Singh lagna kundali me grahon ka fal
आसमान के 120 डिग्री से 150 डिग्री तक के भाग का नामकरण सिंह राशि के रूप में किया गया है। जिस बच्चे के जन्म के समय यह भाग आसमान के पूर्वी क्षितिज में उदित होता दिखाई देता है , उस बच्चे का लग्न सिंह माना जाता है। सिंह लग्न की कुंडली के अनुसार मन का स्वामी चंद्र द्वादश भाव का स्वामी होता है और यह जातक के खर्च , बाहरी संदर्भों आदि का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए सिंह लग्न के जातकों के मन को पूर्ण तौर पर संतुष्ट करने वाले संदर्भ खर्च और बाह्य संपर्क होते हैं। जन्मकुंडली या गोचर में चंद्र के मजबूत रहने पर खर्च शक्ति की मजबूत स्थिति और देशाटन वगैरह से सिंह लग्न के जातक का मन खुश और जन्मकुंडली या गोचर में चंद्र के कमजोर रहने पर इनकी कमजोर स्थिति से इनका मन आहत होता है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' चन्द्रमा की शक्ति का निर्णय इसके आकार के आधार पर करता है। अमावस के चन्द्रमा को शुन्य, दोनों अष्टमी के चन्द्रमा को 50 और पूर्णिमा के चन्द्रमा को 100 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति दी जाती है।
Singh Lagna me Surya ka fal
सिंह लग्न की कुंडली के अनुसार समस्त जगत में चमक बिखेरने वाला सूर्य लग्न भाव का स्वामी होता है और यह जातक के शरीर , व्यक्तित्व और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए अपने नाम यश को फैलाने के लिए सिंह लग्न के जातक अपने शरीर को मजबूत बनाने पर जोर देते हैं। नाम यश फैलाने के लिए ये अपने व्यक्तित्व का ही सहारा लेना पसंद करते हैं। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में सूर्य के मजबूत रहने व्यक्तित्व की मजबूती से इनकी कीर्ति फैलती और जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में सूर्य के कमजोर रहने इनकी कमी से इनकी कीर्ति घटती है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' में सूर्य को हर वक्त 50 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति दी जाती है, पर यह जिस ग्रह की राशि में होता है, उससे इन्हे गत्यात्मक शक्ति प्रभावित होकर थोड़ी धनात्मक या ऋणात्मक हो जाती है।
Singh Lagna me mangal ka fal
सिंह लग्न की कुंडली के अनुसार मंगल चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी होता है और यह जातक के मातृ पक्ष , किसी प्रकार की छोटी या बडी संपत्ति , स्थायित्व और भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्न के जातकों के मातृ पक्ष , किसी प्रकार की छोटी या बडी संपत्ति , स्थायित्व का भाग्य से सहसंबंध होता है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में मंगल के मजबूत रहने पर इन्हें मातृ पक्ष का सहयोग मिलता है , हर प्रकार की संपत्ति और स्थायित्व की मजबूती रहती है , जिससे भाग्य की मजबूती बनती है । विपरीत स्थिति में यानि जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में मंगल के कमजोर रहने पर भाग्य बहुत कमजोर हो जाता है। इसी प्रकार भाग्य के मजबूत होने का सर्वाधिक फायदा माता और हर प्रकार की संपत्ति को मिलता है , जबकि विपरीत स्थिति में ये पक्ष कमजोर बने होते हैं। 'गत्यात्मक ज्योतिष' मंगल की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में मंगल सूर्य के निकट हो तो मंगल को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और मंगल आमने सामने हो तो मंगल काफी कमजोर होता है।
'गत्यात्मक गोचर प्रणाली' पर आधारित प्रतिदिन, प्रतिमाह और प्रतिवर्ष जीवन के हर मामले के भविष्यफल को समझने के लिए इस एप्प को इनस्टॉल करें !
ज्योतिष के बारे में
Sinh Lagna me Shukra ka fal
सिंह लग्न की कुंडली के अनुसार शुक्र तृतीय और दशम भाव का स्वामी है और यह जातक के भाई , बहन , बंधु , बांधव पक्ष , पिता पक्ष और सामाजिक राजनीतिक स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इनका आपस में सहसंबंध होता है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शुक्र के मजबूत रहने पर सिंह लग्नवालों के सामाजिक राजनीतिक और कैरियर के मामलों की मजबूती में भाई बहन बंधु बांधव मददगार सिद्ध होते हैं और भाई बहन बंधु बांधव की मजबूती में सामाजिक राजनीतिक वातावरण। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शुक्र के कमजोर रहने पर भाई बहन बंधु बांधव का सहयोग नहीं मिलता और ऐसे लोगों के कैरियर या सामाजिक राजनीतिक मामलों में बडी गडबडी आ जाती है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' शुक्र की शक्ति का निर्णय उसकी गति से करता है, शुक्र की गति प्रतिदिन 1 डिग्री से अधिक हो तो शुक्र को अधिक गत्यात्मक शक्ति मिलती है, प्रतिदिन 1 डिग्री हो तो 50 प्रतिशत , यदि गति 1 डिग्री से कम होने लगती है तो गत्यात्मक शक्ति भी कम होने लगती है, जैसे ही शुक्र वक्री होता है तेजी से घटती हुई गत्यात्मक शक्ति शुन्य हो जाती है।
Singh Lagna me budh ka fal
सिंह लग्न की कुंडली के अनुसार बुध द्वितीय और एकादश भाव का स्वामी है और यह जातक के धन , कोष और लाभ से संबंधित मामलों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्न के जातकों के धन कोष को मजबूती देने में हर प्रकार के लाभ तथा लाभ को मजबूती देने में धन और कौटुम्बिक मजबूती का हाथ होता है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बुध के मजबूत रहने पर ऐसे जातक अपनी मजबूत पूंजी के बल पर लाभ को मजबूती देने में समर्थ होते हैं और लाभ की मजबूती से कोष को मजबूती देने में समर्थ होते हैं। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बुध के कमजोर रहने पर सिंह लग्नवाले धन की कमी से लाभ से और लाभ की कमी से कोष से वंचित रह जाते हैं । 'गत्यात्मक ज्योतिष' बुध की शक्ति का निर्णय उसकी गति से करता है, बुध की गति प्रतिदिन 1 डिग्री से अधिक हो तो बुध को अधिक गत्यात्मक शक्ति मिलती है, प्रतिदिन 1 डिग्री हो तो 50 प्रतिशत , यदि गति 1 डिग्री से कम होने लगती है तो गत्यात्मक शक्ति भी कम होने लगती है, जैसे ही बुध वक्री होता है तेजी से घटती हुई इसकी गत्यात्मक शक्ति शून्य हो जाती है।
Sinh Lagna me Guru ka fal
सिंह लग्न की कुंडली के अनुसार बृहस्पति पंचम और अष्टम भाव का स्वामी होता है और यह जातक के बुद्धि , ज्ञान , संतान और जीवनशैली का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए सिंह लग्न के जातकों के बुद्धि , ज्ञान और संतान पक्ष का जीवनशैली पर बहुत प्रभाव देखा जाता है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बृहस्पति के मजबूत होने पर सिंह लग्न के जातकों का खुद का बुद्धि , ज्ञान या संतान पक्ष बहुत मजबूत दिखाई पडता है , जिससे जीवनशैली मजबूत बनी रहती है , उनकी जीवनशैली संतान पक्ष को मजबूती देती है। इसके विपरीत , जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बृहस्पति के कमजोर होने पर सिंह लग्नवाले जातकों की अपनी सूझ बूझ और संतान पक्ष में गडबडी पैदा होती है , जिससे जीवन कमजोर हो जाता है और इससे आनेवाली पीढी के जीवन में भी गडबडी आती है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' गुरु की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में गुरु सूर्य के निकट हो तो गुरु को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और गुरु आमने सामने हो तो गुरु काफी कमजोर होता है।
Singh lagna shani
सिंह लग्न की कुंडली के अनुसार शनि सप्तम और अष्टम भाव का स्वामी होता है यानि यह जातक के घर गृहस्थी औरहर प्रकार के झंझट से सम्बंधित भाव का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्नवाले जातकों के घर गृहस्थी का झंझटों से संबंध बना होता है। जन्मकुंडली , दशाकाल या या गोचर में शनि के मजबूत रहने पर इस लग्नवाले लोगों के झंझट दूर रहते हैं और घर गृहस्थी का वातावरण मनोनुकूल होता है। इसके विपरीत स्थिति में यानि जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शनि के कमजोर रहने पर घर गृहस्थी के वातावरण में झंझट ही झंझट होती हैं , जिससे इनका दाम्पत्य जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' शनि की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में शनि सूर्य के निकट हो तो शनि को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और शनि आमने सामने हो तो शनि काफी कमजोर होता है।
Leo ascendant house lords
ज्योतिष में सभी लग्न की कुंडलियों के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं। लेकिन ग्रह कमजोर है या मजबूत, इसका पता आंशिक तौर पर हमारे योगकारक ग्रहों का प्रभाव लेख से मालूम हो सकता है, पर ग्रहों की गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति की जानकारी के लिए हमारे केंद्र से जन्मकुंडली बनवाना आवश्यक है!