कर्म और प्रयोग से हमें 'ज्ञान' नहीं मिलता है

 

Gyan kya hai

गत्यात्मक ज्योतिष के रिसर्च के बाद हमें ज्ञान को समझने का मौका मिला है। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं या किसी भी वस्तु के बारे में विस्तृत ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं । आजकल हम ‘विज्ञान’ शब्द का अर्थ उस ज्ञान से लेते हैं , जो प्रयोग और परीक्षण से सिद्ध हो चुका है। इसका इतना अधिक विकास हुआ है कि हम पृथ्वी से चन्द्रमा और मंगल तक की रिसर्च कर रहे हैं। 

विज्ञान ने आज पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है विज्ञान के माध्यम से मानव के जीवन को कई ऐसी सुविधाएं मिली हैं , जिसके माध्यम से वह दिन प्रतिदिन प्रगति करता जा रहा है । विज्ञान के माध्यम से हम लोगों को नए नए आयाम प्राप्त हो रहे हैं. विज्ञान के माध्यम से हम चंद्रमा पर भी पहुंच चुके हैं । विद्यार्थियों तक इस ज्ञान को सिखलाने के लिए लाखों स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज चल रही हैं। विज्ञान ने आज पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है विज्ञान के माध्यम से मानव के जीवन को कई ऐसी सुविधाएं मिली हैं, जिसके माध्यम से वह दिन प्रतिदिन प्रगति करता जा रहा है । 

Gyan ka mahatva

ज्ञान विज्ञान की तरह अंधाधुँध दौड़ नहीं लगाता, जहाँ सबको अपनी अपनी प्रकृति से समझौता करना होता है, जिससे प्रकृति समझौता करना पड़ता है।ज्ञान प्रकृति के कण-कण और जन-जन की खूबियों को समझते हुए विकास में उसका योगदान चाहता है। इसका मुख्य अर्थ मानवीय मूल्यों के अनुरूप चिंतन करना है। यह दृष्टिकोण ही शरीर तथा मन को प्रेरणा प्रदान करता है। हम रुचिकर, हितकर, उपयोगी एवं आवश्यक मुद्दों को समझकर अपनी विचारधारा और कार्यशक्ति को मोड़ देते हैं। मेरा मानना है कि इतने वैज्ञानिक युग में होने के बावजूद धन , कर्म और प्रयोग से 'सबकुछ' हासिल करने के बाद भी उसे हासिल करने के मुख्‍य उद्देश्‍य को पूरा करने का सभी दावा नहीं कर सकते। 


Gyan kya hai

Gyan vigyan

जैसे विज्ञान के द्वारा आज शरीर की कद, काठी और वजन तक को नियंत्रित करने के साधन उपलब्‍ध है पर वे दावे के साथ अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य नहीं दे सकते। अथाह धन को प्राप्‍त करने के कितने कार्यक्रम बनाए जा सकते हैं पर वे धन का संतोष नहीं दे सकते। मनचाहे जीन को एकत्रित करके मनचाहे संतान पा सकते हैं पर उन्‍हें सुपात्र नहीं बना सकते। आज अपनी पसंद के अनुसार पात्र चुनकर विवाह करने की आजादी है पर सुखी दाम्‍पत्‍य जीवन नहीं पाते। पैसों के बल पर लोग नौकर इकट्ठे कर सकते हैं पर सच्‍चा सेवक मिलना सबको मुमकिन नहीं।

पलंग पर गद्दों का अंबार लगा सकते हैं पर नींद लाना वश की बात नहीं। नाना व्‍यंजन जुटा सकते हैं पर बीमारी हो या भूख नहीं लगे तो कैसे खा सकते हैं ? हर क्षेत्र के विशेषज्ञों की औषधि मिल सकती है पर चैन कैसे मिले। मास्‍टर क्‍या पूरा स्‍कूल ही बनवा सकते हैं पर किसी को अकल नहीं दे सकते आप। पैसों के बल पर बडे से बडे गुरू आपके सम्‍मुख खडे हो जाएंगे पर ज्ञान पाना संभव नहीं। किताबें क्‍या, पूरी लाइब्रेरी मिल सकती हैं पर विद्या प्राप्‍त करना इतना आसान नहीं। पिस्‍तौल या अत्‍याधुनिक हथियार मिल सकते हैं आपको, पर कुछ करने के लिए साहस जुटाना बहुत मुश्किल है। 

जीवन के विभिन्‍न मोडों पर अनगिनत साथी मिल सकते हैं पर कोई असली मित्र नहीं हो सकते। आप हर प्रकार की छोटी बडी संपत्ति प्राप्‍त कर सकते हैं पर सुख शांति नहीं पा सकते। सैकडों भाई बंधु प्राप्‍त कर सकते हैं पर उनमें से कोई भी सहयोगी नहीं हो सकता। भ्रमण के लिए टिकट खरीद सकते हैं आप पर भ्रमण का आनंद ले पाना सबके वश में नहीं। कुर्सी मिल सकती है पर प्रतिष्‍ठा नहीं और इसी तरह विज्ञान प्राप्‍त कर सकते हैं पर ज्ञान नहीं !!

vaidik gyan

इसका कारण यह है कि स्‍वास्‍थ्‍य, संतोष, दाम्‍पत्‍य जीवन, नींद, सुपुत्र, भूख, चैन, अमृत,अकल, विद्या, साहस, मित्र, शांति, सहयोगी, प्रतिष्‍ठा, भ्रमण का आनंद और ज्ञान प्राप्ति आपके वश में नहीं होती। इनको हासिल करने के लिए आपको अपने जन्‍मकालीन ग्रहों पर निर्भर रहना पडता है। किसी भी व्‍यक्ति के जीवन में ये सभी मुद्दे समय सापेक्ष होते हैं और कभी कमजोर तो कभी मजबूत दिखाई देते रहते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो अपने मजबूत समय में तरक्‍की करनेवाले दुनिया के एक से एक दिग्‍गज अपने कमजोर समय में लाचार होते क्‍यूं देखे जाते ? 

और एक से एक कमजोर व्‍यक्ति मजबूत समय में दुनिया के लिए आदर्श कैसे बन जाते हैं ? इसलिए ज्‍योतिष की चर्चा इन्‍हीं संदर्भों में की जानी चाहिए। जन्‍मकुंडली के निर्माण से लेकर भृगुसंहिता तक के भविष्‍य कथन में हमारे पूज्‍य ऋषि , महर्षियों ने इसी तरह सांकेतिक तौर पर ही ज्‍योतिष की विवेचना करने की कोशिश की थी। ज्योतिष 'समय' और 'चारित्रिक विशेषताओं' की बात करता है। अब समझ में आ गया होगा कि ज्ञान क्या है ?

Brahma Gyan Kya hai

ब्रह्म ज्ञान क्या है ? - जब प्रकृति के नियमों को समझने के बाद व्यक्ति संसार का मोह त्यागकर खुद को उसके आगे समर्पित कर देता है तो इसे ब्रह्मज्ञान कहते हैं।

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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