Chandra Kundali kaise Dekhen
भारत में ज्योतिष का अध्ययन बहुत ही प्राचीन काल से हो रहा है। परंपरागत तौर पर ज्योतिष का सहारा लेकर पंडितों के द्वारा हमारे यहां बच्चों की जो कुंडलियां बनायी जाती थी , उसमें लग्नकुंडली के अलावे चंद्रकुंडलियां भी बनी होती थी। आप देखेंगे तो पाएंगे कि किसी बच्चे की लग्नकुंडली और चंद्र कुंडली में अंतर होता है वह यह कि - सभी ग्रहों की स्थिति उन्हीं राशियों में मौजूद होती हैं , सिर्फ कुंडली के खाने बदल जाते हैं। चूंकि जहां ढाई दिनों तक जन्म लेनेवाले सभी बच्चों की चंद्रकुंडलियां एक जैसी होती हैं , वहीं लग्नकुंडली दो दो घंटे से कम समय में परिवर्तित हो जाती हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चन्द्रमा ढाई दिनों तक एक ही राशि में होता है, जबकि लग्न दो-दो घंटे में बदलते हैं। (chandra rashi kundali) कुंडली देखने का तरीका समझने के लिए मैंने ब्लॉग में ग्रहों की गत्यात्मक शक्ति जांचने और उसके हिसाब से भविष्यवाणी करने के बारे में दो आलेख मैंने ब्लॉग में लिखे हैं।
इसलिए लग्नकुंडली के हिसाब से चंद्रकुंडली बहुत ही स्थूल मानी जाती हैं, पर इसके बावजूद चंद्रकुंडली का महत्व प्राचीनकाल से अबतक बना हुआ है। ज्योतिषी इन दोनो कुंडलियों को मिलाकर ही भविष्यवाणी करने की कोशिश किया करते हैं, वैसे अभी तक पूर्ण तौर से स्पष्ट नहीं हुआ है कि किस प्रकार की भविष्यवाणी लग्नकुंडली के आधार पर की जाए और किस प्रकार की चंद्रकुंडली के आधार पर। गत्यात्मक ज्योतिष भी चंद्रकुंडली के महत्व से इंकार नहीं करता, यह स्वीकार करता है कि किसी के मन पर प्रभाव डालनेवाली परिस्थितियाँ लग्नकुंडली नहीं, वरन चंद्र कुंडली के कारण ही बनती है।
चंद्र कुंडली कैसे देखें ?
Chandra kundli kya hai
'गत्यात्मक ज्योतिष' की मान्यता है किसी व्यक्ति की लग्नकुंडली उसकी चारित्रिक विशेषताओं और उसके जीवनभर की परिस्थितियों के उतार चढ़ाव बारे में जानकारी देने में समर्थ है , यहां तक कि जातक के सभी संदर्भों के सुख दुख को भी उसकी लग्नकुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति से ही जाना जा सकता है। इसलिए चंद्रकुंडली के भावों के हिसाब से जातक के संदर्भ नहीं देखे जा सकते , संदर्भों को जानने के लिए जातक के लग्नकुंडली को ही देखा जाना चाहिए । यानि जातक की कुंडली में जो लग्नभाव है, उसके स्वामी और लग्न में स्थित ग्रहों से ही स्वास्थ्य की स्थिति देखी जानी चाहिए, धनभाव के स्वामी और धनभाव में स्थित ग्रहों से ही धन की स्थिति देखी जानी चाहिए। इसी प्रकार लग्न के आधार में ही चौथे भाव, पंचम भाव, षष्ठ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, नवम भाव, दशम भाव, एकादश भाव, और द्वादश भाव को उनके भावधपति और उन भावों में स्थित ग्रहों से समझा जाना चाहिए।
वैवाहिक मामलों पर ये लेख आपको पसंद आएंगे ---
chandra rashi kundali
इसी नियम के तहत लग्नकुंडली के हिसाब से चंद्रमा जिस भाव का स्वामी हो या जिस भाव में चंद्रमा की स्थिति हो , उसका प्रभाव जानने में चन्द्रमा की शक्ति, यानी चन्द्रमा अमावस, पूर्णिमा या अष्टमी के आसपास का है , यह देखा जा सकता है। यदि जातक का जन्म पूर्णिमा के आसपास का हो , तो उन संदर्भों के सुख प्राप्त करने हेतु तथा यदि जातक का जन्म अमावस्या के आसपास हुआ हो , तो उन संदर्भों के कष्ट की वजह से जातक संबंधित संदर्भों में उलझा होता है। यदि जातक का जन्म अष्टमी के आसपास हो तो जातक उन संदर्भों के प्रति काफी महत्वाकांक्षी होता है। इसके अलावे जातक की अन्य प्रकार की मन:स्थिति को जानने में चंद्रकुंडली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । चंद्रमा जिस भाव का स्वामी हो या जिस भाव में चंद्रमा की स्थिति होउन भावों पर जातक का ध्यानसंकेन्द्रण जीवन भर बना होता है।
Chandra kundali ka mahatva
हम सभी जानते हैं कि चंद्रमा मन का प्रतीक ग्रह है , किसी का कमजोर हो चन्द्रमा और बचपन पर उसका प्रभाव न पड़े, यह नहीं हो सकता। लग्नचन्दा योग का क्या कहना! चंदमा के अलावे भी चंद्रकुंडली में प्रथम भाव में जो ग्रह मौजूद हों, उसके साथ जातक का मन मौजूद होता है। इसलिए वे ग्रह लग्नकुंडली में जिन संदर्भों का प्रतिनिधित्व करते हों, वहां वहां जातक का ध्यान संकेन्द्रण बना होता है। इसके अलावे चंद्रकुंडली में चतुर्थ और दशम भाव बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, इन स्थानों में जो ग्रह मौजूद हो, उन संदर्भों के लिए भी जातक बहुत क्रियाशील होता है।
चंद्रकुंडली में षष्ठ भाव में मौजूद ग्रहों को भी हमने मनोनुकूल पाया है , यदि वे कमजोर भी हों , तो मन को तकलीफ पहुंचाने वाला कार्य नहीं किया करते हैं। चंद्रकुंडली में यदि सातवें भाव में ग्रह मौजूद हो , तो वे कमजोर होते हैं , उन ग्रहों से जातक को कोई खास सहयोग नहीं मिल पाता , इसलिए इनके जीवन में उनका अधिक महत्व नहीं होता । चंद्रकुंडली में आठवें स्थित ग्रह लग्नकुंडली से भी अधिक कष्टकर देखे गए हैं , ये मन को बारंबार कष्ट पहुंचाते हैं , लग्न कुंडली और चंद्र कुंडली में अंतर यही है कि लग्नकुंडली के हिसाब से जिन जिन भावों के ये मालिक होते हैं , उन संदर्भों का तनाव इन्हें झेलने को विवश होना पडता है।
ज्योतिष में हुए नए रिसर्च, गत्यात्मक ज्योतिष के बारे में अधिक जानने के लिए ये लेख अवश्य पढ़ें ------
Janam Kundli by date of birth only in Hindi
जन्मसमय न होने की स्थिति में भविष्यवाणी के लिए सिर्फ जन्मतिथि के आधार को लेकर हमारे केंद्र में जो जन्मकुंडली बनायीं जाती है , वह वास्तव में चंद्रकुंडली होती है। हमने अपने अभ्यास से चंद्रकुंडली के आधार पर भी सटीक भविष्य-कथन में सफलता पायी है। चंद्र कुंडली के आधार पर भविष्यवाणी आपके मन को आधार मानकर की जाती है, आपके मन को जो बातें कष्ट पहुंचा रही है, वह कब सुखद हो जाएंगी , आपके लिए इतना ही पर्याप्त है और भविष्यवाणी की सत्यता और हमारी सफलता का यही राज है। आपस के बातचीत से जन्मसमय भी निकाला जा सकता है- जानने के लिए क्लिक करें Janam Kundli by date of birth only in Hindi
जन्मसमय न होने की स्थिति में भविष्यवाणी के लिए सिर्फ जन्मतिथि के आधार को लेकर चंद्रकुंडली बनाकर आपके लिए सटीक भविष्यवाणियों के लिए संपर्क करें - 8292466723, gatyatmakjyotishapp@gmail.com
कृपया कमेंट बॉक्स में बताएँ कि यह लेख आपको कैसा लगा? यदि पसंद आया तो अपने मित्रों परिचितों को अवश्य शेयर करे, ताकि ज्योतिष से सम्बंधित वैज्ञानिक जानकारी जन-जन तक पहुंचे। नीचे के फेसबुक, ट्विटर और अन्य बटन आपको इस लेख को शेयर करने में मदद करेंगे।