India horoscope
आजादी मिलने के वक्त की गंहस्थिति पर ध्यान दिया जाए तो भारतवर्ष की जन्मकुंडली भले ही वृषभ लग्न और कर्क राशि की बनें और उसके अनुसार सभी ज्योतिषी भारतवर्ष के बारे में भविष्यवाणी करने को बाध्य हों ,पर गत्यात्मक ज्योतिष' की मान्यता है कि भारत के अलग होने के आधार पर यानि देश के विस्तार के कम या अधिक हो जाने से उसकी नई जन्मकुंडली नहीं बनायी जानी चाहिए। मैने पिछले दिनों सभी लग्नवालों की विशेषताओं की चर्चा करते हुए 12 लेख लिखे ,पहले ही लेख में तर्क दिए गए थे कि मनुष्य की जीवनशैली मेष लग्न की जन्मकुंडली की जीवनशैली से मेल खाती है। इन्हीं लेखों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारतवासियों की जीवनशैली पूर्ण तौर पर कुंभ लग्न की जन्मकुंडली का प्रतिनिधित्व करती है और इस आधार पर भारतवर्ष का जन्म लग्न कुंभ होना चाहिए। इसलिए कुंभ लग्न के हिसाब से विभिन्न भावों में गोचर के ग्रहों की स्थिति के आधार पर भारतवर्ष के बारे में भविष्यवाणी की जानी चाहिए। इस मान्यता के पक्ष में ये तर्क दिए जा सकते हैं ....
Kumbh Lagna ki kundli me Chandra
कुंभ लग्न की कुंडली के अनुसार एक जातक के स्वभाव के बारे में आपने पढा। कुंभ लग्नवालों के मन का स्वामी चंद्र षष्ठ भाव का स्वामी होता है और यह जातक के प्रभाव और रोग , ऋण , शत्रु जैसे हर प्रकार के झंझट का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए कुंभ लग्न के जातकों के मन को पूर्ण तौर पर प्रभावित करने वाले संदर्भ किसी प्रकार के झंझट ही होते हैं। रोग , ऋण या शत्रु जैसे झंझट न होने पर मन को खुशी मिलती है , जबकि झंझट उपस्थित होकर इनके मन को दुखी करते हैं। भारतवासियों को भी किसी प्रकार के झंझट लेने की इच्छा नहीं होती , ये रोग के इलाज के लिए नहीं , रोग से बचने के लिए परहेज पर विश्वास रखते हैं , ऋण लेने को बडी मुसीबत मानते हैं , शत्रुता जैसे झंझट से दूर रहना पसंद करते हैं , हजारों साल का इतिहास गवाह है कि इन्होने आजतक कहीं भी आक्रमण नहीं किया।
Kumbh Lagna me Surya ka fal
कुंभ लग्न की कुंडली के अनुसार समस्त जगत में चमक बिखेरने वाला सूर्य सप्तम भाव का स्वामी होता है और यह जातक के घर गृहस्थी का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए अपने नाम यश को फैलाने के लिए कुंभ लग्न के जातक अपने घर गृहस्थी को महत्व देते हैं। घर गृहस्थी का वातावरण और दाम्पत्य जीवन बहुत ही उत्तम कोटि का और अनुकरणीय होता है , भले ही सूर्य कमजोर रहने पर इन्हें अपनी दाम्पत्य जीवन से कष्टकर समझौता करने को बाध्य होना पडे। भारतवासी भी अपनी घर गृहस्थी को इतना महत्व देते हैं कि यहां कष्टकर समझौता भी इन्हें मंजूर होता है , जो अनुकरणीय है।
Kumbh lagna me Mangal ka fal
कुंभ लग्न की कुंडली के अनुसार मंगल तृतीय और दशम भाव का स्वामी होता है और यह जातक के भाई बहन , बंधु बांधव , पिता , समाज और पद प्रतिष्ठा का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्न के जातकों के परिवेश में भाई , बहन , बंधु बांधव , पिता , समाज सभी शामिल होते है , चाहे मंगल के मजबूत होने से भाई बंहन बंधु बांधवों से लेकर पिता समाज के सारे बुजुर्गों से इनके संबंध अच्छे बने हों और इसके कारण प्रतिष्ठा के पात्र हों , या फिर मंगल के कमजोर होने पर भाई , बंधु , पिता , समाज या अन्य लोगों का कष्ट झेलने को इन्हे बाध्य होना पडता है , इनकी प्रतिष्ठा पर भी आंच आए। पर भाई बहन बंधु बांधव और सामाजिकता के बिना एक भारतीय नहीं रह सकता।
Kumbh lagna me Shukra ka fal
कुंभ लग्न की कुंडली के अनुसार शुक्र चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी है और यह जातक के मातृ पक्ष और हर प्रकार की छोटी बडी संपत्ति , स्थायित्व के साथ साथ भाग्य आदि का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए कुंभ लग्नवालों के हर प्रकार के संपत्ति का उनकी माता या भाग्य से संबंध बना होता है। कुंभ लग्नवाले माता या भाग्य के सहयोग से हर प्रकार की संपत्ति का सुख प्राप्त कर लेते हैं और स्थायित्व की मजबूती पाते हैं। यदि भाग्य के साथ न देने से हर प्रकार के संपत्ति के सुख में बाधा हो और स्थायित्व कमजोर दिखाई पडे । एक भारतवासी के संदर्भ में भी देखें तो इन्हें भाग्य से ही इन्हें प्राकृतिक संपदा प्राप्त है , जो जिस क्षेत्र में हैं , उसी क्षेत्र में किसी न किसी प्रकार का प्रचुर भंडार उपलब्ध हैं। कभी प्राकृतिक विपत्ति का सामना करना भी पडे तो इतने बडे साधन संपन्न भारतवर्ष में उन्हें गुजारे की दिक्कत नहीं होती।
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Kumbh Lagna me Budh ka fal
कुंभ लग्न की कुंडली के अनुसार बुध पंचम और नवम भाव का स्वामी है और यह जातक के बुद्धि , ज्ञान संतान और जीवनशैली का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्न के जातक अपनी बुद्धि का उपयोग हमेशा जीवनशैली को सुधारने के लिए करते हैं। यही कारण है कि हमारे देश में अधिकांश चिंतकों और विचारकों ने कुंभ लग्न में ही जन्म लिया था और उन्होने अपने ज्ञान का उपयोग भौतिक या अन्य सुख के लिए नहीं , सिर्फ और सिर्फ जीवनशैली को सुधारने के लिए किया। कुंभ लग्नवालों की तरह ही भारतीय ऐसी जीवनशैली पर विश्वास रखते हैं , जो आनेवाली पीढी को अधिक सक्षम बना सके। हजारो वर्षों से भारतवासियों ने भी अपने दिमाग का पूरा उपयोग जीवनशैली को मजबूत बनाने में किया है , ताकि आनेवाली पीढी शारीरिक मानसिक और आर्थिक तौर पर अधिक मजबूत हो सके।
Kumbh Lagna me Guru ka fal
कुंभ लग्न की कुंडली के अनुसार बृहस्पति द्वितीय और एकादश भाव का स्वामी होता है और यह जातक के धन , कोष , लाभ के मामलों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए कुंभ लग्न के जातकों के धन कोष का लाभ से और लाभ का धन कोष से संबंध बना होता है। कुंभ लग्न के जातक संसाधन वाले परिवार में जन्म लेते हैं , जिससे इन्हें लाभ को लेकर कोई चिंता नहीं होती , सतत लाभ से इनका कोष मजबूत बना होता है। संसाधन हीनता से इनका लाभ प्रभावित होता है तो इनके कोष पर बुरा प्रभाव पडता है। भारतवासियों को भी लाभ संसाधन के बल पर ही मिलता आ रहा है , कभी किसी प्रकार की आपत्ति में एक क्षेत्र के लोगों का लाभ भले ही प्रभावित हो जाए , पर उन्हे दूसरे क्षेत्र से संरक्षण मिल ही जाता है।
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Kumbh Lagna me Shani ka fal
कुंभ लग्न की कुंडली के अनुसार शनि प्रथम और द्वादश भाव का स्वामी होता है यानि यह जातक के शरीर , व्यक्तित्व , खर्च और बाहरी संदर्भों आदि मामलों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्नवाले जातकों की अपने स्वास्थ्य या व्यक्तित्व को मजबूती देने में अधिक से अधिक खर्च करने की प्रवृत्ति होती है। जातकों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है , खर्च शक्ति के बने होने से और खाने पीने के सुख से आत्मविश्वास में बढोत्तरी होती है। कभी कभार कुंभ लग्नवालों के स्वास्थ्य में कमजोरी बनी रहती है , खर्चशक्ति की कमी से आत्मविश्वास कमजोर होता है। भारतवासियों के संदर्भ में देखा जाए , तो आजतक इनका खर्च भोजन में ही होता आया है। इनमें स्वास्थ्य के मामलों को गंभीरता से देखने की प्रवृत्ति मौजूद है , स्वास्थ्य के अलावे दूसरी जगह पर इनका खर्च बहुत कम होता है।
Kundli India
देश की तरह ही अपने अपने परिवार या समाज के हिसाब से , धर्म के हिसाब से माता और पिता के विचारों के हिसाब से भी अलग अलग लग्नानुसार हर व्यक्ति जीता है। मानव जाति के हिसाब से हममें से हर किसी की शैली मेष लग्न के अनुरूप होती है , पुन: भारतवासी होने के हिसाब से कुंभ लग्न के अनुरूप और अपने अपने धर्म , समाज या परिवार के हिंसाब से माता , पिता को प्रतिनिधित्व करनेवाले लग्न का भी छाप हमपर पडता है। पर मूल तौर पर अपने जन्मकालीन लग्न के हिसाब से जीने की सभी मनुष्यों की अपनी प्रवृत्ति होती है , क्यूंकि इन सबके बावजूद हर कोई अलग अलग बीज होता है और उसका निर्धारण लग्नकुंडली से ही किया जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे विशेष तौर पर विकसित किए गए लंगडे आम के पेड में कुछ गुण पेड के हिसाब से , कुछ आम के हिसाब से और कुछ अपनी जाति के हिसाब से होते हैं , पर उनमें मुख्य खूबी वह होती है , जिस गुण के कारण उसका अस्तित्व होता है।
ज्योतिष में सभी लग्न की कुंडलियों के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं। लेकिन ग्रह कमजोर है या मजबूत, इसका पता आंशिक तौर पर हमारे योगकारक ग्रहों का प्रभाव लेख से मालूम हो सकता है, पर ग्रहों की गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति की जानकारी के लिए हमारे केंद्र से जन्मकुंडली बनवाना आवश्यक है!