google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 भविष्य को देखने-समझने-उपाय की विधाएँ

भविष्य को देखने-समझने-उपाय की विधाएँ

Jyotish shastra in Hindi

मनुष्य भूतकाल के अनुभव  की परिस्थितियों के हिसाब से  विश्वास नहीं रखता, भविष्य को समझने में  माथापच्ची  है।  आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, भविष्य को समझने के लिए ज्योतिष शास्त्र के इतने सिद्धांत यूँ  ही नहीं बन गए। 

शारीरिक बनावट के आधार पर

  1. सामुद्रिक विद्या भी भारत की सबसे प्राचीन विद्या है। इसके अंतर्गत व्यक्ति के चेहरे, नाक-नक्श और माथे की रेखा सहित संपूर्ण शरीर की बनावट का अध्ययन कर व्यक्ति के चरित्र और भविष्य को बताया जाता है।
  1. अंगूठे के आधार पर भविष्य-कथन की विद्या भी दक्षिण भारत में प्रचलित है। इसके अनुसार अँगूठे की छाप लेकर उस पर उभरी रेखाओं का अध्ययन कर बताया जाता है कि जातक का भविष्य कैसा होगा।
  1. हस्तरेखा ज्योतिष तो काफी प्रचलित और मान्य है, हाथों की आड़ी-तिरछी और सीधी रेखाओं के अलावा, हाथों के चक्र, द्वीप, क्रास आदि का अध्ययन कर व्यक्ति का भूत और भविष्य बताया जाता है

शकुन पद्धति के आधार पर

  1. टैरो कार्ड में ताश की तरह पत्ते होते हैं। जब भी कोई व्यक्ति अपना भविष्य या भाग्य जानने के लिए टैरो कार्ड के जानकार के पास जाता है तो वह जानकार एक कार्ड निकालकर उसमें लिखा उसका भविष्य बताता है।
  1. आपने  पिंजरे के तोते से कार्ड निकलवाकर भविष्य निकालते भी देखा होगा।
  1. बस स्टॉप या रेलवे स्टेशन पर लगी मशीन में भी एक रुपए का सिक्का डालकर भविष्य देखा जाता है।
  1. किसी मेले में एक कम्प्यूटर भी आपके भविष्य को बताने के लिए तैयार कर  रखा जाता  है।

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पशु-पक्षी  के आधार पर

  1. पंच पक्षी सिद्धान्त एक भारतीय पद्धति है,  इसके अंतर्गत आने वाले पाँच पक्षी के नाम हैं गिद्ध, उल्लू, कौआ, मुर्गा और मोर। इसमें आपका जन्मविवरण माँगा जाता है, उस आधार पर आपका पक्षी निकाला जाता है, उसी के आधार पर भविष्य बताया जाता है।
  1. चीनी ज्योतिष पशुओं के नाम - चूहा, बैल, चीता, बिल्ली, ड्रैगन, सर्प, अश्व, बकरी, वानर, मुर्ग, कुत्ता और सुअर - के आधार पर प्रत्येक वर्ष एक पशु के नाम किया जाता है और वह पशु आपके लिए कैसा होगा, देखकर पुरे वर्ष का राशिफल निकाला जाता है।

Jyotish Shastra hindi


क्षेत्रीय ज्योतिष

  1. नाड़ी ज्योतिष :- दक्षिण भारत में बहुत अधिक प्रचलित विद्या है, मन जाता है कि ताड़ के पत्तों में सबका भविष्य लिखा होता है। 

  1. इसके अलावा कई देशों  की अपनी अलग ज्योतिष धारणाएँ हैं, पर्शियन, माया, हेलेनिस्टिक, इस्लामिक, सेल्टिक, बेबिलोनी आदि , जिनके हिसाब से भी भविष्यवाणियाँ की जाती हैं ।

जन्मसमय के अभाव में

  1. अंक विद्या - ने भी बाजार में जगह बनायी। जन्मतिथि के आधार पर ० से ९ तक का मूलांक निकालना और उसके आधार पर भविष्य की जानकारी देना तो पूरी दुनिया को ९ भाग में बाँट देना है, पर सहजता भी कभी कभी लोकप्रिय हो जाती है।
  1. प्रश्नकुंडली -  इस पद्धति में जिज्ञासु को प्रश्न पूछना होता है, प्रश्न पूछने के समय को आधार मानकर कुंडली बनाई जाती है और पूछे गए प्रश्न का उत्तर निकाला जाता है।

उपाय के ज्योतिष (Jyotish shastra Hindi)

  1. लाल किताब -इसमें भी कुंडली देखने की जरूरत नहीं होती, आपके सभी समस्या के लिए कुछ न कुछ उपाय बता दिया जाता है। उक्त विद्या के सिद्धांत को एकत्र कर हाल  इस पर एक ‍पुस्तक प्रकाशित किया गया।

  1. वास्तुशास्त्र  - कुछ दिनों से मकान बनाने के विज्ञान को भाग्य देखने के काम में लाया जाने लगा, भाग्य बनाने के लिए न जाने कितने मकानों को बेवजह  जाने लगा। 
  1. फेंगशुई के टोटके - भाग्य को बदलने के लिए चीन से कई टोटके आने लगे, देश के अंधविश्वासियों को कुछ फ़ायदा हुआ या नहीं, भारत के बाजार ने चीन को बना दिया। 
  1. मुहूर्त  - काम के शुरुआत में देखा जाता है,  मान्यता है कि अच्छे मुहूर्त में काम की शुरुआत होने से काम सफल होता है। 
  1. कर्मकांड - भी ग्रहों के प्रभाव से  बचने की  विधा है।  माना जाता है कि ख़ास देवता के पूजन, खास पेड़ों की पूजा और दीप प्रज्वलन आदि के द्वारा हम ग्रहों के बुरे प्रभाव से बच सकते हैं। 

वैदिक ज्योतिष

  1. जन्मकुंडली - यदि वेद को सबसे पुराना ग्रन्थ माना जाये तो  वैदिक ज्योतिष शास्त्र को भी भविष्य की सबसे पुरानी विधि मानी जानी चाहिए। वेद में ज्योतिष के दो भाग थे - गणित ज्योतिष शास्त्र और फलित ज्योतिष शास्त्र। गणित ज्योतिष में आसमान के ग्रह , नक्षत्रों, उनकी गति का अध्ययन किया जाता था।  इन्ही ग्रहों की चाल का पृथ्वी के जड़-चेतन पर पड़नेवाले प्रभाव का अध्ययन फलित ज्योतिष में किया जाता था।

  1.  नक्षत्र ज्योतिष शास्त्र - जन्मकुंडली के राशि और नक्षत्र के आधार पर बच्चों के नाम रखे जाने की परंपरा थी। जन्मकुंडली नहीं होने की स्थिति में उसी नाम के आधार पर बच्चों का भविष्य देखा जाता था। यहाँ तक की जन्म कुंडली मिलान भी वर-वधु के नक्षत्र से  था। 
गत्यात्मक ज्योतिष 
आज के आधुनिक जीवनशैली में ज्योतिष को गत्यात्मक बनाने वाली इस विधा ने बुद्धिजीवियों को भी ज्योतिष पर विश्वास दिलाने को तैयार है। यह विधा किसी के भी जन्मतिथि और जन्मसमय से उसके पुरे जीवन के उतार चढ़ाव को समझ जाती है। इसके वैज्ञानिक अंदाज दिन ब दिन लोगों के मध्य लोकप्रिय हो रहे हैं। 

अमेज़ॉन के किंडल में गुरूवर विद्या सागर महथा जी की  फलित ज्योतिष : कितना सच कितना झूठ को पढ़ने के लिए  इस लिंक पर क्लिक करें !

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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