bhavishyavani dekhne ka tarika
भविष्यवाणी देखने का तरीका
गत्यात्मक ज्योतिष के हमारे पाठ से अभीतक आपने कुंडली देखकर बहुत कुछ समझना सीखा । आप सबों की सहज जिज्ञासा होगी कि आसमान का यह कुंडली रुपी चित्र किसी के वर्तमान ,भूत और भविष्य की जानकारी देने में किस प्रकार समर्थ होगा ? हमने एक वीडियो में कुंडली के 12 भावों की चर्चा की है, अभी तो बहुत कम वीडियो पोस्ट हुए हैं, इसलिए आप समय निकालकर सभी वीडियो को देख सकते हैं। इन्हे देखने से आपको सुविधा होगी कि आप आनेवाले वीडियो को आसानी से समझ सकेंगे। कुंडली के 12 भाव जीवन के एक एक सन्दर्भों का प्रतिनिधित्व करते हैं , उसके सामने लिखे अंक का राशीश ग्रह उस भाव का राशीश ग्रह हो जाता है। उस राशीश ग्रह की शक्ति से ही हम उन सन्दर्भों की भविष्यवाणियां करने में समर्थ होते हैं।
कोई भी ग्रह तीन स्थिति में कमजोर या मजबूत हो सकते हैं ---
पहला, कुंडली में यानि जन्मकालीन समय में , जिस समय बच्चे का जन्म हो रहा हो , कोई ग्रह मजबूत हो तो वह कुंडली में भी मजबूत स्थिति में बैठता है , उस समय कोई ग्रह कमजोर हो तो वह कुंडली में भी कमजोर स्थिति में बैठता है। ग्रह मजबूत हों तो कुंडली के जिस भाव के स्वामी हों और जिस भाव में उनकी स्थिति हो, जीवनभर उनसे सम्बंधित अच्छा फल प्रदान करेंगे। ग्रह कमजोर हों तो कुंडली के जिस भाव के स्वामी हों और जिस भाव में उनकी स्थिति हों, जीवनभर उनसे सम्बंधित बुरा फल प्रदान करेंगे। कुंडली में स्थित सभी ग्रहों का फल स्थायी होता है, जीवनभर छोटे या बड़े रूप में उन ग्रहों का फल मिलता रहता है।
दूसरा, दशाकाल में यानि जब ग्रह की दशा चल रही हो , अपने दशाकाल में कुंडली में बैठे मजबूत ग्रह उन भावों से सम्बन्धित अच्छा फल प्रदान करते हैं , जिनके वे स्वामी होते हैं या जिन भावों में उनकी स्थिति होती है। इसके विपरीत , अपने दशाकाल में कुंडली में बैठे कमजोर ग्रह उन भावों से सम्बंधित बुरा फल प्रदान करते हैं , जिन भावों के वे स्वामी होते हैं या जिन भावों में उनकी स्थिति होती है। पूरे जीवनकाल की तुलना में अच्छे या बुरे ग्रह अपने दशाकाल में खास अच्छा या बुरा फल प्रदान करते हैं।
तीसरा , गोचर में यानी आसमान में जब ग्रह की खास स्थिति हो, कभी कभी आसमान में किसी एक-दो या अधिक ग्रहों की ऐसी स्थिति चलती है, जिसका तालमेल कभी आपकी कुंडली के सभी ग्रहों से बहुत अच्छा होता है, ऐसे समय में कई मामलों में आपकी सोच से अच्छी परिस्थितिया उपस्थित होती हैं। कभी गोचर के साथ आसमान के ग्रहों का सामान्य तालमेल बना रहता है , सब सामान्य लगता है। लेकिन कभी कभी आसमान के ग्रहों और कुंडली के ग्रहों के मध्य का तालमेल बहुत ही बुरा होता है। ऐसे समय में अस्थायी , लेकिन बहुत गड़बड़ परिस्थितियां उपस्थित हो जाती हैं, जैसा आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। ये अल्पावधि की होती हैं।
हमें कुंडली को देखकर सभी भावों के स्थायी तौर पर अच्छे बुरे होने का पता चल जाता है , जीवनयात्रा में कब गड़बड़ और कब अच्छी परिस्थितियां होंगी , इसका अनुमान लगाना पड़ता है। गोचर के ग्रहों से कम अवधि की भविष्यवाणी में मदद मिलती है, जैसे किसी व्यक्ति की कुंडली में वैवाहिक सुख है , उसका दशाकाल भी चल रहा है, पर शादी का मुहूर्त कब आएगा, यह गोचर से स्पष्ट होता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में करियर का सुख है , उसका दशाकाल भी चल रहा है, पर नौकरी कब होगी , यह गोचर से स्पष्ट होगा।
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