धर्म के नाम पर उलूल-जुलूल को न स्वीकारें------ byसंगीता पुरी •11:41:00 ص Dharm ke prakar गेट पर ठक-ठक की आवाज से मेरी तन्मयता दूर हुई। जिस लेख को लिख रही थी, उसे छोड़कर यह लेख प्रस्तुत है। नजदीकी लोग तो गेट से अंदर आकर दवाजे पर घंटी बजाते हैं, कूरियर वाले तक भी। जरूर कोई बिना जान पहचानवाला है, कुर्…