कबीर के दोहे धर्म पर

 

कबीर के दोहे धर्म पर

(Kabir k dohe in Hindi)

आज के  युग में भी कबीरदास जी के चिंतन के सभी कायल हैं। उनके दोहे सर्वकालिक और सार्वभौमिक माने जा सकते हैं। जड़ धर्म पर उन्होंने जमकर चोट की है और  अपने दोहो में धर्म का व्यावहारिक रूप सामने रखा है। 

Kabir ke dohe dharm par


 कस्तूरी  कुंडली  बसै  मृग  ढूँढ़ै  बन  माहि। 

ऐसे  घट  घट  राम  हैं  दुनिया  देखत नाहिं।

जिस तरह हिरन के अपने शरीर में ही कस्तूरी होता है , पर उसकी सुगंध को ढूंढता हुआ पुरे जंगल भटकता है , उसी प्रकार ईश्वर हमारे साथ हैं , पर हम उसे मंदिरों और मस्जिदों में ढूंढते फिरते हैं ।

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,

कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।

कोई व्यक्ति हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता रहता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता। कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ दे और मन के मोतियों को बदलो या फेरो।

जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं ।

प्रेम गली अति सांकरी जामें दो न समाहीं ।

मन में अहंकार था तो प्रभु साथ नहीं थे , मन का अहंकार  समाप्त हुआ तो प्रभु मिले। प्रेम की गली इतनी पतली संकरी होती है कि उसमे अहम् या परम एक ही रह सकता है ! परम की प्राप्ति के लिए अहम् का विसर्जन आवश्यक है।

कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और ।

हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ।

कबीर दास जी कहते हैं लोग अंधे और मूर्ख हैं जो गुरु की महिमा को नहीं समझ पाते। ईश्वर आपसे रूठ गया तो गुरु का सहारा है लेकिन अगर गुरु आपसे रूठ गया तो दुनियां में कहीं आपका सहारा नहीं है।

लंबा मारग दूरि घर, बिकट पंथ बहु मार।

कहौ संतों क्यूं पाइए, दुर्लभ हरि दीदार।

रास्ता लम्बा और भयंकर है , चोर और ठग भरे पड़े हैं। हम उनमें पड़कर हम भरमाए रहते हैं – बहुत से आकर्षण हमें अपनी ओर खींचते रहते हैं, ईश्वर का दीदार नहीं हो पाता। 

धर्म किये धन ना घटे, नदी न घट्ट नीर।

अपनी आखों देखिले, यों कथि कहहिं कबीर।

धर्म परोपकार, दान सेवा करने से धन नहीं घटना, देखो नदी सदैव बहती रहती है, परन्तु उसका जल घटना नहीं। धर्म करके स्वयं देख लो, कभी भी धन की धारा नहीं कम होगी। 

जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप ।

जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप ।

कबीर दास जी कहते हैं कि दया और धर्म ,  लोभ और पाप , क्रोध और सर्वनाश साथ साथ होते है,  लेकिन जहाँ क्षमा है वहाँ ईश्वर का वास होता है।

पतिबरता मैली भली गले कांच की पोत ।

सब सखियाँ में यों दिपै ज्यों सूरज की जोत ।

पतिव्रता स्त्री तन से मैली भी हो भी अच्छी है।  उसके गले में केवल कांच के मोती की माला भी हो तो वह अपनी सब सखियों के मध्य सूर्य के तेज के समान चमकती है !

मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।

कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत ।

जय पराजय केवल मन की भावनाएं हैं, मनुष्य मन में हार गया तो पराजय है और उसने मन को जीत लिया तो वह विजेता है। ईश्वर को भी मन के विश्वास से ही पा सकते हैं। 

अपनी आखों देखिले, यों कथि कहहिं कबीर।

मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान।

 ज्ञान का महत्व धर्म से कही ऊपर है इसलिए किसी भी सज्जन के धर्म को किनारे रख कर उसके ज्ञान को महत्व देना चाहिए। जिस प्रकार मुसीबत में तलवार काम आता है , उसको ढकने वाला म्यान नहीं , उसी प्रकार विकट परिस्थिती में सज्जन का ज्ञान काम आता है, उसका जाती या धर्म नहीं । 

अमेज़ॉन के किंडल में विद्या सागर महथा जी की फलित  ज्योतिष  :  कितना  सच  कितना  झूठ  को  पढ़ने  के  लिए   इस लिंक पर क्लिक करें !

कृपया कमेंट बॉक्स में बताएँ कि यह लेख आपको कैसा लगा? यदि पसंद आया तो अपने मित्रों परिचितों को अवश्य शेयर करे, ताकि ज्योतिष से सम्बंधित वैज्ञानिक जानकारी जन-जन तक पहुंचे। नीचे के फेसबुक, ट्विटर और अन्य बटन आपको इस लेख को शेयर करने में मदद करेंगे।

    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

    Please Select Embedded Mode For Blogger Comments

    और नया पुराने