भय देखने को मिलता है। 

ज्‍योतिषीय द़ृष्टि से भी ढाई वर्षों के इस महत्‍व का कारण बिल्‍कुल वैज्ञानिक है। शनि को आसमान के चारो ओर के 360 डिग्री को पार करने में 30 वर्ष लगते हैं और इस हिसाब से 30 डिग्री की एक राशि को पार करने में ढाई वर्ष। इन ढाई वर्षों में शनि बिल्‍कुल एक सा स्‍वभाव रखता है , शनि भी सारे संसार पर एक सा प्रभाव नहीं डालता है , वरन यह कि इन ढाई वर्षों मे वह किसी का भला , तो किसी का बुरा भी कर सकता है। आकाशीय पथ के अंडाकार होने के कारण ये ढैया कभी कभी मात्र दो ही वर्ष और कभी कभी तीन वर्ष तक अपना प्रभाव जनसामान्‍य पर दिखाते हैं। सबसे बडी बात यह है कि इस ढैया का प्रभाव सभी लोगों पर एक सा नहीं पडता है। किसी किसी व्‍यक्ति पर छोटी और बडी असफलता देने में इसकी बडी भूमिका बनी रहती है , पर कभी कभी तो यह बडा अनर्थ भी कर डालता है।

shani ki dhaiya kya hai

shani ki dhaiya kya hai



अपने व्‍यतीत किए गए जीवन पर गौर करें। यदि लगातार तीन वर्षों तक किसी प्रकार का सुख या दुख आपके जीवन में आया था , तो समझ जाएं , वह शनि ग्रह के ढैया का ही प्रभाव था। मोटा मोटी रूप में देखा जाए तो बुरे तौर पर इसका प्रभाव मानव जीवन में एक बार 17 वर्ष से 19 वर्ष की उम्र में तथा दूसरी बार 46 वर्ष से 48 वर्ष की उम्र में दिखाई पडता है। तो यदि आप उम्र के इन्‍हीं पडावों पर हैं , तो सावधान रहें , शनिदेव आपपर कभी भी प्रभावी हो सकते है। आपके जीवन का हर पक्ष गडबड नहीं होगा , केवल उसी पक्ष की गडबडी आएगी , जिसका स्‍वामी आपकी कुंडली में शनि है।

जब किसी की जन्म कुंडली और गोचर में लगातार तीन राशियों में चलने वाला शनि के मध्य का तालमेल बिगड़ता है तो साढ़ेसाती की संभावना बनती है। जिसका दशाकाल चल रहा हो ग्रह पॉजिटिव हो उससे सम्बंधित अच्छा फल भी मिलता है और शनि जिस भाव का स्वामी है उसका बुरा फल मिलता है। जिसका दशाकाल चल रहा हो ग्रह नेगेटिव हो उससे सम्बंधित बुरा फल भी मिलता है और शनि जिस भाव का स्वामी है उसका बुरा फल मिलता है। 

हो सकता है , आपमें से अधिकांश लोगों का ध्‍यान इस बात पर नहीं गया हो कि छोटी छोटी कई प्रकार की समस्‍याओं से हमें लगातार ढाई दिनों तक रू ब रू होना पडता है। चाहे हमारे शरीर के किसी भी अंग में इंफेक्‍शन हो या किसी तरह की चोट का दर्द , बूढे बुजुर्गो को हमेशा ही कहते सुना है ढाई दिनों में ठीक हो जाएगा । सचमुच ही ढाई दिनों में ये समस्‍याएं समाप्‍त हो जाती हैं , चाहे इसके लिए एलोपैथी , होम्‍योपैथी , आयुर्वेदिक या घरेलू किसी भी तरह की दवाओं का उपयोग किया जाए , दवा का प्रयोग नहीं करने पर भी ये समस्‍याएं अपने शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता से ही ठीक हो जाती है। यदि कोई लम्‍बी बीमारी हो , तो भी ढाई दिनों के उपरांत उसकी तीव्रता में कमी देखने को मिलती है। सिर्फ शारीरिक ही नहीं , मानसिक , बौद्धिक , घरेलू एवं अन्‍य प्रकार की समस्‍याएं भी ढाई दिनों अधिक विकट रूप में दिखाई पडती है। पूर्व की घटनाओं पर ध्‍यान दें , तो आपने भी आम जीवन में अनेको बार ढाई दिनों के अंतराल को एक सा पाया होगा। 

जिस तरह बडे ढैया के लिए शनि ग्रह को जिम्‍मेदार माना जाता है उसी तरह छोटे ढैया के लिए चंद्रमा जिम्‍मेदार है । इन ढाई दिनों को छोटा ढैया कहा जा सकता है। नाम के अनुरूप ही इसका प्रभाव भी छोटा ही होता है। ज्‍योतिषीय द़ृष्टि से भी बडे ढैया की ही तरह ढाई दिनों के इस महत्‍व का कारण बिल्‍कुल वैज्ञानिक है। पूरे आसमान के 360 डिग्री को जब 12 भागों में विभक्‍त किया जाता है , तो 30 डिग्री की एक राशि निकलती है। चूंकि चंद्रमा को पूरे 360 डिग्री का चक्‍कर लगाने में 28 दिन लगते हैं ,इस हिसाब से इस 30 डिग्री की एक राशि को पार करने में ढाई दिन ही लगने चाहिए। इन ढाई दिनों में चंद्रमा का एक सा स्‍वभाव रहता है , इसका मतलब यह नहीं कि वह सारे संसार पर एक सा प्रभाव डालता है , वरन यह कि इन ढाई दिनों मे वह किसी का भला , तो किसी का बुरा भी कर सकता है। आकाशीय पथ के अंडाकार होने के कारण ये ढैया कभी कभी मात्र दो ही दिन और कभी कभी तीन दिन तक अपना प्रभाव जनसामान्‍य पर दिखाते हैं। कभी कभी ये ढाई दिन बिल्‍कुल सामान्‍य भी होते हैं।

अपने.अपने जन्मकुंडली के हिसाब से हर व्यक्ति इस योग की तीव्रता में भिन्नता महसूस करेंगे , किसी को बड़े , तो किसी को छोटे रूप में उपलब्धि या संकट मिलते हैं , यह निर्णायक दिन होता है।

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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