Coronavirus problems in society
अभी कुछ दिन पहले ही हमारी कॉलोनी में कोरोना के मामले आने शुरू हुए हैं ! अखबार में खबर तो पढ़ने को मिलती हैं, पर संक्रमित का नाम छुपा दिया जाता हैं ! मैं कुछ दिनों से सोच रही थी कि प्रशासन के द्वारा नाम क्यों छुपाया जा रहा हैं ! यदि नाम बताया जाता तो सुविधा होती, कॉलोनी के लोग उससे दूरी बनाकर रहते, क्योंकि लॉक डाउन से लेकर अभी तक हमारी कॉलोनी में न तो मास्क और न ही सोशल डिस्टैन्सिंग का ख्याल रखा जा रहा था !
आज एक पोस्ट मिली, जिससे मालूम हुआ कि गाँव देहातों में कोरोना मरीजो को घृणात्मक तरीके जा देखा जा रहा हैं ! शायद इसलिए ही प्रशासन ने नाम छुपाने का निश्चय किया होगा ! आश्चर्य की बात हैं कि एक एक मोहल्ले में सरकार के लोग बैठे हुए हैं, इतने राजनीतिक पार्टी के लोग भी हर जगह मौजूद हैं ! फिर भी कोरोना से सम्बंधित भ्रम का उन्मूलन 5 महीनों में नहीं हो पाया !
5 महीनों में भी लोगो को समझ में नहीं आ रहा कि कोरोना से बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए ! कुछ इमरजेंसी ड्यूटी करनेवालों को छोड़ दिया जाये तो अन्य भी कुछ लोग बेवजह बिना मास्क लगाए बिना सोशल डिस्टैन्सिंग के घूमते, होटलों में खाते पीते और कोरोना को आमंत्रण देते मिलेंगे ! वास्तव में कोरोना उन्ही की लापरवाही से बढ़ रही हैं ! इसमें कोई शक नहीं कि सबसे पहले तो इन्ही में से कुछ लोग कोरोना के शिकार बनते हैं ! इनके कारण ही धीरे धीरे कोरोना संक्रमण सबमे फैलता हैं !
कोरोना को समेट पाने की कोशिश में अब कामयाबी मिलनी मुश्किल हैं ! क्योंकि अभी समाज में कोरोना बहुत अधिक फ़ैल चुका हैं ! इसलिए कभी भी कोई भी कोरोना का शिकार हो सकता हैं ! दक्षिण एशिया के दक्षिण में वैसे भी कोरोना की मारक क्षमता कम देखी जा रही हैं ! इसके बावजूद आप सावधानी बरतें, कोरोना मरीजो से आवश्यक दूरी तो बनानी ही होगी ! पर घृणात्मक व्यवहार उचित नहीं हैं !
95% से 97% मरीजों पर कोरोना कोई असर नहीं डालता, वे अपनी देखभाल करने में समर्थ होते हैं, वहाँ जाकर कोई खुद को संक्रमित कर ले, यह कहाँ का न्याय हैं? आजकल सबों के पास फ़ोन की सुविधा हैं, फ़ोन करके किसी से सामान मंगवा लेना चाहिए ! सबसे दूरी तो बनाये रखनी पड़ेगी ही ! बाकी के 3% से 5% गंभीर मरीजों को अस्पताल ही जाना पड़ता हैं, वहाँ भी परिवार के किसी सदस्य की कोई आवश्यकता नहीं, डॉक्टर आपको अंदर जाने ही नहीं देंगे !
ईश्वर की इच्छा के हिसाब से कोरोना के कुछ मरीजों का निधन हो जाता हैं तो कुछ एक महीने में ठीक हो ही जाते हैं ! शुरुआत में लोगों को अनुभव की कमी थी, पर 5 महीनों में बहुत कुछ समझ में आ गया हैं ! अभी भी सावधान रहने की जरूरत तो हैं, पर कोरोना को लेकर मोहल्ले, गाँव और देशवासियों से घृणा करने की जगह कहाँ हैं?
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