Kundli astrology in hindi
मुझे अक्सर पाठको के प्रश्न मिलते हैं कि गत्यात्मक ज्योतिष क्या है ? यह एक अलग शास्त्र है क्या ? आज उन सबों की जिज्ञासा या शंका का समाधान करना ही आवश्यक समझूंगी। सबसे पहले तो आप सबो को इस बात की जानकारी दे दूं कि गत्यात्मक ज्योतिष अपने समय को जानने समझने की वैज्ञानिक पद्धति है। इसे एक विज्ञान के तौर पर विकसित किया गया है, पर इसे शास्त्र नहीं कहा जा सकता, क्योंकि किसी भी शास्त्र का जन्म एक दो लोगों के अध्ययन से नहीं होता। कई पीढी और अनकानेक लोगों के सहयोग से ही एक शास्त्र का जन्म संभव है।
गणित ज्योतिष (Astronomy) की पढ़ाई के बाद फलित ज्योतिष के सम्पूर्ण ग्रंथों का अध्ययन करने के क्रम में गत्यात्मक ज्योतिष के जनक श्री विद्या सागर महथा जी को महसूस हुआ कि आज के प्रगतिशील युग में ज्योतिष को भी प्रगतिशील होने की आवश्यकता है। इसलिए ज्योतिष का समयानुसार बदलाव आवश्यक आवश्यक है। इन्होने परंपरागत ज्योतिष को मथकर उसके सार तत्व को निकाला भी नहीं है , वरन् उसे ज्यों का त्यों जड और तने के रूप में सुरक्षित रखकर 'गत्यात्मक ज्योतिष' को विकसित करने की कोशिश की ।
What is Kundli Astrology in Hindi
भारत में ज्योतिष का अध्ययन बहुत पुराना है। परंपरागत ज्योतिष का जो जड है , वो है हमारे पूजनीय ऋषि , महर्षियों की निरंतर की गयी मेहनत , जिसके फलस्वरूप प्राचीन काल से ही खगोल शास्त्र का इतना विकास हो सका था। उसी जड के आधार पर फलित ज्योतिष का पौध विकसित किया गया , जो पूर्ण तौर पर पल्लवित और पुष्पित होकर बडा वृक्ष बन अपनी सुगंधि बिखेरने लगा।
ऋषि , महर्षियों की मेहनत से तैयार किया गया इस वृक्ष का तना इतना मजबूत है कि सैकडों वर्षों से विभिन्न ज्योतिषियों के द्वारा जितनी भी विचारधाराएं आयी , सबको थामे रखने के काबिल बना रहा और सभी टहनियां तरह तरह के फल फूल और पत्ते देकर इस एक वृक्ष को विविधता से परिपूर्ण बनाता रहा। पुन: टहनियों में से भी टहनियां निकली और यह तना सबको संभालने के काबिल बना रहा। हमारी ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ भी एक अलग प्रकार की विचारधारा लेकर इस वृक्ष की एक टहनी के रूप में शोभायमान है।
Ganit jyotish in Kundli and astrology in Hindi
पूरे विश्व में गणित ज्योतिष को लेकर किसी प्रकार का विवाद नहीं है । वैसे पाश्चात्य ज्योतिष हमारे निरयन अंश को नहीं मानकर सायन अंश को ही मानता है , जबकि भारत में प्रचलित निरयन ही ग्रहों की वास्तविक स्थिति है। इस गणित ज्योतिष के बाद फलित ज्योतिष का भाग आता है , जिसमें भी पूरे ब्रह्मांड के 30-30 डिग्री का विभाजन , उसका स्वामित्व , ग्रहों की मैत्री और शत्रुता , विभिन्न भावों के बंटवारे को लेकर पूरे विश्व में किसी प्रकार का विवाद नहीं है। पर जैसे ही फलित कथन में हम आगे बढते है , विवाद शुरू हो जाता है , कोई एक तो कोई दूसरी पद्धति को भविष्यवाणी के लिए सही मानने लगता है। ये थोडी तकनीकी बात हो गयी , आम भाषा में मै इसे समझाती हूं।
Kundli astrology in Hindi and Zodiac status
पृथ्वी को स्थिर मान लेने से पूरब से उदित होती , पश्चिम कर ओर जाकर पश्चिम में अस्त होती एक पट्टी मान ली गयी है , जो पृथ्वी के चारों ओर घूमती रहती है और इसी पट्टी के सहारे सारे ग्रह भी पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। चूकि यह पट्टी वृत्ताकार है और पृथ्वी इसके केन्द्र में है , इसके 360 डिग्री को 12 भागों में बांट दिया जाता है तो 30-30 डिग्री की एक राशि निकलती है , जिसे मेष(0 से 30 डिग्री तक), वृष(30 से 60 डिग्री तक), मिथुन(60 से 90 डिग्री तक), कर्क(90 से 120 डिग्री तक), सिंह(120 से 150 डिग्री तक), कन्या(150 से 180 डिग्री तक), तुला(180 से 210 डिग्री तक), वृश्चिक(210 से 240 डिग्री तक), धनु(240 से 270 डिग्री तक), मकर(270 से 300 डिग्री तक), कुंभ(300 से 330 डिग्री तक)और मीन(330 से 360 डिग्री तक)कहा जाता है। इसमें से मेष और वृश्चिक को मंगल के स्वामित्व में ,वृष और तुला को शुक्र के स्वामित्व में , मिथुन और कन्या को बुध के स्वामित्व में , कर्क को चंद्रमा के स्वामित्व में , सिंह को सूर्य के स्वामित्व में , धनु और मीन को बृहस्पति के स्वामित्व में तथा मकर और कुंभ को शनि के स्वामित्व में दिया गया है। इन राशियों में से किसी बच्चे के जन्म के समय जिस राशि का उदय होता रहता है , वह बच्चे का लग्न कहलाता है।
All houses in Kundli Astrology in Hindi
परंपरागत ज्योतिष के अनुसार लग्न और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के शरीर विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के धन विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के भाई बंधु विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के माता और हर प्रकार की संपत्ति विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के बुद्धि ज्ञान विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवालेग्रहों से उस बच्चे के झंझट से जूझने की क्षमता विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के पति पत्नी और घर गृहस्थी विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के जीवनशैली विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के भाग्य और धर्म विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के पिता और सामाजिक प्रतिष्ठा विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के लाभ और लक्ष्य विषयक , उसके बाद वाली राशि और उसके साथ उदय होनेवाले ग्रहों से उस बच्चे के खर्च और बाहरी संदर्भों के विषय में भविष्यवाणी की जाती है। इन मुद्दों पर भी सारी दुनिया के साथ ही साथ गत्यात्मक ज्योतिष भी एकमत है।
पर इन सारे मुद्दो जिनकी चर्चा उपर गयी है ,के बारे में भविष्यवाणी करते वक्त ग्रहों की शक्ति निकालनी आवश्यक है , उसमें प्राचीन काल से अभी तक पूरे विश्व के साथ साथ भारतवर्ष के भी विद्वान एकमत नहीं दिखे। उसके लिए ज्योतिष शास्त्र में समय समय पर अनेकानेक सूत्र दिए गए हैं , इससे किसी सूत्र का उपयोग करके अपने ग्रहों को कमजोर और मजबूत दिखाना आपके बाएं हाथ का खेल बन जाता है।
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Various dasha kal in Kundli astrology in Hindi
इसके अलावे ग्रह आपके जीवन में किस वक्त प्रभावी होगा , इस बात पर भी दुनिया के विद्वान एकमत नहीं हैं। इसके लिए भी दस बारह पद्धतियां है , ज्योतिष में नया प्रवेश करनेवाले अपने जीवन में घटी घटनाओं के आधार पर किसी एक सिद्धांत को प्रभावी मान लेते हैं। इसलिए समय समय पर इसमें बहुत सारी टहनियां जन्म लेती जा रही है। इसमें सबसे मोटी टहनी विंशोत्तरी पद्धति की है और बहुत छोटी बडी टहनियां इनको आधार मानती हैं , नए ज्योतिषी इसमें से किसी टहनी पर चढ जाया करते हैं। पुराने ज्योतिषी हर टहनी पर चढचढकर फल पाने की आशा रखते हैं , पर इसमें उलझकर रह जाते हैं।
‘गत्यात्मक ज्योतिष’ को ग्रहों की शक्ति और उसके प्रतिफलन काल के लिए कोई मानक सूत्र न होना ज्योतिष की सबसे बडी कमजोरी लगती है और इसने ग्रहों की शक्ति और उसका प्रतिफलनकाल निकालने के अलग सूत्र का उपयोग करना आरंभ किया, जिसकी चर्चा 1975 से ही कई ज्योतिषीय पत्रिकाओं में होती रही। दिसम्बर 2010 में 'फ्यूचर समाचार' में भी इस पद्धति के बारे में एक बड़ा आलेख प्रकाशित किया गया था। इस तरह विंशोत्तरी पद्धति के बगल से इसने भी एक शाखा का विकास कर लिया है। इस पद्धति की सटीकता के बारे में अपना दृष्टिकोण रखना और भविष्यवाणियां करना आवश्यक है , सटीकता के बारे में तो आप पाठक ही कुछ कह सकते हैं । इतना ही नहीं, ग्रहों के बुरे प्रभाव को रोकने और अच्छे प्रभाव को बढ़ने के लिए गत्यात्मक ज्योतिष के अचूक उपाय भी बताये हैं।
इसी प्रकार गोचर के ग्रहों के प्रभाव पर भी एक सूत्र 'गत्यात्मक गोचर प्रणाली 'विकसित की गयी है। प्लेस्टोरे में मौजूद हमारा एप्प में दिन-प्रतिदिन के रिजल्ट और वर्षफल गत्यात्मक गोचर प्रणाली से ही निकाले जाते हैं , जो हमारे एप्प को डाउनलोड करनेवाले हज़ारो लोगों के लिए उनके मोबाइल में उनका अपना भविष्यफल बताता हैं। जब गोचर के ग्रहों का प्रभाव सामान्य होता है , तो इस एप्प की सटीकता पर संदेह हो सकता है , पर जैसे ही आपके गोचर के ग्रहों का अच्छा या बुरा प्रभाव पढ़ना शुरू होता है , इस एप्प की सटीकता पर विश्वास बन जाता है। आप भी इस एप्प को इनस्टॉल और गत्यात्मक ज्योतिष के सिद्धांतों की परख कर सकते हैं।
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