Same rashi same lagna
क्षेत्रीय भाषाओं में बहुत नाज नखरों से पालन पोषण होनेवाले दुलारे बच्चे को 'लगनचंदा बच्चा' कहा जाता है , किसी बच्चे की जिद को देखकर उसे डांटते हुए यह भी कहा जाता है कि तुम 'लगनचंदा' नहीं हो , जो तुम्हारी हर जरूरत पूरी हो जाएगी। इस शब्द के इतने लोकप्रिय होने के बावजूद आपमें से शायद ही कोई जानते होंगे कि 'लगनचंदा योग' का क्या मतलब है ?
मैं अपने एक आलेख में पहले ही बता चुकी हूं कि ज्योतिष में आसमान के बारहों राशियों में से जिसका उदय बालक के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर होता रहता है , उसे बालक का लग्न कहते हैं। अब इसी लग्न में यानि उदित होती राशि में च्रद्रमा की स्थिति हो , तो बालक की 'जन्मकुंडली' में लग्नचंदायोग बन जाता है , जिसे ही क्षेत्रीय भाषा में 'लगनचंदा योग' कहते हैं।
Lagan chanda
यदि संभावनावाद की दृष्टि से यहां भी विचार किया जाए , तो किसी भी कुंडली में बारह भाव होते हैं और किसी भी भाव में किसी ग्रह के बैठने की संभावना 1/12 होती है। इस हिसाब से लगनचंदा योग भी 12 में से एक बच्चे का होता है , यानि 8 प्रतिशत से अधिक बच्चे 'लगनचंदा योग ' में आ जाते हैं। पर हम इस वास्तविक दुनिया को देखेंगे , तो अहसास होगा कि 8 प्रतिशत बच्चों को मुंहमांगी मुराद पूरी नहीं होती है , तो इसका अर्थ क्या यह माना जाए कि इस योग में कोई सच्चाई नहीं !
नहीं, ऐसी बात नहीं है , 'लग्नचंदा योग' किसी भी व्यक्ति के बाल्यावस्था में बच्चे के पालन पोषण के फलस्वरूप उसके मनोवैज्ञानिक विकास में बहुत ही सकारात्मक प्रभाव डालता है , लेकिन इसके लिए जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति को मजबूत होना चाहिए। यदि चंद्रमा मजबूत हो , तो बालक पर 'लग्नचंदा योग' का पूरा प्रभाव पडेगा , जबकि चंद्रमा कमजोर हो तो 'लग्नचंदा योग' के प्रभाव में बाधा दिखाई दे सकती है।
Weak moon
चंद्रमा की शक्ति का निर्णय हम उसके आकार के आधार पर कर सकते हैं। इस हिसाब से जब चंद्रमा अमावस्या के आसपास का हो , तो वह कमजोर होता है , जबकि पूर्णिमा के आसपास का हो , तो वह मजबूत होता है। कमजोर चंद्रमा लग्न में हो , तो बालक को बुरा फल तथा मजबूत चंद्रमा लग्न में हो , तो बालक को अच्छा फल प्रदान करता है। सामान्य होने पर सामान्य ढंग का फल प्राप्त होता है।
Strong moon
मजबूत चंद्रमा के साथ का 'लग्नचंदा योग' मेष लग्नवालों के लिए माता से सुख और लगाव, वृष लग्नवालों के लिए भाई बहनों से सुख और लगाव , मिथुन लग्नवालों के लिए धन से सुख और लगाव , कर्क लग्नवालों के लिए स्वास्थ्य से सुख और लगाव, सिंह लग्नवालों के लिए से सुख और लगाव , कन्या लग्न वालों के लिए लाभ से सुख और लगाव , तुला लग्नवालों के लिए पिता से सुख और लगाव, वृश्चिक लग्नवालों के लिए भाग्य से सुख और लगाव , धनु लग्नवालों के लिए जीवन शैली से सुख और लगाव , मकर लग्नवालों के लिए घरेलू मामलों से सुख और लगाव , कुंभ लग्नवालों के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता से सुख और लगाव तथा मीन लग्नवालों के लिए बुद्धि से सुख और लगाव भरपूर रहता है , जबकि कमजोर चंद्रमा के साथ का 'लग्नचंदा योग' लगाव के बावजूद बचपन में इन सुखों में कमी का अहसास देता है।
Lagnachanda yog
वैसे तो ज्योतिष में छठे भाव में ग्रहों की उपस्थिति को अच्छा नहीं माना जाया, पर अच्छे 'लग्नचंदा योग' के साथ यदि षष्ठ भाव में अधिकांश ग्रहों की स्थिति हो तो इस योग का प्रभाव और अधिक पडता है। ऐसे बच्चे शरीर से स्वस्थ , अपने मा पिताजी और परिवार वालों के लाडले , हर प्रकार की सुख सुविधा में जीवन यापन करने वाले होते हैं। उनके बचपन में पालन पोषण के वक्त लाड प्यार का क्या कहना ??