कुंडली के साथ गत्यात्मक ग्राफ की अनिवार्यता क्यों?
श्री विद्या सागर महथा जी का जवाब -- 'परंपरागत ज्योतिष' में किसी व्यक्ति के जन्मकाल के समय ग्रहों की आकाशीय स्थिति के अनुसार उसके 12 भावों की आम व्याख्या या प्रारम्भिक परिचर्चा की जाती है। चूंकि इससे फलाफल के काल की स्पष्टता नहीं हो पाती अतः बुद्धिजीवी वर्ग या वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले लोगों की नजर में इस विषय की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहता है।
किसी भी विषय का आधार सही हो तो उसके विकास की क्रमिक प्रक्रिया इसे परिशोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। बुद्धिजीवी वर्ग के प्रश्नों के समुचित उत्तर के लिए कुंडली के साथ गत्यात्मक पद्धति पर आधारित दो प्रकार के ग्राफ जीवन सापेक्ष उनके अनुभव का तर्कसम्मत सहसंबंध समझ पाने का मौके देते हैैं। हर व्यक्ति के जीवन में सफलता और संघर्ष के प्रायः अलग अलग काल होते हैं। हजारों जन्म विवरण पर प्रयोग करने के बाद गत्यात्मक सिद्धांत आधारित ग्राफ किसी भी व्यक्ति के जीवन यात्रा एवं अलग - अलग काल में होने वाले उतार चढ़ाव को दर्शाने में सक्षम साबित हुआ है।
निदृष्ट संख्या के अभाव में ग्राफ की कल्पना कभी नहीं की जा सकती, ग्रहों की परिमाणात्मक गतिज और स्थैतिक ऊर्जा ग्राफ ही इस परिकल्पना का आधार है। किसी भी जातक की ऊर्जा का मूल उसी में समाहित होता है जो व्यक्ति के शरीर में ग्रन्थियों के रूप में स्थित होता है। किसी भी शरीर के विकास क्रम के अनुसार कोई बच्चा पहले बाल्यकाल फिर किशोरावस्था, युवावस्था, प्रारम्भिक प्रौढ़ावस्था, प्रौढ़ावस्था, प्रारम्भिक वृद्धावस्था, वृद्धावस्था और अतिवृद्धावस्था के कई स्टेज से गुजरता है। ग्रहों की विशेषताओं के अनुसार कब किस ग्रह का काल आयेगा, इसकी खोज मैंने सन् 1975 में ही कर ली थी और इससे संबंधित एक लेख जयपुर से निकलने वाली ज्योतिष पत्रिका 'ज्योतिष मार्तण्ड' के जुलाई 1975 के अंक में प्रकाशित किया गया था।
हर ग्रह के काल के मध्य में उस ग्रह की गत्यात्मक शक्ति का परिमाण गत्यात्मक ग्राफ का मूल है जो किसी के भी जीवन यात्रा के उतार चढ़ाव को चित्रित करने में सक्षम है। केवल जन्मकुंडली किसी के जीवन की सटीक व्याख्या नहीं कर सकती जबतक ग्रहों की शक्ति का आकलन नहीं किया जा सके। अतः सिर्फ कुंडली बनाने के बजाय गत्यात्मक ग्राफ संयुक्त कुंडली बनवाने की आवश्यकता है जिससे लोगों को उनके जीवन के उतार/चढ़ाव और अनुकूल/प्रतिकूल परिस्थितियों की सटीक जानकारी मिल सके। बाल्यकाल से जीवन के अंतिम क्षणों तक के काल की नैसर्गिक यात्रा के आपके व्यक्तिगत अनुभव को गत्यात्मक ज्योतिष ग्राफ के द्वारा यथावत महसूस करने का मौका मिलेगा।
गत्यात्मक ज्योतिष में काल विभाजन का प्रारम्भ क्रमशः चन्दमा, बुध, मंगल, शुक्र, सूर्य, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेप्च्यून तथा प्लूटो को मान लिया गया है। प्रत्येक ग्रह के काल विभाजन का मान 12 वर्ष का है। अबतक लगभग एक लाख ग्राफ बन चुके हैं और आश्चर्यजनक रूप से सार्थक परिणाम देखने को मिला है। अतः ज्योतिष प्रेमियों के लिए गत्यात्मक ग्राफ प्राप्त करना आज की आवश्यकता है। सभी ग्रहों या आकाशीय पिंडों की गत्यात्मक और स्थैतिक ऊर्जा निकालने का सूत्र पिंड- मात्रा निरपेक्ष केवल ग्रह और सूर्य के द्वारा पृथ्वी पर बनने वाला कोण होता है। स्मरण रहे ग्रह दशा कोण पर ही गति या आकाशीय पिंडों की शक्ति परिलक्षित होती है। अपवाद के रूप में सांख्यिकीय डेविएशन की चर्चा की जाए तो स्टैंडर्ड डेविएशन लगभग नगण्य है।
नई खोज पर आधारित गत्यात्मक ज्योतिष से जीवन के उतार/चढ़ाव और अनुकूल/प्रतिकूल परिस्थितियों का गत्यात्मक ग्राफ प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति गत्यात्मक ज्योतिष के विशेषज्ञ से नीचे दिये गए फोन पर सम्पर्क कर अपना गत्यात्मक ग्राफ बनवा सकते हैं।
जयोतिष में हुए नए रिसर्च, गत्यात्मक ज्योतिष के बारे में अधिक जानने के लिए ये लेख अवश्य पढ़ें ------
- कुंडली का पहला भाव
- कुंडली का दूसरा भाव
- कुंडली का तीसरा भाव
- कुंडली का चौथा भाव
- कुंडली का पाँचवाँ भाव
- कुंडली का छठा भाव
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