Love marriage hone ke sanket
आज के परिवेश में बच्चों के पालन पोषण में अभिभावकों की बढती उदारता से बच्चे न सिर्फ स्वतंत्र , वरन उच्छृंखल भी हो गए हैं। इस कारण अपने दोस्तों के साथ उनके व्यवहार में काफी खुलापन आ गया है , जिसको देखते हुए पुराने ख्यालात के अभिभावक अक्सर परेशान हो जाते हैं। यही कारण है कि आजकल सयाने बेटे बेटियों की कुंडलियों को लेकर आनेवाले अभिभावकों का एक सामान्य सा प्रश्न हो गया है कि उनके बच्चे की कुंडली में लव-मैरिज होने के संकेत है या नहीं ?
Love marriage hone ke lakshan
इस प्रश्न का जवाब देने के लिए कुंडली के सप्तम भाव पर ही ध्यान दिया जा सकता था , क्योंकि परंपरागत ज्योतिष में यही भाव पति , पत्नी , घर गृहस्थी और दाम्पत्य जीवन से लेकर प्यार और रोमांस तक के बारे में बतलाता है। यही सोंचकर मैने प्रेम विवाह करने वाले अनेको लोगों की कुंडलियों का परंपरागत ढंग से विवाह करनेवालों की कुंडलियों के साथ तुलनात्मक अध्ययन करने में काफी समय जाया किया , पर फल वही ढाक के तीन पात।
वैवाहिक मामले
love marriage hone ke sanket kyon nahi milta ?
लव-मैरिज होने के संकेत ढूँढने में काफी माथापच्ची में कुछ दिन व्यतीत होने और किसी निष्कर्ष पर न पहुंच पाने से मैं कुछ परेशान ही थी कि अचानक एक काफी बुजुर्ग महिला की कुंडली मेरे पास पहुंची , जिन्होने प्रेम विवाह किया था और उस विवाह के कारण उन्हें वर्षों तक बहुत ही दर्दनाक परिस्थितियों से गुजरना पडा था।
love marriage hoga ya arranged marriage
पर तुरंत बाद ही इसका रहस्य मेरी समझ में आ ही गया , वह यह कि 20-25 वर्ष पहले के सामाजिक और पारिवारिक स्थिति में विवाहपूर्व प्रेम मानो एक तरह का अपराध ही था और प्रेम विवाह तो बहुत ही असामान्य तरह की घटना होती थी । यहां तक कि विवाह तय होने के बाद भी युवक युवतियों को एक दूसरे से मिलने की सख्त मनाही होती थी। बहुत उन्नत विचारों वाले परिवार में ही युवा अपने जीवन साथी को देख पाते थे , अन्यथा अधिकांश जगहों पर विवाह के बाद ही अपने जीवनसाथी की एक झलक तक मिलती थी।
love marriage hone ke sanket
मुझे याद आया , जब मैं कालेज में पढ ही रही थी , अपने कालेज के एक सीनियर के प्रेम की बात उसके परिवारवालों के द्वारा स्वीकार नहीं किए जाने पर उन्होने छुपकर कोर्ट में विवाह कर लिया था तो दोनो ही परिवार के लोग इसे पचा नहीं सके थे और लगभग दस वर्ष तक उन्हें अपने परिवारवालों से मिले जुले बिना ही काटनी पडी थी , जबकि दोनो पढे लिखे और भौतिकी के लेक्चरर थे और उन्होने सोंच समझकर ही निर्णय लिया था। हां, स्वजातीय या अपने किसी परिचित के संतान होने पर एक दो प्रतिशत से भी कम मामलों में ही सही, प्रेम करनेवालों की सुन ली जाती थी और उन्हें खुशी खुशी वैवाहिक बंधन में बंधने की स्वीकृति मिलती थी।
prem Vivah ke upay
पर आज प्रेम विवाह या परिवार द्वारा आयोजित किए जानेवाले विवाह में कोई अंतर नहीं रह गया है। यदि युवा किसी से प्रेम भी करते हैं तो भले ही कुछ दिन इंतजार करना पडे , पर अपने अपने अभिभावकों को विश्वास में ले ही लेते हैं और आखिर में उनकी रजामंदी से प्रेम विवाह को अभिभावक के पसंदीदा विवाह में बदल ही दिया जाता है। सारे नाते रिश्तेदारों के मध्य उत्सवी माहौल में न सिर्फ उनका विवाह ही करवाया जाता है , वरन् उनके प्रेम का कोई गलत अर्थ न लगाते हुए उनके चुनाव की प्रशंसा भी की जाती है। आज के माहौल को देखते हुए प्रेम विवाह के उपाय निकलने की जरूरत नहीं।
यदि परिवारवालों की पसंद के अनुसार भी विवाह हो रहा हो , तो भी विवाह पूर्व युवकों और युवतियों को एक दूसरे से मिलने और एक दूसरे को समझने की पूरी स्वतंत्रता मिल ही जाती है। इस कारण उनके मन में न तो कोई संदेह होता है और न ही अनिश्चितता । अब इस स्थिति में इन दोनो प्रकार के विवाह को परिभाषित करने के लिए क्या कोई विभाजन रेखा खींची जा सकती है ? यही कारण है कि हमें आजकल के युवकों और युवतियों की जन्मकुंडली में भी इस बात का कोई संकेत नहीं दिखाई देता है कि जातक प्रेम विवाह करेंगे या अरेंज्ड ? आज के माहौल को देखते हुए प्रेम विवाह के उपाय निकलने की जरूरत नहीं।