धर्म और परंपरागत ज्ञान-विज्ञान

 

धर्म क्या है ?


धर्म क्या है - अलग अलग काल में अलग अलग देश में उनके विद्वानों, उनके नेताओं या उनके योद्धाओं द्वारा पूरे समाज को समुचित ढंग से चलाने के लिए अनिवार्य रूप से धारण करने के लिए कुछ नियमों की संहिता बनाई जाती है । इस संहिता की अधिकाँश बातें भविष्य में बड़ी समस्या उत्पन्न होने से बचाती है। इसलिए ये बातें जनसामान्य को बड़ी आसानी से समझ में आ जाती हैं।

चूँकि उन विद्वानों, नेताओं, योद्धाओं के अनुयायी बड़ी संख्या में होते हैं, बिना किसी प्रकार का तर्क किये हुए उनकी बातों को मानती रहती है। ये नियम उनके लिए धर्म हो जाते हैं, जिसका पालन उनकी संतानों के लिए भी अनिवार्य कर दिया जाता है। उन विद्वानों, नेताओं और योद्धाओं को धर्मगुरु भी मान लिया जाता है। धर्मगुरु की कमी से समाज को आगे नियम-पालन में कठिनाई नहीं आये, इसलिए समाज के वंश की वृद्धि के साथ धर्मगुरुओं के भी दुगुने-चौगुने शिष्य बनते रहते हैं।

यह सब आज के संविधान की तरह का ही माना जा सकता है, पर जहाँ संविधान को सजा के भय से माना जाता है, वहीं धर्म आस्था से जुड़े होने के कारन माना जाता रहा है। संविधान में परिवर्तन की जगह धर्म में भी देश काल परिस्थिति के हिसाब से परिवर्तन की बात की गयी है। छोटे-छोटे परिवार या क्षेत्र के छोटे नियम को छोड़ दिया जाये तो हर बड़े क्षेत्र के बड़े धर्म को आप वहां की तात्कालीन परिस्थिति के हिसाब से सही पा सकते हैं। जरूर ये नियम प्रकृति के नियमो से तालमेल के बाद ही बनाये गए होंगे।

Indian religion facts

विज्ञान क्या है ??


विज्ञान क्या है - वर्तमान काल में प्रकृति के नियमों के कार्य-कारण संबंधों को अच्छी तरह टेस्ट करने के बाद वैज्ञानिक जो भी निष्कर्ष निकालते हैं , वह विज्ञान है। इसका विकास एक एक सीढी निरंतर होता रहता है, इसमें अभी तक उपस्थित होते आये हर समस्या का समाधान होता है। पढ़े लिखे लोगों तक तो यह जर्नल के माध्यम से पहुँच जाता है। विकसित देशों में विज्ञान के प्रचार-प्रसार में दिक्कत नहीं आती है, पर अविकसित देश, जहाँ अधिकांश लोग पढ़े लिखे न हो, वहां तक ये नियम नहीं पहुँच पाते।

वैज्ञानिकों के दिए गए सलाह में खर्च भी अधिक हैं, इसलिए जनसामान्य को यह आकर्षित नहीं कर पाता। विज्ञान ने हर रोग का उपाय ढूंढा, पर दैनंदिन कठिनाईयों से निबटने के लिए सार्वभौमिक नियम नहीं बनाये। विज्ञान की खोज को कहीं कहीं पैसे कमाने का भी बड़ा स्रोत समझकर सबकी जिंदगी से खिलवाड़ किया गया। वैज्ञानिकों ने कुछ सलाह भी दी तो सरकार ने उन नियमों को मानने के लिए कभी लोगों को प्रेरित किया कभी नहीं। कुल मिलाकर हर क्षेत्र के वैज्ञानिकों और सरकार के मध्य तालमेल का ऐसा अभाव रहा कि विज्ञान वरदान से अधिक अभिशाप बन गया है।

धर्म की उपेक्षा 

धर्म की उपेक्षा - इस वैज्ञानिक युग में सबसे बड़ी गलती हर देश ने जो की, वह यह है कि पढ़े लिखे लोगों ने धर्म या परंपरागत रूप से चल रहे ज्ञान-विज्ञान को अपना क्षेत्र नहीं चुना। जिन्होंने चुना भी, उन्हें सरकार इतना साधन नहीं दे पायी कि वे देश काल और परिस्थिति के हिसाब से बदल रहे धर्म, परंपरागत ज्ञान-विज्ञान का प्रचार-प्रसार धर्म गुरु बनकर कर सके। बिना तर्क समझाए विज्ञान के सभी नियमों को जनता द्वारा मनवा लेना बहुत आसान था। जीवन-शैली को बदलने में विज्ञान को धर्मगुरुओं द्वारा प्रचारित-प्रसारित किया जा सकता था। किसी भी देश की रीढ़ रहे धर्म को वैज्ञानिक और सरकार उपेक्षा भरी निगाह से देखते रहे और आज के आर्थिक युग में इस रीढ़ को विनष्ट करने का मौका व्यावसायिक दिमाग रखने लोगों को मिल गया। वे अपने मनमाने व्यवहार से जनता को लूटते, खसोटते और गलत निर्देश देते रहे। हर बड़े से छोटे जगहों में सैकड़ों उदहारण आपको मिल जायेंगे, जहाँ धर्म का वास्तविक स्वरुप खोया हुआ है और धर्म अधर्म बन गया है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष - यदि एक लेखक का काम समस्या को दिखाना तो इसको सुलझाना भी है। सभी विषयों की तरह धर्म और परंपरागत ज्ञान-विज्ञान को भी आज के जमाने के अनुरूप विकसित बनाने के लिए उस तरह की रूचिवाले १२वीं तक की पढ़ाई में कुशाग्र रहे विद्यार्थियों को मौका दिया जाये। वे ग्रेजुएशन लें, मास्टर डिग्री लें, पीएचडी और M PHIL करें, आज् के ज़माने के हिसाब से उचित लग रहे सिद्धांतों को चुनचुनकर इकठ्ठा करें और सरकार की मदद से धर्मगुरु तथा आचार्य बनकर मानव जीवन की जीवनशैली को सुन्दर बनाने में मदद करें। याद रखें, धर्म को समाज से दूर नहीं किया जा सकता। उसे ज़माने के अनुकूल बनाया जा सकता है। आज इस क्षेत्र में बड़े बड़े विद्वानों की आवश्यकता है। और इसके लिए वैज्ञानिकों और सरकार को आगे आना होगा। अन्यथा विज्ञान कितना भी आगे निकल जाये, धर्म के नाम पर अधर्म को मानने वाले जाहिल लोग इस दुनिया में भरे रहेंगे।

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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